भारतीय संस्कृति में, त्योहारों का एक खास सिलसिला होता है, जो हमें मौसम के बदलाव और प्रकृति के चक्र के साथ जोड़ता है। उन्हीं में से एक है वृषभ संक्रांति, जो सूर्य देव के मेष राशि से वृषभ राशि में प्रवेश करने का पावन अवसर होता है। इस वर्ष, वृषभ संक्रांति 2024 14 मई, मंगलवार को मनाई जाएगी। आइए, इस पावन पर्व के बारे में विस्तार से जानें:
वृषभ संक्रांति की तिथि हर साल थोड़ा-बहुत बदलती रहती है। 2024 में, यह मंगलवार, 14 मई को सुबह 05:40 बजे से प्रारंभ होकर अगले दिन, 15 मई को सुबह 05:33 बजे तक मान्य रहेगी।
इस दिन सूर्य का राशि परिवर्तन होने से विशिष्ट मुहूर्त बनते हैं। हालांकि, 2024 की वृषभ संक्रांति के लिए पूरे दिन अबूझ मुहूर्त रहेगा, यानी किसी भी शुभ कार्य के लिए पंडितजी से मुहूर्त देखने की आवश्यकता नहीं है। लेकिन कुछ खास मुहूर्त भी उपलब्ध हैं, जिन्हें आप विशेष अनुष्ठानों के लिए चुन सकते हैं, जैसे:
प्रातः स्नान मुहूर्त: 05:40 AM से 06:27 AM
पूजा-अर्चना मुहूर्त: 10:15 AM से 11:49 AM
पारिवारिक अनुष्ठान मुहूर्त: 03:42 PM से 05:16 PM
वृषभ संक्रांति का धार्मिक, सांस्कृतिक और कृषिगत महत्व है। सूर्य देव को प्रकाश, ऊर्जा और जीवन का दाता माना जाता है। उनका राशि परिवर्तन शुभ माना जाता है, जो नई उम्मीदों और सकारात्मकता का संचार करता है।
हिंदू धर्म में, वृष राशि भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है। इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है।
कृषि के क्षेत्र में, वृषभ संक्रांति फसल कटाई के मौसम का प्रारंभ माना जाता है। किसान इस दिन भगवान इंद्र की पूजा करते हैं और अच्छे फसल के लिए उनका आशीर्वाद लेते हैं। खेतों में नए सीज़न की शुरुआत होती है, और किसानों के चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ती है।
वृषभ संक्रांति के दिन कई पूजा-अनुष्ठान किए जाते हैं। आइए, कुछ सरल परंपराओं से परिचित हों, जिन्हें आप घर पर भी कर सकते हैं:
सुबह का स्नान: प्रातः स्नान का विशेष महत्व है। स्नान के लिए गंगाजल का उपयोग करना शुभ माना जाता है। स्नान से पहले घर की गहन सफाई करें और अपने मन को पवित्र रखें।
सूर्य पूजा: स्नान के बाद पूर्व दिशा की ओर खड़े होकर सूर्य देव को तांबे या मिट्टी के पात्र में जल, दूध, फूल और चावल अर्पित करें। आप "ॐ आदित्याय सूर्याय नमः" मंत्र का जाप भी कर सकते हैं।

भगवान शिव की पूजा: वृषभ राशि भगवान शिव से जुड़ी है, इसलिए उनकी पूजा करना भी शुभ माना जाता है। भगवान शिव को बेलपत्र, धतूरा, दूध और जल अर्पित करें। "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जाप करें।
अन्य देवताओं की पूजा: आप भगवान विष्णु, गणेश जी, माता लक्ष्मी आदि अन्य देवताओं की भी पूजा कर सकते हैं। अपने आराध्य देवता के मंत्र का जाप करें और मनोकामना करें।
पारिवारिक अनुष्ठान: परिवार के साथ मिलकर हवन करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है। आप अग्निहोत्र भी कर सकते हैं। पवित्र मंत्रों का उच्चारण करें और शुभ फल की कामना करें।
दान-पुण्य: वृषभ संक्रांति के दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व है। गरीबों को भोजन, वस्त्र आदि का दान करें। किसी आश्रम या गौशाला को सहयोग प्रदान करें। दान-पुण्य से पुण्य फल प्राप्त होता है और जीवन में सुख-शांति आती है।
विशेष भोजन: वृषभ संक्रांति के दिन अलग-अलग क्षेत्रों में खास पकवान बनाए जाते हैं। उत्तर भारत में खीर, हलवा, पूड़ी आदि मिठाई बनाई जाती है। दक्षिण भारत में पोंगल का प्रचलन है। आप अपने क्षेत्र के परंपरा के अनुसार या अपनी पसंद के व्यंजन बनाकर भोग लगा सकते हैं।
खेतों की पूजा: यदि आप खेती से जुड़े हैं, तो वृषभ संक्रांति के दिन खेतों में गन्ने की पूजा करना शुभ माना जाता है। भगवान इंद्र से अच्छे फसल और वर्षा के लिए प्रार्थना करें।
समाजिक गतिविधियां: वृषभ संक्रांति को सामाजिक उत्सव के रूप में भी मनाया जा सकता है। म्यूजिकल प्रोग्राम, कवि सम्मेलन, या अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जा सकते हैं। ये गतिविधियां त्योहार के आनंद को बढ़ाती हैं और लोगों को एक साथ लाती हैं।
वृषभ संक्रांति एक ऐसा पर्व है, जो हमें प्रकृति के साथ जुड़ने का अवसर देता है। धर्म, संस्कृति और कृषि का संगम इस त्योहार को खास बनाता है। आइए इस वृषभ संक्रांति को परंपरा के साथ हर्षोल्लास के साथ मनाएं और प्रकृति के आशीर्वाद को प्राप्त करें।
जी हां, 2024 में वृषभ संक्रांति के दिन दोपहर 12:18 बजे तक गुरुमहिम योग बन रहा है, जो ज्ञान, विद्या और आत्मिक उन्नति के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इसका लाभ उठाकर पूजा-पाठ, ध्यान या मंत्र जाप करना विशेष फलदायी हो सकता है।
उपवास करना पूरी तरह से वैकल्पिक है। हालांकि, कुछ लोग सूर्योदय से सूर्यास्त तक उपवास रखते हैं और केवल फल और दूध आदि ग्रहण करते हैं। यदि आप उपवास रखते हैं, तो अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें और ज्यादा कमजोरी महसूस होने पर उपवास तोड़ने में संकोच न करें। वृषभ संक्रांति के दिन सात्विक भोजन का प्रचलन है। मांस, मछली, शराब आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। आप खीर, हलवा, सब्ज़ी, दाल, फल आदि सात्विक व्यंजन बनाकर भोग लगा सकते हैं और ग्रहण कर सकते हैं।
जी हां, वृषभ संक्रांति के बाद भी आप नियमित रूप से सूर्य की पूजा कर सकते हैं। प्रातः काल में उगते सूर्य को अर्घ्य देना और मंत्रों का जाप करना आपके जीवन में सकारात्मकता और उर्जा लाता है।
दान-पुण्य वृषभ संक्रांति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। जरूरतमंद लोगों को भोजन, वस्त्र, दवाई या धन आदि का दान कर सकते हैं। आप किसी एनजीओ के माध्यम से भी गरीबों की सहायता कर सकते हैं।
वृषभ संक्रांति फसल कटाई के सीज़न की शुरुआत का प्रतीक है। हमें इस पर्व पर पर्यावरण की रक्षा का संकल्प लेना चाहिए। रासायनिक खेती के बजाय प्राकृतिक खेती को अपनाएं, जल संरक्षण के उपाय करें और पौधरोपण करें। यह त्योहार प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने और उसकी रक्षा का अवसर प्रदान करता है।
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