हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। साल में कुल 24 एकादशी पड़ती हैं, जिनमें से प्रत्येक का अपना विशिष्ट महत्व होता है। इनमें से मोहिनी एकादशी का स्थान सर्वोपरि है। इस वर्ष 2024 मोहिनी एकादशी 19 मई, शुक्रवार को मनाई जाएगी। आइए, इस पावन पर्व के बारे में विस्तार से जानें:
मोहिनी एकादशी की तिथि हर साल थोड़ा-बहुत बदलती रहती है। 2024 में, यह शुक्रवार, 19 मई को सुबह 05:33 AM से प्रारंभ होकर अगले दिन, 20 मई को सुबह 08:21 AM तक मान्य रहेगी।
इस दिन सूर्य वृषभ राशि में और चंद्र मिथुन राशि में होगा। हालांकि, पूरे दिन अबूझ मुहूर्त होने के कारण किसी भी शुभ कार्य के लिए पंडितजी से मुहूर्त देखने की आवश्यकता नहीं है। लेकिन कुछ खास मुहूर्त भी उपलब्ध हैं, जिन्हें आप विशेष अनुष्ठानों के लिए चुन सकते हैं, जैसे:
प्रातः स्नान मुहूर्त: 05:40 AM से 06:27 AM
पूजा-अर्चना मुहूर्त: 10:15 AM से 11:49 AM
पारिवारिक अनुष्ठान मुहूर्त: 03:42 PM से 05:16 PM
मोहिनी एकादशी का धार्मिक और पौराणिक महत्व अपार है। इस दिन भगवान विष्णु के मोहिनी अवतार की पूजा की जाती है।
पौराणिक कथा के अनुसार, जब देवताओं और असुरों के बीच समुद्र मंथन के दौरान अमृत प्राप्त करने के लिए युद्ध चल रहा था, तो असुरों ने छल करके अमृत पी लिया। देवताओं को बचाने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण किया और अपने मनमोहक सौंदर्य से असुरों को मोहित कर उन्हें अमृत पिलाने से रोक दिया। इस तरह देवताओं को अमृत प्राप्त हुआ और वे विजयी हुए।
इसलिए, मोहिनी एकादशी को मोह भंजन एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन मनुष्य अपने अंदर के विकारों, जैसे मोह, लोभ, क्रोध और ईर्ष्या पर विजय प्राप्त करने का संकल्प लेता है। साथ ही, भगवान विष्णु की कृपा से मोक्ष प्राप्ति की कामना करता है।
मोहिनी एकादशी का उत्सव:
मोहिनी एकादशी मनाने की परंपराएं देश के विभिन्न क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न हैं। हालांकि, कुछ खास परंपराएं पूरे भारत में प्रचलित हैं, जैसे:
इस दिन लोग प्रातः स्नान कर के मंदिरों में या घर पर भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। तुलसी, कमल के फूल और शमीपत्र चढ़ाए जाते हैं।
कई लोग इस दिन उपवास रखते हैं और केवल फल और दूध पीते हैं।
भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है, जिसमें मोहिनी अवतार की कथा सुनाई जाती है।
जरूरतमंदों को भोजन और दान का पुण्य कर्म किया जाता है।
मोहिनी एकादशी के दिन आप घर पर ही सरल पूजा-अर्चना कर सकते हैं। आइए देखें कैसे:
प्रातः स्नान के बाद साफ-सुथरे वस्त्र पहनें। पूजा स्थान की सफाई करें।
एक चौकी पर गंगाजल छिड़ककर भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। आप भगवान लक्ष्मी जी की तस्वीर भी साथ में रख सकते हैं, क्योंकि मोहिनी अवतार को भगवान विष्णु और भगवान लक्ष्मी का संयुक्त रूप माना जाता है।
दीप जलाएं, धूपबत्ती जलाएं और मंत्रों का जाप करें। आप "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः" या "श्रीं लक्ष्मीनारायणाय नमः" मंत्र का जाप कर सकते हैं।
तुलसी, कमल के फूल, शमीपत्र और अन्य पूजन सामग्री भगवान को अर्पित करें।
पंचामृत से स्नान कराएं और फिर वस्त्र, आभूषण आदि से भगवान का श्रृंगार करें।
घी का दीपक जलाएं, प्रसाद चढ़ाएं और आरती करें।
भगवान विष्णु से अपने अंदर के मोह को दूर करने और मोक्ष प्राप्त करने की प्रार्थना करें।
आप मोहिनी एकादशी की कथा का पाठ भी कर सकते हैं।
पूजा के बाद प्रसाद ग्रहण करें और परिवार के साथ भोजन करें। जरूरतमंदों को भोजन दान करना शुभ माना जाता है।
सम्पूर्ण मानव जीवन में एकादशी के विशेषता का बहुत महत्व है। मोहिनी एकादशी एक विशेष पर्व है जो हमें मोह, लोभ और अन्य विकारों से मुक्ति प्राप्त करने का संदेश देता है। इस पर्व के महत्व को समझकर हम आत्मनिरीक्षण करते हैं और धार्मिकता के साथ ही प्रकृति के प्रति आदर और सम्मान का भाव भी बढ़ाते हैं। इस पावन पर्व के माध्यम से हम अपने अंदर के सकारात्मक शक्तियों को जाग्रत करते हैं और समृद्धि और शांति के साथ जीवन का आनंद उत्तेजित करते हैं।
जी 2024 में मोहिनी एकादशी के दिन सुबह 07:49 बजे से शाम 05:25 बजे तक रवि योग बन रहा है। यह योग आत्मिक उन्नति, ज्ञान और सफलता के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इसका लाभ उठाकर पूजा-पाठ, ध्यान या मंत्र जाप करना विशेष फलदायी हो सकता है।
उपवास करना पूरी तरह से वैकल्पिक है। हालांकि, कई लोग इस दिन निर्जला उपवास (बिना पानी के उपवास) भी रखते हैं। यदि आप उपवास रखते हैं, तो अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें और ज्यादा कमजोरी महसूस होने पर उपवास तोड़ने में संकोच न करें। मोहिनी एकादशी के दिन सात्विक भोजन का प्रचलन है। मांस, मछली, शराब आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।
आप अपने घर को रंगोली, फूलों, मालाओं आदि से सजा सकते हैं। तुलसी की पत्तियों और आम के पत्तों का तोरण लगाना शुभ माना जाता है। आप भगवान विष्णु और भगवान लक्ष्मी जी की तस्वीर या मूर्ति को भी घर में स्थापित कर सकते हैं। घर का वातावरण शांत और सकारात्मक रखें।
दान-पुण्य मोहिनी एकादशी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। जरूरतमंद लोगों को भोजन, वस्त्र, दवाई या धन आदि का दान कर सकते हैं। आप किसी एनजीओ के माध्यम से भी गरीबों की सहायता कर सकते हैं।
मोहिनी एकादशी हमें सात्विक और संतुलित जीवन जीने का संदेश देती है। इस पर्व पर पर्यावरण की रक्षा का संकल्प लेना चाहिए। पौधरोपण करें, जल संरक्षण के उपाय करें और प्रदूषण फैलाने से बचें। यह त्योहार प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने और उसकी रक्षा का अवसर प्रदान करता है।
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