हिंदू संस्कृति में विवाह से पहले कुंडली मिलान एक परंपरागत और महत्वपूर्ण प्रक्रिया मानी जाती है। यह न केवल दो लोगों की संगति को दर्शाती है, बल्कि उनके वैवाहिक जीवन की स्थिरता, स्वास्थ्य, संतान योग और आर्थिक स्थिति पर भी प्रभाव डालती है।
अक्सर लोगों के मन में सवाल होता है – क्या 32 गुण मिलना पर्याप्त है? क्या 36 में से 36 गुण मिलना जरूरी है? आइए जानते हैं इसका सही महत्व और वैज्ञानिक दृष्टिकोण।
कुंडली मिलान को वैदिक ज्योतिष में अष्टकूट मिलान कहते हैं, जिसमें वर और वधू की जन्म कुंडलियों के आधार पर 36 गुणों का मिलान किया जाता है।
अष्टकूट के आठ मुख्य घटक होते हैं:
इन सभी के आधार पर कुल 36 अंकों में से अंक मिलाए जाते हैं।
ज्योतिष के अनुसार, गुण मिलान का यह सामान्य मापदंड है:
यह जरूरी नहीं कि 36 में से 36 गुण मिलें। 32 गुण मिलना भी वैवाहिक सुख के लिए पर्याप्त माना जाता है, जब तक कोई गंभीर दोष न हो।
हालांकि सभी गुण मायने रखते हैं, लेकिन नाड़ी दोष और भकूट दोष विशेष रूप से महत्वपूर्ण माने जाते हैं।
कूट | अधिकतम अंक | महत्व |
---|---|---|
नाड़ी | 8 | संतान योग |
भकूट | 7 | दांपत्य सुख |
गण | 6 | स्वभाव संगति |
ग्रह मैत्री | 5 | मानसिक मेल |
योनि | 4 | शारीरिक अनुकूलता |
यह प्रश्न बहुत सामान्य है, खासकर तब जब गुणों की संख्या न बहुत कम हो और न ही बहुत अधिक। ज्योतिष के अनुसार, 36 में से 21 गुण मिलना एक औसत लेकिन स्वीकार्य मिलान माना जाता है।
यदि वर और वधू के गुण 21 के आसपास हैं, तो यह संकेत देता है कि दोनों के बीच सामान्य स्तर पर संगति संभव है। हालाँकि, केवल अंक पर निर्भर रहना सही नहीं होता।
इस स्थिति में ध्यान देने योग्य बातें:
21 गुण मिलना शादी के लिए ठीक माना जा सकता है, लेकिन दोषों का विश्लेषण और अनुभवी ज्योतिषी की सलाह लेना ज़रूरी है।
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यदि गुण कम मिलते हैं या कोई दोष पाया जाता है, तो घबराने की जरूरत नहीं है। कुछ सरल उपाय और धार्मिक अनुष्ठान के माध्यम से निवारण किया जा सकता है:
इसके अलावा, अनुभवी ज्योतिषी से सलाह लेना जरूरी होता है ताकि वैवाहिक जीवन में बाधाएं दूर हो सकें।
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कुंडली मिलान एक महत्वपूर्ण आधार है, लेकिन एक सफल विवाह के लिए भावनात्मक समझदारी, पारिवारिक सामंजस्य और सांस्कृतिक मेलजोल भी उतना ही जरूरी है।
कई बार लोग 36 में से 30+ गुण मिलते हुए भी अलग हो जाते हैं, और कभी-कभी 18-20 गुण के बाद भी जीवन सुखमय चलता है। इसलिए निर्णय सोच-समझकर और ज्योतिषीय मार्गदर्शन के साथ लें।
अगर आप विवाह की योजना बना रहे हैं, तो कुंडली मिलान अवश्य कराना चाहिए। 18 से कम गुण मिलने पर सावधानी बरतनी चाहिए, लेकिन 25 से ऊपर गुण मिलते हैं तो विवाह के योग शुभ माने जाते हैं।
32 गुण मिलना एक उत्तम संकेत है, लेकिन कुंडली के दोषों का समाधान और सलाह अनिवार्य है।
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विवाह के लिए न्यूनतम 18 गुणों का मिलना जरूरी है, लेकिन 25 या उससे अधिक गुण मिलना शुभ होता है।
18 गुण मिलना ज्योतिषीय रूप से स्वीकार्य है, लेकिन इसमें सावधानी बरतनी चाहिए और विशेषज्ञ की सलाह लेनी चाहिए।
विशेष पूजन, मंत्र जाप और वैदिक उपायों से दोषों को कम किया जा सकता है। अनुभवी ज्योतिषी की सलाह लें।
जी हां, लव मैरिज में भी कुंडली मिलान से वैवाहिक जीवन की स्थिरता और समस्याओं का पूर्व आकलन किया जा सकता है।
नाड़ी, भकूट, या मांगलिक दोष वैवाहिक जीवन में स्वास्थ्य, संतान, और समझदारी संबंधी समस्याएं ला सकते हैं।
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Author : Krishna
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