हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व माना जाता है। साल में कुल 24 एकादशी आती हैं, और हर एक का अपना अलग ही महत्व और मान्यताएं हैं। इनमें से योगिनी एकादशी का व्रत अपने अनोखे प्रभाव और लाभों के लिए जाना जाता है। आइए, इस लेख में हम 2 जुलाई 2024 को आने वाली योगिनी एकादशी के बारे में विस्तार से जानें, जिसमें इसकी तिथि, शुभ मुहूर्त, और पूजा विधि शामिल हैं।
योगिनी एकादशी का व्रत भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को समर्पित होता है। इस व्रत को करने से कई तरह के लाभ मिलने की मान्यता है, जैसे:
मोक्ष की प्राप्ति: ऐसा माना जाता है कि योगिनी एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है और वह जीवन-मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाता है।
सुख-समृद्धि की प्राप्ति: इस व्रत को करने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है, जिससे जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।
मनोवांछित फल की प्राप्ति: अगर आप किसी खास चीज की इच्छा रखते हैं, तो योगिनी एकादशी का व्रत करके भगवान से प्रार्थना करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति हो सकती है।
पापों का नाश: कहते हैं कि इस व्रत के प्रभाव से अनजाने में किए गए पापों का नाश होता है और मन शुद्ध होता है।
स्वास्थ्य लाभ: ऐसा भी माना जाता है कि योगिनी एकादशी का व्रत करने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य अच्छा रहता है।
एकादशी तिथि प्रारंभ: 1 जुलाई 2024, शनिवार, सुबह 10 बजकर 26 मिनट
एकादशी तिथि समाप्त: 2 जुलाई 2024, रविवार, सुबह 08 बजकर 42 मिनट
पारण का समय: 3 जुलाई 2024, सोमवार, सुबह 07 बजकर 19 मिनट से सुबह 09 बजकर 51 मिनट के बीच
व्रत संकल्प: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। इसके बाद भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का ध्यान करते हुए व्रत करने का संकल्प लें।
पूजा की तैयारी: एक साफ चौकी पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद दीपक, अगरबत्ती, फल, फूल, मिठाई आदि पूजा सामग्री रखें।
पूजा का विधान: सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें। इसके बाद भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का आह्वान करें और उन्हें धप, अक्षत, चंदन, पुष्प आदि अर्पित करें। भगवान को भोग लगाएं और स्तुति करें।
मंत्र जाप: "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" या "ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः" मंत्र का जाप करें।
कथा श्रवण: योगिनी एकादशी से जुड़ी कथा का श्रवण करें या पढ़ें।
व्रत का पारण: अगले दिन पारण करने से पहले पूजा करें और फिर फलाहार ग्रहण करें। इसके बाद ही अनाज का भोजन करें।
नियम का पालन: एकादशी व्रत के दौरान कुछ नियमों का पालन करना ज़रूरी होता है। इनमें सात्विक भोजन करना, शराब और मांसाहार से परहेज़ करना, झूठ न बोलना, क्रोध पर नियंत्रण रखना, चोरी न करना, किसी की बुराई न करना आदि शामिल हैं।
सात्विक भोजन: व्रत के दौरान फल, दूध, दही, मेवे, साबूदाना आदि सात्विक भोजन का ही सेवन करें। खाने में लहसुन, प्याज, मसूर की दाल और तीखे मसालों का प्रयोग न करें।
जागरण करना: मान्यता है कि योगिनी एकादशी की रात जागरण करना शुभ होता है। इस दौरान भगवान का ध्यान करना, कीर्तन करना या भजन गाना कर सकते हैं।
दान का महत्व: व्रत के दौरान दान-दक्षिणा का विशेष महत्व होता है। गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र आदि का दान करना शुभ माना जाता है।
स्वास्थ्य का ध्यान रखें: अगर आप किसी बीमारी से ग्रस्त हैं या गर्भवती हैं, तो व्रत रखने से पहले डॉक्टर की सलाह लें।
योगिनी एकादशी का व्रत आत्मिक शुद्धि और भगवान की कृपा प्राप्त करने का एक उत्तम अवसर है। इस व्रत को श्रद्धापूर्वक करने से कई तरह के लाभ मिल सकते हैं। उम्मीद है, इस लेख में दी गई जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी। शुभ योगिनी एकादशी!
क्या योगिनी एकादशी के दिन पानी पी सकते हैं?
हां, एकादशी के दिन पानी पी सकते हैं। यह ज़रूरी है कि आप हाइड्रेट रहें। हालांकि, कुछ लोग केवल गर्म पानी पीना पसंद करते हैं।
योगिनी एकादशी व्रत कब तक रखना चाहिए?
आप अपनी क्षमतानुसार व्रत रख सकते हैं। कुछ लोग पूरा दिन व्रत रखते हैं, तो कुछ लोग शाम को फलाहार कर लेते हैं। अगले दिन पारण करने से पहले ही भोजन ग्रहण करना चाहिए।
एकादशी के दिन क्या नहीं करना चाहिए?
एकादशी के दिन बाल नहीं कटवाना चाहिए, दाढ़ी नहीं बनानी चाहिए, शारीरिक संबंध नहीं बनाने चाहिए और क्रोध नहीं करना चाहिए। इसके अलावा, तामसिक भोजन, शराब और मांसाहार का सेवन नहीं करना चाहिए।
क्या योगिनी एकादशी के दिन यात्रा करना शुभ होता है?
कुछ मान्यताओं के अनुसार, एकादशी के दिन यात्रा करना शुभ नहीं माना जाता है। लेकिन अगर ज़रूरी हो, तो यात्रा कर सकते हैं। यात्रा से पहले भगवान विष्णु का ध्यान करें और उनसे यात्रा सुखमय बनाने की प्रार्थना करें।
योगिनी एकादशी का व्रत किन राशियों के लिए खास होता है?
ऐसा माना जाता है कि मेष, वृष और मिथुन राशि के जातकों के लिए योगिनी एकादशी का व्रत करना विशेष रूप से लाभकारी होता है। हालांकि, सभी राशियों के लोग इस व्रत को करके लाभ उठा सकते हैं।
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