भारतीय ज्योतिष शास्त्र में राशियां व्यक्ति के स्वभाव, व्यवहार, और जीवन के प्रति प्रभाव बताने के लिए महत्वपूर्ण होती हैं। इस लेख में, हम कर्क, सिंह, और कन्या राशियों का संपूर्ण हाल , गुणों, और उनके जीवन में आने वाली समस्याओं का विवरण प्रस्तुत करेंगे।
कर्क राशि सम, स्त्री, चर जल तत्त्व राशि है। इसकी आकृति केकड़ा की सांकेतिक चिह्न है। स्वभाव सौम्य दिशा उत्तर को सूचित करती है। प्रभाव सर्द तथा कफ प्रधान है। जाति ब्राह्मण, रंग दूधिया सफेद, रात बली और जलचर में विचरण करने वाली है। इसका स्वामी चर इसमें गुरु उन उच्च व मंगल नीच का होता है।
कद मझला तथा कई बार छोटा ही होता है शरीर एवं शारिरिक शक्ती कोमल होती है। पुरुष जातक स्त्री की तरह कोमल होते है। स्त्री जातक अधिक कोमल व सुन्दर होती हैं। इनकी कल्पना शक्ति बड़ी अच्छी होती है। कल्पना में बहुत दूर-दूर की उड़ाने जाते हैं। चित्त चलायमान, परिवर्तशील एवं क्रियाशील होता है। पवित्र आदर्शों पर चलने का पुरा प्रयास करते है। तथा मन की बात किसी को कम ही बतलाते हैं। दूसरों के अधीन अथवा मिलकर काम करने से सफलता मिलती है, यदि शान्त चित्त रहे तो शिखर पर पहुँच जाते है।
यह चर एवं जल तत्व राशि है, मन में कई प्रकार की काल्पनिक तरंगों के कारण तथा स्वभाव परिवर्तनशील होने के कारण प्रेम सम्बन्ध स्थाई नही होते हैं और ये भावुक अधिक होते हैं। साधारण क्रमानुसार इस राशि का चौथा घर हैं यदि इसमें शुक्र तथा चन्द्र बैठ जाए तो दो स्त्रियाँ अवश्य होती हैं। सातवें घर का स्वामी शनि होने के कारण यदि सातवें घर पर अच्छे गृहीं का प्रभाव न हो, मंगल एवं शुक की स्थिति भी ठीक न हो तो इनका गृहस्थ जीवन दुखों का घर बन जाता है। देखा गया है कि पति पत्नी अकेले हो जाते हैं।
भाइयों से कम ही पटती है, क्योंकि भाइयों का कारक मंगल इसमें नीच फल का हैं यात्राएँ बहुत होती हैं तथा लगदायक ही होती हैं, स्थान परिवर्तन होता रहता है। व्यवसाय में सरकारी नौकरी, तरल पदार्थों का व्यवसाय, जज, मजिस्ट्रेट, ज्यूलर, कपड़े के व्यापारी, जमीन जयदाद क्रय, नर्स मेट्रिन, मन्त्री आदि भीबन जाते हैं।
स्वास्थ्य साधारणतया ठीक ही रहता है, फैकहे छाती, पेट घाव, चोट का अय, बिना की चिन्ता आदि कष्ट हो सकता है। दिन सोमवार, दूधियाँ सफेद रंग दो संख्या शुभ होती है 7- 14 की संख्या से प्रभावित होते हैं। मोती, मून स्टोन, 4-6, या 11 रत्ती चाँदी की अंगूठी में सोमवार विधि अनुसार धारण करना शुभ फलदायी होता हैं।
सिंह राशि विषम, पुरुष, स्थिर तथा अग्नि तत्त्व राशि है, स्वभाव क्रूर तथा पूर्व दिशा को ओर सूचित करता है। आकृति सिंह, नर सांकेतिक चिन्ह है। दिन बली तथ पर्वत आदि में विचरण स्थान है। इसका स्वामी सूर्य है। शानदार एवं दबदबे वाला व्यक्तित्त्व, मस्तक चौड़ा तथा कद औसत होता है। इनका शरीर सुगठित है, और हड्डियाँ मजबूत होती हैं। आँखे चमकदार तथा दृष्टि तीक्षण होती हैं।
सिंह राशि के जातक उदार, निडर स्वाभिमानी, इरादे के पक्के, सहासी, उत्साही उच्च अभिलाषी, धैर्यवान, महत्त्वाकांक्षी, स्नेही कृपालु, निष्ठावान, समय तथा ड्यूटी के बड़े पाबन्द होते हैं, तथा दूसरों की सहायता करने वाले होते है, क्रोध जल्दी आ जाता है। किन्तु अन्तरिक्त से किसी की हानी नहीं करना चाहते हैं। सिंह राशि के जातक खुशामद, चापलूसी, तथा अपनी बढ़ाई व गुणगान सुनकर पिघल जाते है।
पढ़ाई उच्च स्थर तक होती है। डॉक्टरी, विज्ञान, प्रबन्धकीय पढ़ाई इनकी लग्न है। उच्च तकनीकी शिक्षा में प्राप्त करते हैं, प्रेम, स्नेह, मैत्री इनकी स्थाई होती है, परिजनों भाई- बहनों के साथ निकटतम सम्बन्ध रखना चाहत है। किन्तु वे इनके साथ अच्छी तरह से पेशनहीं आते ये अपनी योग्यता से संस्थाओं के प्रधान बन जाते है। यदि सरकारी नौकरी में हो ती उच्च पद प्राप्त करते है।
व्यवसाय से उच्च नेता, राजनैतिक, मन्त्री मूल्यवान धातुओं का विक्रय क्रय, जौहरी, उच्च पद सरकारी नौकरी, शाशन सम्बन्धी डायरेक्टर, इन्जीनियर डॉक्टर सर्जन, सेना मेडिकल, आदि हो साकते है आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी रहती हैं। पैसा उपकार हेतु लगाते है।
वात रोग, तिली मसाना, गुर्दा, मूध-विकार एक्सीडेंट, हाईयों का टूटना, बवासीर आदि होने की सम्भावना रहती है। रविवार का दिन, नोरगी सुनहरा रंग तथा 1 की संख्या शुभ होती है। 2,4,7 की संख्या प्रभावित करती है। रत्न माणिक्य ढ़ाई रत्ती का सोने की अंगुली में सूर्योदय पर धारण करना शुभ होता है।
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कन्या राशि सम स्त्री एवं द्विस्वभाव प्रभाव राशि है। पृथ्वी तत्त्व सौम्य स्वभाव तथा दक्षिण दिशा की मालिक है प्रकृति बात तब सर्द शुष्क है। जाति वैश्य, रंग पांडुरंग हरा चितकबरा, राशि वली, द्विपद एवं सरल भूमि में विचरन वाली है I इसका स्वामी बुध है तथा यह अस्थिर स्वभाव की मालिक है। शरीर दुबला-पतला कद लम्बा पुरन्तु कई जातक छोटे कद के भी होते, घने काले बाल, छोटी आँखे नजर तेज, रंग साफ शरीर चिकना व कोमल होते हैं।
न्यायप्रिय दयालु, तथा हर का को ठण्डे मस्तिष्क से सोचत हैं। विचारशील बुद्धिमान, नम्रता वाले होते हैं। उलझन तथा समस्याओं की गुथी सुलझाने की इनमें पूर्ण छमता होती है। भाई बहन कई होते हैं। विचारों में असमनता के कारण तथा स्वभाव परिवर्तनशील होने के कारण परिजन कई बार नाराज हो जाते है। प्रेम सम्बन्ध में अड़चने आती हैI
सन्तान सुख मिलता है, सन्तान से कष्ट भ झेलना पड़ता है। पानी पशुओं एवं गाड़ियाँ आदि से बच कर रहना चाहिए। पढ़ाई उच्च स्तर की होती है। अपेन मस्तिष्क से ही पढ़ाई की मंजिले तय कर लेते है। यदि ग्रह स्थिति ठीक होती अवश्य उच्च शिक्षा प्राप्त करते हैं। अधिक पढ़े लिखे जातकों में विज्ञान के प्रति पूर्ण रुचि होती है। साधारण जातक व्यापार को बहुत पसन्द करते हैं।
व्यवसाय, चित्रकार, कवि, रचयिता, गणित आदि में चतुर होते है। डॉकटर ज्योतिष आडिटर, पक्षकार अध्यापक, राजदूत सहायक, सैक्रेटरी, सहायक नर्स, स्टाफ नर्स, फार्मासिस्ट, वकील हो तो सफल होते हैं। कन्या पृथ्वी तत्त्व राशि है, इसलिए इन जातकों का ध्यान धनोपार्जन की ओर बहुत होता है तथा धन एकत्र करने में लगे रहते हैं।
यात्राएँ बहुत होती हैं तथा जीवन में संघर्ष भी करना पड़ता है। विदेश यात्र होती है। घर वाहन युक्त होता है। रोग कम ही होते हैं। परन्तु बुध छठे घर में हो तो पत्नी बिमार रह सकती है। बुधवार का दिन, 5 की संख्या शुभ होती हैं। परन्तु संख्या 9 का विशेष प्रभाव देखा गया है। इसका रत्न पन्ना है यह तीन रत्ती, चाँदी या सोने में अंगुठी दाये हाथ की कनिष्का में पहनना शुभ हैं।
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यहां हमने कर्क, सिंह, और कन्या राशियों के बारे में एक संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया है जो इन राशियों की विशेषताओं, उनके स्वभाव के बारे में जानकारी देता है। यदि आप अपनी राशि के बारे में और अधिक जानना चाहते हैं, तो व्यक्तिगत ज्योतिष विशेषज्ञ से परामर्श करना फायदेमंद हो सकता है।
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Author : Nikita Sharma