भारत में हर त्योहार का एक गहरा संदेश और परंपरा छिपी होती है। इन्हीं में से एक है पितृ पक्ष, जिसे श्राद्ध पक्ष भी कहा जाता है। यह समय खासतौर पर हमारे पूर्वजों (पितरों) को याद करने, उनके लिए तर्पण और श्राद्ध करने का होता है। माना जाता है कि इस अवधि में पितरों की आत्माएँ पृथ्वी पर आती हैं और अपने वंशजों से आशीर्वाद देती हैं।
पितृ पक्ष, हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास की पूर्णिमा से शुरू होकर अश्विन अमावस्या तक चलता है। इसे श्राद्ध पक्ष भी कहते हैं। यह समय हमारे पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का है। इस दौरान लोग अपने पितरों के लिए तर्पण, पिंडदान, दान और ब्राह्मण भोज कराते हैं।
हिन्दू पंचांग के अनुसार पितृ पक्ष 2025 की शुरुआत 7 सितंबर 2025 रविवार (पूर्णिमा के बाद की प्रतिपदा से) से होगी और समाप्ति 21 सितंबर 2025 (रविवार) को होगी। इसी दिन से लोग अपने पितरों को याद कर विधिवत श्राद्ध करते हैं।
इस बीच हर दिन का अपना महत्व है, जिसे तिथि अनुसार श्राद्ध किया जाता है।
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पितृ पक्ष से जुड़ी कई कथाएँ प्रचलित हैं। उनमें से एक कथा महाभारत के पात्र कर्ण से जुड़ी है। कहा जाता है की कर्ण जब स्वर्ग पहुँचे तो उन्हें स्वर्ण और आभूषण मिले, लेकिन भोजन नहीं। जब उन्होंने पूछा तो ज्ञात हुआ कि उन्होंने जीवन भर दान तो बहुत किया लेकिन कभी अपने पितरों के नाम पर भोजन दान नहीं किया। तब कर्ण ने भगवान यम से प्रार्थना की। परिणामस्वरूप, हर वर्ष एक विशेष समय तय किया गया जब वंशज अपने पितरों के लिए तर्पण और दान करें। यही समय पितृ पक्ष कहलाता है।
ज्योतिष शास्त्र में पितृ दोष का उल्लेख मिलता है। यह दोष तब बनता है जब जन्मकुंडली में सूर्य, चंद्रमा या राहु-केतु की स्थिति ठीक न हो। पितृ दोष से व्यक्ति को पारिवारिक, वैवाहिक या आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। पितृ पक्ष में श्राद्ध और तर्पण करने से इस दोष का निवारण माना जाता है।
इस समय अपने कुल देवता और पितरों की शांति के लिए विशेष पूजा-पाठ और दान करना बेहद शुभ माना जाता है।
पितृ दोष शांति पूजन एक विशेष धार्मिक अनुष्ठान है, जो आपके पितरों की शांति और आशीर्वाद दिलाने के लिए किया जाता है। यह पूजन न केवल पितृ दोष के नकारात्मक प्रभावों को कम करता है, बल्कि आपके जीवन में स्वास्थ्य, सुख, धन और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह भी बढ़ाता है। अनुभवी ज्योतिषाचार्य आपकी कुंडली के अनुसार विधिपूर्वक पूजन कराते हैं, ताकि परिणाम अधिक प्रभावशाली हों। यदि आप अपने जीवन में पितरों की कृपा पाना चाहते हैं और बाधाओं को दूर करना चाहते हैं, तो अभी अपनी पितृ दोष शांति पूजन करवा सकते हैं।
पितृ पक्ष हमें यह याद दिलाता है कि हमारी जड़ें हमारे पूर्वजों से जुड़ी हैं। उनकी कृपा के बिना जीवन अधूरा है। जब हम श्राद्ध, तर्पण और दान करते हैं, तो यह केवल एक कर्मकांड नहीं, बल्कि पितरों के प्रति आभार व्यक्त करने का तरीका है। अगर पितृ पक्ष से जुड़े कोई भी सवाल या शंका आपके मन में हैं, तो आप हमारे ज्योतिषाचार्यों से लाइव चैट करके सही मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं।
पितृ पक्ष 2025 में 7 सितंबर से 21 सितंबर तक श्राद्ध और तर्पण अवश्य करें और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करें।
Author : Sadhana
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