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सावन 2025 में किस दिन पड़ेगा पहला सोमवार? जानें व्रत तिथियां

सावन 2025 में किस दिन पड़ेगा पहला सोमवार? जानें व्रत तिथियां
  • 30 Jun 2025
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किस दिन पड़ेगा सावन 2025 का पहला सोमवार? 

सावन मास को हिन्दू धर्म में विशेष स्थान प्राप्त है। यह महीना पूरी तरह भगवान शिव की भक्ति में लीन रहने का समय माना जाता है। भक्तजन इस दौरान शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं, व्रत रखते हैं और भगवान शिव से अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति की प्रार्थना करते हैं।

 

सावन विशेषकर शिव भक्तों के लिए अत्यंत पावन माना गया है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस मास में की गई आराधना शीघ्र फलदायी होती है। सावन में सोमवार का दिन सबसे महत्वपूर्ण होता है, जिसे “सावन सोमवार व्रत” के रूप में मनाया जाता है।

 

सावन 2025 की शुरुआत कब से होगी?

हिन्दू पंचांग के अनुसार जब सूर्य कर्क राशि में प्रवेश करता है, तब सावन मास की शुरुआत होती है।

 

  • सावन 2025 की तिथियां इस प्रकार होंगी:
  • सावन मास आरंभ: 11 जुलाई 2025 (शुक्रवार)
  • सावन मास समाप्त: 9 अगस्त 2025 (शनिवार)

 

यह संपूर्ण अवधि भगवान शिव की उपासना और व्रत के लिए उपयुक्त मानी जाती है।

 

पढ़ना न भूलें: ज्योतिष में ग्रह हमें कैसे प्रभावित करते हैं? यह भाग्य को कैसे आकार देता है

 

सावन 2025 में पहला सोमवार कब पड़ेगा?

  • सावन का पहला सोमवार 14 जुलाई 2025 को पड़ेगा। यह दिन व्रत रखने वालों के लिए अत्यंत शुभ माना गया है।
  • व्रत करने का शुभ समय:
  • प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें
  • सूर्योदय से पूर्व शिवलिंग पर जल, दूध या पंचामृत से अभिषेक करें
  • व्रत के दिन केवल फलाहार करें और शाम को शिव चालीसा या महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें

 

सावन सोमवार व्रत की तिथियां – 2025

सोमवारतिथिदिन
पहला14 जुलाई 2025सोमवार
दूसरा 21 जुलाई 2025सोमवार
तीसरा28 जुलाई 2025सोमवार
चौथा4 अगस्त 2025सोमवार

 

(ध्यान दें कि किसी क्षेत्रीय पंचांग अनुसार व्रत की तिथियां एक दिन आगे या पीछे हो सकती हैं।)

 

सावन सोमवार व्रत के नियम और विधि

व्रत करने से पहले कुछ नियमों का पालन आवश्यक है:

  • ब्रह्मचर्य का पालन करें
  • मांस, मदिरा और तामसिक भोजन से दूरी बनाएं
  • झूठ बोलने और क्रोध करने से बचें

 

पूजा विधि:

  • प्रातःकाल स्नान कर शिवलिंग का अभिषेक करें
  • बिल्वपत्र, अक्षत, धतूरा, आंकड़े के फूल, और सफेद वस्त्र अर्पित करें
  • ॐ नमः शिवाय” या “महामृत्युंजय मंत्र” का 108 बार जाप करें
  • दिन भर फलाहार करें और शाम को आरती करें

 

सावन सोमवार व्रत के लाभ

  • अविवाहितों को योग्य जीवनसाथी की प्राप्ति
  • विवाह में आने वाली बाधाओं का निवारण
  • मन की शांति और शुभ ग्रहों की स्थिति में सुधार
  • शिव कृपा से रोग, शोक और क्लेशों से मुक्ति

 

ये भी पढ़ें: वैदिक ज्योतिष में जन्म के समय राशियों का निर्धारण कैसे किया जाता है

 

ज्योतिषीय दृष्टिकोण से सावन और सोमवार व्रत

ज्योतिष में चंद्रमा मन का कारक होता है और भगवान शिव को चंद्रमा का स्वामी माना गया है। सावन सोमवार व्रत से मानसिक संतुलन, चंद्र दोष निवारण और ग्रहों की अनुकूलता प्राप्त होती है।

 

आपके लिए कौन सा सोमवार सबसे शुभ है?

यह आपकी कुंडली के चंद्रमा, लग्न और ग्रह स्थिति पर निर्भर करता है। जिनकी कुंडली में चंद्रमा पीड़ित हो या विवाह योग में बाधा हो, उनके लिए सावन में व्रत विशेष लाभदायक होता है।

 

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  • कुंडली देखकर व्रत की तारीख निर्धारित की जाती है
  • मनोकामना पूर्ति के लिए मंत्र, रत्न या विशेष उपाय बताए जाते हैं

 

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निष्कर्ष: सावन 2025 में किस दिन पड़ेगा पहला सोमवार

सावन सोमवार व्रत केवल एक धार्मिक क्रिया नहीं, बल्कि आत्मिक शुद्धि और मानसिक संतुलन का मार्ग है। भगवान शिव की आराधना के लिए यह सबसे श्रेष्ठ समय होता है।

 

2025 में यह व्रत करें कुंडली के अनुसार, ताकि आपको अधिकतम फल प्राप्त हो सके। यदि आप विवाह, करियर या मानसिक चिंता से जूझ रहे हैं, तो सावन व्रत आपके लिए संजीवनी हो सकता है।

 

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FAQs – अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

सावन सोमवार व्रत कितने सोमवार तक करना चाहिए?

कम से कम चार सोमवार और यदि संभव हो तो पूरे सावन मास के सभी सोमवारों तक व्रत करना उत्तम माना जाता है।

 

क्या महिलाएं और पुरुष दोनों व्रत कर सकते हैं?

हाँ, सावन सोमवार व्रत सभी कर सकते हैं – पुरुष, महिलाएं, अविवाहित, विवाहित और वृद्धजन।

 

क्या व्रत में फलाहार जरूरी है?

हाँ, परंतु व्यक्ति अपनी शारीरिक क्षमता और स्वास्थ्य के अनुसार फलाहार या केवल जल-फल व्रत रख सकता है।

 

क्या व्रत का असर कुंडली पर भी होता है?

हाँ, सावन सोमवार व्रत से ग्रहों की स्थिति में सुधार आता है और विशेष रूप से चंद्र, शुक्र व मंगल के दोष शांत होते हैं।

 

क्या सावन सोमवार व्रत केवल शादी के लिए होता है?

नहीं, यह व्रत मानसिक शांति, स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए भी किया जाता है। अविवाहितों के लिए विवाह के योग बनाने में सहायक होता है।

 

Author : Krishna

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