हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक, रक्षाबंधन, भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का जश्न मनाता है। हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाने वाला यह उत्सव प्यार, कर्तव्य और सुरक्षा के बंधन को मजबूत करता है। इस साल रक्षाबंधन 19 अगस्त 2024, सोमवार को मनाया जाएगा। आइए, इस लेख में हम रक्षाबंधन की तिथि, महत्व, शुभ मुहूर्त और मनाने की विधि के बारे में विस्तार से जानें।
रक्षाबंधन तिथि: 19 अगस्त 2024, सोमवार
श्रावण पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 18 अगस्त 2024, रविवार, सुबह 03 बजकर 04 मिनट
श्रावण पूर्णिमा तिथि समाप्त: 19 अगस्त 2024, सोमवार, सुबह 11 बजकर 55 मिनट
अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11 बजकर 48 मिनट से दोपहर 12 बजकर 36 मिनट तक
विजय मुहूर्त: दोपहर 2 बजकर 39 मिनट से शाम 3 बजकर 31 मिनट तक
अमृता योग: सुबह 06 बजकर 11 मिनट से दोपहर 02 बजकर 26 मिनट तक
भद्रा पूर्वा: 18 अगस्त 2024, सुबह 06 बजकर 56 मिनट से सुबह 09 बजकर 10 मिनट तक
भद्रा मुख: 19 अगस्त 2024, सुबह 10 बजकर 53 मिनट से दोपहर 12 बजकर 37 मिनट तक
रक्षाबंधन का शाब्दिक अर्थ है "रक्षा का बंधन"। यह त्योहार इस बात का प्रतीक है कि कैसे एक बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर उसकी रक्षा का संकल्प लेती है, और बदले में भाई अपनी बहन के कल्याण और सुरक्षा का वचन देता है। रक्षाबंधन का महत्व न केवल भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत करता है, बल्कि सामाजिक समरसता और भाईचारे का भी संदेश देता है।
रक्षाबंधन मनाने की विधि
रक्षाबंधन मनाने की विधि सरल है, लेकिन इसमें गहरा अर्थ छिपा होता है:
स्नान और पूजा: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और पूजा-पाठ करें। भगवान विष्णु और माता पार्वती का आशीर्वाद लें।
थाली तैयार करें: एक थाली सजाएँ जिसमें राखी, रोली, चंदन, मिठाई, अक्षत और आरती की सामग्री रखें।
राखी बांधना: बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधें, उन्हें रोली और चंदन लगाएं और उनकी आरती करें। इस दौरान मंगल गीत गाएं और भाई-बहन की सुरक्षा और कल्याण की कामना करें।
भाई का वचन: भाई अपनी बहनों को उपहार दें और उनकी रक्षा का वचन लें।
दक्षिण भारत में, रक्षाबंधन को "अवनी अविट्टम" के नाम से जाना जाता है। यहां, बहनें न केवल भाइयों को, बल्कि अपने चचेरे भाइयों और पुरुष मित्रों को भी राखी बांधती हैं। मराठी समाज में, "नारियल पूजा" नामक विधि होती है, जिसमें भगवान गणेश और शिव की पूजा की जाती है। गुजरात में, रक्षाबंधन का उत्सव "राखड़ी पूनम" के रूप में मनाया जाता है। यहां, रंग-बिरंगी मिट्टी, आटे और घी से बनी मूर्तियों को सजाया जाता है और बहनें भाइयों की कलाई पर इन मूर्तियों से बनी राखी बांधती हैं।
रक्षाबंधन का एक खास हिस्सा है उपहारों का आदान-प्रदान। भाई अपनी बहनों को उनकी पसंद के उपहार देते हैं, यह उन्हें प्यार और सम्मान जताने का तरीका होता है। उपहार के रूप में मिठाई, कपड़े, गहने, प्रसाधन सामग्री, किताबें, पौधे आदि चुने जा सकते हैं। बहनें भी भाइयों को उनकी पसंद के हिसाब से उपहार दे सकती हैं।
रक्षाबंधन प्यार, कर्तव्य, सुरक्षा और भाई-बहन के अटूट बंधन का प्रतीक है। यह त्योहार हमें यह याद दिलाता है कि भाई-बहन एक दूसरे के कितने महत्वपूर्ण होते हैं। इस शुभ अवसर पर भाई-बहन मिलकर जश्न मनाएं, उपहारों का आदान-प्रदान करें, और अपने रिश्ते को और मजबूत बनाएं।
कुछ पंचांगों के अनुसार भद्रा काल में राखी बांधना शुभ नहीं माना जाता है। लेकिन कुछ अन्य मान्यताओं के अनुसार आप भद्रा पूर्वा के दौरान राखी बांध सकते हैं। भद्रा मुख को अशुभ माना जाता है, इसलिए इस दौरान राखी बांधने से बचना चाहिए।
बिल्कुल! रक्षाबंधन सिर्फ अविवाहित भाई-बहनों के लिए ही नहीं है। विवाहित महिलाएं भी अपने भाइयों को राखी बांध सकती हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकती हैं।
आज के दौर में टेक्नोलॉजी की मदद से आप दूर रहकर भी रक्षाबंधन का जश्न मना सकते हैं। वीडियो कॉल करें, राखी को डाक से भेजें, या ऑनलाइन गिफ्ट भेजें।
राखी का डिजाइन आपके भाई की पसंद और व्यक्तित्व को ध्यान में रखकर बनाएं। प्राकृतिक सामग्री जैसे कपास, रेशम, मोती आदि का इस्तेमाल करें।
अपने भाई-बहन को उनके महत्व का एहसास कराएं। उन्हें बताएं कि आप उनसे कितना प्यार करते हैं और उनकी हमेशा परवाह करेंगे। अपने रिश्ते को बनाए रखने का वादा करें और उनकी खुशियों की कामना करें।
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