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वरलक्ष्मी व्रत 2024: तिथि और महत्व

वरलक्ष्मी व्रत 2024: तिथि और महत्व
  • 28 Feb 2024
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वरलक्ष्मी व्रत 2024

वरलक्ष्मी व्रत, जिसे आषाढ़ शुक्ला द्वितीया के रूप में भी जाना जाता है, सुहागिन महिलाओं द्वारा मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है। इस वर्ष, यह उत्सव 16 अगस्त 2024 को पड़ रहा है। यह लेख आपको वरलक्ष्मी व्रत के महत्व, पूजा मुहूर्त, और विधि के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करेगा।

 

वरलक्ष्मी व्रत का महत्व

वरलक्ष्मी व्रत को धन, समृद्धि, सुख-शांति और परिवार के कल्याण के लिए किया जाता है। माना जाता है कि देवी वरलक्ष्मी, जो देवी लक्ष्मी का ही एक रूप हैं, इस दिन विशेष रूप से कृपा बरसाती हैं। व्रत करने वाली महिलाएं देवी वरलक्ष्मी की विधिवत पूजा करके उनके आशीर्वाद प्राप्त करती हैं।

 

इस व्रत का महत्व और भी विशेष इसलिए है क्योंकि यह विवाहित महिलाओं के स्वयं के सुख-शांति के साथ-साथ उनके परिवार के लिए भी किया जाता है। यह पति की लंबी आयु, संतान सुख, और परिवार में समृद्धि की कामना भी करता है।

 

वरलक्ष्मी व्रत 2024 के लिए पूजा मुहूर्त

 

सूर्योदय मुहूर्त: प्रातः 06:20 से 08:19 तक

सिंह लग्न पूजा मुहूर्त: प्रातः 06:20 से 08:19 तक

वृश्चिक लग्न पूजा मुहूर्त: दोपहर 12:20 से 02:30 बजे तक

कुंभ लग्न पूजा मुहूर्त: सायं 06:34 से रात्रि 08:20 बजे तक

 

आप अपनी सुविधा के अनुसार उपरोक्त किसी भी मुहूर्त में पूजा कर सकते हैं। हालांकि, ज्योतिषियों की सलाह ली जा सकती है कि आपके लिए कौन सा मुहूर्त सबसे शुभ रहेगा।

 

वरलक्ष्मी व्रत की पूजा विधि

 

व्रत प्रारंभ: व्रत से एक दिन पहले या सुबह स्नानादि करके साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को साफ करें और सजाएं।

 

कलावा बांधना: पूजा से पहले महिलाएं अपने दाएं हाथ में कलावा बांधती हैं।

 

आमंत्रण: देवी वरलक्ष्मी को पंचामृत, धूप, दीप आदि से आमंत्रित करें।

 

कलश स्थापना: मिट्टी या तांबे का कलश स्थापित करें और उसमें गंगाजल भरकर आम और मौली से सजाएं।

 

आसन स्थापना: कलश के सामने देवी वरलक्ष्मी की प्रतिमा या तस्वीर रखें और उनके लिए आसन बिछाएं।

 

वरलक्ष्मी व्रत 2024

 

षोडशोपचार पूजा: देवी वरलक्ष्मी को स्नान कराएं, वस्त्र चढ़ाएं, आभूषण पहनाएं, सिंदूर लगाएं, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, फल, मिठाई आदि चढ़ाएं।

 

मंत्र जाप: "ॐ श्रीं वरलक्ष्म्यै नमः" मंत्र का जाप करें।

 

कथा वाचन: वरलक्ष्मी माता की कथा सुनें या पढ़ें।

 

आरती: देवी वरलक्ष्मी की आरती करें।

 

पारायण: पूजा के अंत में व्रत कथा का पारायण करें।

 

प्रसाद वितरण: भोजन बनाकर भगवान को भोग लगाएं और फिर प्रसाद ग्रहण करें।

 

वरलक्ष्मी व्रत के कुछ महत्वपूर्ण टिप्स

 

व्रत रखने वाली महिलाएं पूरे दिन सात्विक भोजन का ही सेवन करें।

 

इस दिन किसी से झगड़ा या विवाद न करें और सकारात्मक रहें।

 

पूजा सामग्री साफ-सुथरी हो और पूजास्थल को भी साफ रखें।

 

मन से पूजा करें और देवी वरलक्ष्मी का ध्यान करें।

 

पूजा के बाद ब्राह्मणों को भोजन या दक्षिणा देना शुभ माना जाता है।

 

अपने परिवार के साथ मिलकर व्रत मनाएं और व्रत कथा सुनें।

 

निष्कर्ष: वरलक्ष्मी व्रत 2024

इस लेख में हमने वरलक्ष्मी व्रत के महत्व, पूजा मुहूर्त, और विधि के बारे में जानकारी प्रदान की है। वरलक्ष्मी व्रत को धन, समृद्धि, और परिवार के कल्याण के लिए मनाया जाता है। इस व्रत की पूजा के लिए विभिन्न मुहूर्त होते हैं, जिनमें से आप अपनी सुविधा के अनुसार चुन सकते हैं। पूजा में विधिवत उपचार करके, मंत्र जाप करके, और आरती द्वारा देवी वरलक्ष्मी की कृपा को प्राप्त किया जा सकता है। यह व्रत महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है, जो समृद्धि और सुख-शांति की कामना करती हैं।

 

वरलक्ष्मी व्रत 2024 से जुड़े सवाल और उनके जवाब

 

क्या पुरुष भी वरलक्ष्मी व्रत रख सकते हैं?

परंपरागत रूप से यह व्रत महिलाएं ही रखती हैं, लेकिन कुछ जगहों पर पुरुष भी अपनी पत्नी के साथ मिलकर पूजा में शामिल होते हैं।

 

व्रत के दौरान क्या नहीं खाना चाहिए?

इस व्रत में तामसिक भोजन, मांस, मछली, शराब आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। सात्विक भोजन जैसे फल, सब्जियां, दूध, दही आदि का सेवन करना उचित रहता है।

 

क्या सिंगल महिलाएं भी वरलक्ष्मी व्रत रख सकती हैं?

कुछ क्षेत्रों में अविवाहित महिलाएं भी वरलक्ष्मी व्रत रखती हैं। हालांकि, पारंपरिक रूप से यह विवाहित महिलाओं का व्रत है।

 

वरलक्ष्मी व्रत की कथा का क्या महत्व है?

कथा के माध्यम से देवी वरलक्ष्मी की महिमा और उनके आशीर्वाद के बारे में बताया जाता है। इससे व्रत करने वाली महिलाओं को प्रेरणा मिलती है और उनकी श्रद्धा बढ़ती है।

 

वरलक्ष्मी व्रत के क्या लाभ हैं?

इस व्रत को करने से धन-समृद्धि, सुख-शांति, पारिवारिक कल्याण, संतान सुख, पति की लंबी आयु आदि की प्राप्ति होती है। साथ ही, इससे महिलाओं को आत्मबल और धार्मिक आस्था भी मिलती है।

 

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