पितृ पक्ष 2024: श्राद्ध के संस्कार

पितृ पक्ष 2024: श्राद्ध के संस्कार
  • 16 Mar 2024
  • Comments (0)

 

श्राद्ध के संस्कार: श्रद्धापूर्वक मनाएं पितृ पक्ष 

हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है। यह वह पखवाड़ा होता है, जब पूर्वजों को श्रद्धांजलि देने और उनके आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए श्राद्ध कर्म किए जाते हैं। इस वर्ष 18 सितम्बर 2024 से शुरू होकर 6 अक्टूबर 2024 तक मनाया जाने वाला पितृ पक्ष, पूर्वजों को याद करने और उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का एक पवित्र अवसर है। आइए, इस लेख में श्राद्ध के संस्कारों, मंत्रों, तिथियों, महत्व और मान्यताओं के बारे में विस्तार से जानें।

 

पितृ पक्ष का महत्व और मान्यताएं

पितृ पक्ष को कई कारणों से महत्वपूर्ण माना जाता है:

 

  • पूर्वजों को कृतज्ञता: यह माना जाता है कि हमारे पूर्वज हम पर अपना आशीर्वाद बनाए रखते हैं, इसलिए उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करना हमारा कर्तव्य है। श्राद्ध के माध्यम से हम उन्हें भोजन, जल और तर्पण (तृप्ति) प्रदान करते हैं।

 

  • मोक्ष की प्राप्ति: हिंदू धर्म में यह मान्यता है कि श्राद्ध कर्म करने से हमारे पूर्वजों को मोक्ष प्राप्त करने में सहायता मिलती है।

 

  • सुख-शांति की प्राप्ति: यह भी माना जाता है कि श्राद्ध करने से हमारे जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है। साथ ही, हमारे पूर्वजों के आशीर्वाद से बाधाएं दूर होती हैं और मन को शांति मिलती है।

 

श्राद्ध की तिथियां 2024

हिंदू पंचांग के अनुसार, हर व्यक्ति की मृत्यु तिथि के अनुसार उसका श्राद्ध किया जाता है। हालांकि, पितृ पक्ष के दौरान प्रत्येक तिथि का एक विशिष्ट महत्व होता है, जैसे:

 

  • प्रथम तिथि: सर्वपितृ अमावस्या - इस दिन उन सभी पूर्वजों का श्राद्ध किया जाता है, जिनकी मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं है।

 

  • चतुर्दशी तिथि: अहोई आठे - इस दिन संतान की सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखा जाता है और पितरों को तर्पण दिया जाता है।

 

  • आखिरी तिथि: सर्वपितृ अमावस्या - पितृ पक्ष का समापन भी सर्वपितृ अमावस्या के साथ होता है।

 

आप अपने माता-पिता, दादा-दादी, नाना-नानी इत्यादि के श्राद्ध उनकी मृत्यु तिथि के अनुसार पितृ पक्ष के दौरान किसी भी दिन कर सकते हैं।

 

श्राद्ध के विधि-विधान और मंत्र

श्राद्ध की विधि-विधान हर क्षेत्र और समुदाय में थोड़ा-बहुत भिन्न हो सकती है। लेकिन, कुछ मुख्य बातें समान होती हैं:

 

  • स्नान करें और साफ वस्त्र पहनें।

  • पूजा स्थान को साफ करें और सजाएं।

  • पितरों का श्राद्ध पक्ष की दक्षिण दिशा में कराएं।

  • आसन बिछाकर उस पर पितरों का चित्र या प्रतिमा रखें।

  • तैयार भोजन (चावल, दाल, सब्जी आदि) और जल अर्पित करें।

  • पितरों का नाम लेकर उन्हें मंत्रों का उच्चारण करें।

  • ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान दें।

 

पितृ पक्ष 2024

 

कुछ सामान्य श्राद्ध मंत्र इस प्रकार हैं:

  • ॐ सर्वेभ्यो देवेभ्यो नमः: सभी देवताओं को नमन
  • ॐ पितृभ्यो नमः: पितरों को नमन
  • ॐ अग्नये नमः: अग्निदेव को नमन
  • ॐ नमो भगवते वासुदेवाय: भगवान विष्णु को नमन

 

मृत्यु के अनुसार विशेष स्मरण (महत्वपूर्ण):

 

  • प्रथम श्राद्ध: मृत्यु के बाद पहले वर्ष में किया जाने वाला श्राद्ध विशेष महत्वपूर्ण होता है। इसे "प्रथमवर्ष का श्राद्ध" या "पहला श्राद्ध" भी कहा जाता है। इस दिन विधि-विधान का विशेष रूप से पालन किया जाता है।

 

  • माता-पिता का श्राद्ध: माता-पिता का श्राद्ध पूरे पितृ पक्ष के दौरान किसी भी दिन किया जा सकता है। उनकी मृत्यु तिथि के अनुसार श्राद्ध करना और भी शुभ माना जाता है।

 

  • अकाल मृत्यु: दुर्घटना, आत्महत्या या युद्ध में मारे गए व्यक्तियों का श्राद्ध अमावस्या तिथि पर करना चाहिए।

 

श्राद्ध के दौरान क्या करें और क्या न करें:

 

क्या करें:

  • सात्विक भोजन ग्रहण करें और श्राद्ध के दौरान शराब, मांसाहार आदि का सेवन न करें।
  • पवित्रता बनाए रखें और सकारात्मक विचार रखें।
  • दान-पुण्य करें और जरूरतमंदों की सहायता करें।
  • परिवार के सभी सदस्यों को श्राद्ध में शामिल करें।

 

क्या न करें:

  • क्रोध, ईर्ष्या और द्वेष जैसे नकारात्मक भाव रखें।
  • श्राद्ध के दौरान अनुचित हास्य-व्यंग करें।
  • श्राद्ध का भोजन बर्बाद करें।

 

पितृ पक्ष 2024 से जुड़े सवाल और उनके जवाब

 

क्या श्राद्ध घर पर भी किया जा सकता है?

हां, श्राद्ध घर पर भी किया जा सकता है। साफ-सुथरे वातावरण और श्रद्धापूर्वक पूजा करने से भी शुभ फल की प्राप्ति होती है।

 

क्या पितरों को केवल भोजन ही ग्रहण कराते हैं?

भोजन के अलावा, पितरों को जल, तिल, फूल और वस्त्र आदि भी अर्पित किए जाते हैं।

 

क्या श्राद्ध के लिए किसी पंडित की आवश्यकता होती है?

श्राद्ध की विधि को सही ढंग से समझने और पूजा-पाठ करने के लिए आप किसी पंडित की सहायता ले सकते हैं। हालांकि, श्रद्धापूर्वक भोजन और जल अर्पित करना ही सबसे महत्वपूर्ण है।

 

क्या पितृ पक्ष के दौरान कोई विशेष भोजन बनाना चाहिए?

सात्विक और पौष्टिक भोजन जैसे चावल, दाल, सब्जी, दूध, फल आदि बनाए जा सकते हैं। पितरों की पसंद का भोजन बनाना भी अच्छा माना जाता है।

 

क्या आधुनिक समय में श्राद्ध का महत्व कम हो गया है?

श्राद्ध का महत्व आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना पहले था। यह परंपरा हमें अपनी जड़ों से जोड़े रखती है और पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर प्रदान करती है।

 

इस तरह के और भी दिलचस्प विषय के लिए यहां क्लिक करें - Instagram
 

Author :

Are You Compatible?

Select your and your partner's zodiac signs to Check compatibility

Talk to an astrologer on call or chat for accurate and personalized astrology predictions
Astroera Loader

Copyright ©️ 2023 SVNG Strip And Wire Private Limited (Astroera) | All Rights Reserved