भारत में मासिक शिवरात्रि एक ऐसा अवसर है जो हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को आता है। यह दिन केवल धार्मिक दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक, मानसिक और ज्योतिषीय लाभों के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा, विशेष रूप से शिवलिंग अभिषेक और मंत्र जाप, जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकता है। यह न केवल शांति देता है, बल्कि ग्रह दोषों से मुक्ति और जीवन में समृद्धि भी प्रदान करता है।
आइए समझते हैं मास शिवरात्रि का महत्व, अभिषेक की विधि और मंत्र जाप से मिलने वाले लाभ।
मास शिवरात्रि को हर महीने आने वाली वह शुभ रात्रि माना जाता है जब चंद्रमा और भगवान शिव की ऊर्जा का संगम होता है। इस रात को की गई पूजा विशेष फलदायी होती है।
मास शिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर अभिषेक करना अत्यंत शुभ माना जाता है। अभिषेक का अर्थ है भगवान शिव को शुद्धता और भक्ति के साथ स्नान कराना।
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मंत्र जाप से आत्मिक और मानसिक शक्ति में वृद्धि होती है। खासकर इस दिन यदि शिव के प्रिय मंत्रों का जप किया जाए तो परिणाम अत्यंत सकारात्मक होते हैं।
मास शिवरात्रि पर रुद्राभिषेक और विशेष पूजा करने से जीवन में चल रही बाधाएं कम होती हैं।
जिनकी कुंडली में मांगलिक दोष, पितृ दोष, या कालसर्प दोष है – उनके लिए यह दिन विशेष लाभकारी माना जाता है।
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इस दिन पूजन का एक विशेष नियम और विधि होती है, जिसका पालन करने से ही शुभ फल प्राप्त होते हैं।
हर व्यक्ति की कुंडली में ग्रहों की स्थिति अलग होती है, इसलिए कुंडली के अनुसार पूजा और मंत्र जाप करना अधिक फलदायक होता है।
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मास शिवरात्रि केवल धार्मिक अनुष्ठान का दिन नहीं, बल्कि आत्मिक जागरण, ग्रह दोष निवारण और जीवन की नई दिशा प्राप्त करने का अवसर है। यदि इस दिन सही विधि से शिवलिंग अभिषेक और मंत्र जाप किया जाए तो न केवल मानसिक शांति मिलती है, बल्कि कई समस्याएं स्वतः ही दूर होने लगती हैं।
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"ॐ नमः शिवाय" और "महामृत्युंजय मंत्र" दो सबसे प्रमुख और प्रभावशाली मंत्र हैं।
हां, विशेषकर शनि, राहु, केतु और मांगलिक दोष जैसे ग्रह दोषों के निवारण में रुद्राभिषेक अत्यंत लाभकारी होता है।
शिवलिंग पर दूध चढ़ाना शुभ होता है, लेकिन ध्यान रखें कि दूध शुद्ध और ताजगीपूर्ण हो।
कुंडली में ग्रहों की स्थिति देखकर ही पूजा की सामग्री, मंत्र, और अभिषेक विधि निर्धारित की जाती है। इसके लिए अनुभवी ज्योतिषी से सलाह लेना उचित होता है।
यह व्रत श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है। उपवास रखने से मन और शरीर दोनों शुद्ध होते हैं, लेकिन यह पूरी तरह आपकी आस्था और स्वास्थ्य पर निर्भर करता है।
Author : Krishna
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