सावन मास को हिन्दू धर्म में विशेष स्थान प्राप्त है। यह महीना पूरी तरह भगवान शिव की भक्ति में लीन रहने का समय माना जाता है। भक्तजन इस दौरान शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं, व्रत रखते हैं और भगवान शिव से अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति की प्रार्थना करते हैं।
सावन विशेषकर शिव भक्तों के लिए अत्यंत पावन माना गया है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस मास में की गई आराधना शीघ्र फलदायी होती है। सावन में सोमवार का दिन सबसे महत्वपूर्ण होता है, जिसे “सावन सोमवार व्रत” के रूप में मनाया जाता है।
हिन्दू पंचांग के अनुसार जब सूर्य कर्क राशि में प्रवेश करता है, तब सावन मास की शुरुआत होती है।
यह संपूर्ण अवधि भगवान शिव की उपासना और व्रत के लिए उपयुक्त मानी जाती है।
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सोमवार | तिथि | दिन |
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पहला | 14 जुलाई 2025 | सोमवार |
दूसरा | 21 जुलाई 2025 | सोमवार |
तीसरा | 28 जुलाई 2025 | सोमवार |
चौथा | 4 अगस्त 2025 | सोमवार |
(ध्यान दें कि किसी क्षेत्रीय पंचांग अनुसार व्रत की तिथियां एक दिन आगे या पीछे हो सकती हैं।)
व्रत करने से पहले कुछ नियमों का पालन आवश्यक है:
पूजा विधि:
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ज्योतिष में चंद्रमा मन का कारक होता है और भगवान शिव को चंद्रमा का स्वामी माना गया है। सावन सोमवार व्रत से मानसिक संतुलन, चंद्र दोष निवारण और ग्रहों की अनुकूलता प्राप्त होती है।
आपके लिए कौन सा सोमवार सबसे शुभ है?
यह आपकी कुंडली के चंद्रमा, लग्न और ग्रह स्थिति पर निर्भर करता है। जिनकी कुंडली में चंद्रमा पीड़ित हो या विवाह योग में बाधा हो, उनके लिए सावन में व्रत विशेष लाभदायक होता है।
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सावन सोमवार व्रत केवल एक धार्मिक क्रिया नहीं, बल्कि आत्मिक शुद्धि और मानसिक संतुलन का मार्ग है। भगवान शिव की आराधना के लिए यह सबसे श्रेष्ठ समय होता है।
2025 में यह व्रत करें कुंडली के अनुसार, ताकि आपको अधिकतम फल प्राप्त हो सके। यदि आप विवाह, करियर या मानसिक चिंता से जूझ रहे हैं, तो सावन व्रत आपके लिए संजीवनी हो सकता है।
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कम से कम चार सोमवार और यदि संभव हो तो पूरे सावन मास के सभी सोमवारों तक व्रत करना उत्तम माना जाता है।
हाँ, सावन सोमवार व्रत सभी कर सकते हैं – पुरुष, महिलाएं, अविवाहित, विवाहित और वृद्धजन।
हाँ, परंतु व्यक्ति अपनी शारीरिक क्षमता और स्वास्थ्य के अनुसार फलाहार या केवल जल-फल व्रत रख सकता है।
हाँ, सावन सोमवार व्रत से ग्रहों की स्थिति में सुधार आता है और विशेष रूप से चंद्र, शुक्र व मंगल के दोष शांत होते हैं।
नहीं, यह व्रत मानसिक शांति, स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए भी किया जाता है। अविवाहितों के लिए विवाह के योग बनाने में सहायक होता है।
Author : Krishna
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