शरद पूर्णिमा हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जिसे पूरे भारत में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, जो आमतौर पर अक्टूबर या नवंबर के महीने में पड़ता है।
शरद पूर्णिमा के दिन कई तरह के अनुष्ठान किए जाते हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख इस प्रकार हैं:
लक्ष्मी पूजा: इस दिन धन और समृद्धि की देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। लोग अपने घरों में दीप जलाते हैं और देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए विशेष पूजा करते हैं।
खीर बनाना: शरद पूर्णिमा के दिन खीर बनाने की परंपरा है। चावल, दूध, चीनी और मेवों से बनी खीर का भोग भगवान को लगाया जाता है और बाद में प्रसाद के रूप में बांटा जाता है।
दुर्गा पूजा: कुछ क्षेत्रों में, शरद पूर्णिमा के दिन दुर्गा पूजा का भी आयोजन किया जाता है।
अन्नकूट: कुछ समुदायों में शरद पूर्णिमा के दिन अन्नकूट का त्योहार भी मनाया जाता है, जिसमें विभिन्न प्रकार के व्यंजनों का भोग भगवान को लगाया जाता है।
शरद पूर्णिमा के दिन कुछ खास समय होते हैं, जिनका विशेष महत्व माना जाता है:
उपवास: कुछ लोग शरद पूर्णिमा उपवास उपवास रखते हैं और शाम को चंद्रोदय के बाद ही भोजन ग्रहण करते हैं।
पूजा का समय: शरद पूर्णिमा की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम को चंद्रोदय के बाद होता है। इस वर्ष चंद्रोदय का समय शाम 7:44 बजे है।
कौमुदी स्नान: शरद पूर्णिमा की रात को चांद की रोशनी में स्नान करना बहुत शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इससे व्यक्ति के शरीर और मन दोनों को शुद्धता मिलती है।
शरद पूर्णिमा का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है। इस दिन कई तरह की मान्यताएं और परंपराएं जुड़ी हुई हैं। आइए जानते हैं शरद पूर्णिमा के महत्व के बारे में:
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शरद पूर्णिमा के दिन कुछ खास उपाय किए जाते हैं, जिनके बारे में माना जाता है कि इससे शुभ फल प्राप्त होते हैं। आइए जानते हैं उनमें से कुछ उपायों के बारे में:
चावल से भरे घड़े की पूजा: कुछ लोग शरद पूर्णिमा के दिन चावल से भरे घड़े की पूजा करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इससे घर में धन-धान्य की वृद्धि होती है।
पीपल के पेड़ की पूजा: शरद पूर्णिमा के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करना भी शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इससे व्यक्ति को आरोग्य और दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
दूध से भरे बर्तन का दान: आप शरद पूर्णिमा के दिन दूध से भरे बर्तन का दान गरीबों को कर सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि इससे पुण्य प्राप्त होता है।
शरद पूर्णिमा से जुड़े कुछ रोचक तथ्य भी हैं, जिनके बारे में जानना काफी दिलचस्प होता है। आइए जानते हैं उनमें से कुछ तथ्यों के बारे में:
शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा पृथ्वी के सबसे करीब होता है। इसलिए, इस रात को चांद हमें सबसे बड़ा और सबसे चमकीला दिखाई देता है।
शरद पूर्णिमा को कुछ क्षेत्रों में "कोजागरी पूर्णिमा" के नाम से भी जाना जाता है।
शरद पूर्णिमा के दिन "कुमार पूर्णिमा" का व्रत भी रखा जाता है, जो विशेष रूप से दक्षिण भारत में प्रचलित है।
2024 शरद पूर्णिमा भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जो हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह न केवल फसल कटाई का त्योहार है, बल्कि आध्यात्मिक जागरण और प्रेम का प्रतीक भी है। शरद पूर्णिमा की कहानियां और परंपराएं पीढ़ियों से चली आ रही हैं, जो इस त्योहार को और भी खास बनाती हैं।
शरद पूर्णिमा किस महीने में आती है?
शरद पूर्णिमा कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन आती है, जो आमतौर पर अक्टूबर या नवंबर के महीने में पड़ता है।
शरद पूर्णिमा 2024 किस दिन है?
शरद पूर्णिमा 2024 16 अक्टूबर, दिन बुधवार को है।
शरद पूर्णिमा पर क्या किया जाता है?
शरद पूर्णिमा पर लोग लक्ष्मी पूजा, खीर बनाना, दुर्गा पूजा अन्नकूट का आयोजन, उपवास रखना, पूजा करना, कौमुदी स्नान करना आदि करते हैं।
शरद पूर्णिमा का महत्व क्या है?
शरद पूर्णिमा का महत्व फसल कटाई के त्योहार के रूप में, धन-समृद्धि लाने के लिए लक्ष्मी पूजा के रूप में, प्रेम के प्रतीक के रूप में और आध्यात्मिक जागरण के लिए माना जाता है।
शरद पूर्णिमा से जुड़ी कौन सी लोक कथाएं प्रचलित हैं?
शरद पूर्णिमा से जुड़ी कई लोक कथाएं प्रचलित हैं, जिनमें दधीची ऋषि और चंद्रमा की कथा और समुद्र मंथन की कथा प्रमुख हैं।
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