हिंदू धर्म में श्रावण मास का विशेष महत्व है। इस पवित्र महीने में श्रद्धालु भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं और व्रत रखते हैं। श्रावण मास की पूर्णिमा को श्रावण पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है, जो इस वर्ष 19 अगस्त 2024 को पड़ रही है।
इस ब्लॉग में, हम आपको श्रावण पूर्णिमा की तिथि, व्रत मुहूर्त और इसके धार्मिक महत्व के बारे में विस्तार से बताएंगे। साथ ही, हम आपको रक्षाबंधन के साथ इस तिथि के खास संयोग के बारे में भी जानकारी देंगे।
2024 श्रावण पूर्णिमा की तिथि इस वर्ष 19 अगस्त, सोमवार को सुबह 3 बजकर 07 मिनट से शुरू होगी और सोमवार रात 11 बजकर 57 मिनट पर समाप्त होगी। भक्त आमतौर पर सूर्योदय से चंद्रोदय तक व्रत रखते हैं।
श्रावण पूर्णिमा के दिन भक्त सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करते हैं और स्वच्छ वस्त्र धारण करते हैं। इसके बाद भगवान शिव का पंचामृत से अभिषेक किया जाता है। बेलपत्र, धतूरा, आक के फूल, भांग और शहद जैसे भगवान शिव के प्रिय प्रसाद चढ़ाए जाते हैं। भक्त "ओम नमः शिवाय" मंत्र का जाप करते हैं और शिव चालीसा का पाठ करते हैं। शाम को चंद्रमा निकलने के बाद चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है। कुछ भक्त रात्रि जागरण भी करते हैं और भजन-कीर्तन करते हैं।
इस वर्ष श्रावण पूर्णिमा के साथ एक खास संयोग यह है कि रक्षाबंधन का त्योहार भी उसी दिन (19 अगस्त 2024) मनाया जा रहा है। यह संयोग करीब 49 साल बाद बन रहा है। इससे पहले ऐसा संयोग 1975 में बना था। रक्षाबंधन के दिन बहनें अपने भाइयों को राखी बांधकर उनकी रक्षा का वचन लेती हैं और भाई बहनों की रक्षा का वादा करते हैं। इस तिथि पर मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना होती है और श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रहती है।
श्रावण पूर्णिमा का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। इस दिन को भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह की तिथि के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। साथ ही, श्रावण पूर्णिमा के दिन व्रत रखने से पुण्य की प्राप्ति होती है और पापों का नाश होता है।
अविवाहित लड़कियों के लिए श्रावण पूर्णिमा का दिन बहुत खास होता है। इस दिन कुंवारी कन्याएं भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए पूजा-अर्चना करती हैं और अच्छे वर की प्राप्ति के लिए कामना करती हैं।
श्रावण पूर्णिमा का दिन आध्यात्मिक उन्नति और मोक्ष प्राप्ति का अवसर प्रदान करता है। इस दिन भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए पूजा-अर्चना, व्रत और जप का विशेष महत्व है। भगवान शिव की कृपा से जीवन में शांति, सुख और समृद्धि आती है।
श्रावण पूर्णिमा के दिन क्या पूजा-अर्चना की जाती है?
भगवान शिव का पंचामृत से अभिषेक और मंत्र जप किया जाता है।
रक्षाबंधन और श्रावण पूर्णिमा के एक ही दिन मनाने का क्या महत्व है?
इस वर्ष दो त्योहार एक ही दिन मना जा रहे हैं, जिसका खास महत्व है।
अविवाहित लड़कियों के लिए श्रावण पूर्णिमा का महत्व क्या है?
श्रावण पूर्णिमा के दिन अविवाहित लड़कियां भगवान शिव की कृपा के लिए पूजा-अर्चना करती हैं।
श्रावण पूर्णिमा के दिन कैसा व्रत रखा जाता है?
सूर्योदय से चंद्रोदय तक व्रत रखा जाता है, भगवान शिव का पूजन, मंत्र जप, और शिव चालीसा का पाठ किया जाता है।
श्रावण पूर्णिमा का आध्यात्मिक महत्व क्या है?
इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह की तिथि है, और इसे मनाने से आध्यात्मिक उन्नति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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