काल भैरव जयंती, जिसे काल अष्टमी या भैरव अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है, भगवान शिव के उग्र रूप, काल भैरव की पूजा का पावन अवसर है। यह हिंदू पंचांग के अनुसार प्रति वर्ष माघ मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है।
तिथि: 30 जनवरी 2024 (मंगलवार)
अष्टमी तिथि आरंभ: 29 जनवरी 2024 (सोमवार) को शाम 06:24 बजे से
अष्टमी तिथि समाप्त: 30 जनवरी 2024 (मंगलवार) को शाम 06:24 बजे
कालभैरव को भगवान शिव का रक्षक और विनाशक माना जाता है।
काल अष्टमी के दिन उनकी पूजा करने से भक्तों को भय, रोग, शत्रुओं और ग्रहों के दुष्प्रभावों से मुक्ति मिलती है।
इस दिन भगवान काल भैरव की पूजा करने से कर्मों का शुद्धिकरण होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
कालभैरव जयंती के दिन, सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
अपने घर में भगवान काल भैरव की प्रतिमा या मूर्ति स्थापित करें।
प्रतिमा को फूलों, माला, दीप, धूप और नैवेद्य से सजाएं।
भगवान काल भैरव को तेल, दूध, दही, शहद और जल अर्पित करें।
भैरव चालीसा का पाठ करें और आरती गाएं।
भोग लगाएं और प्रसाद वितरित करें।
कालभैरव जयंती भगवान शिव के उग्र रूप, काल भैरव की पूजा का एक महत्वपूर्ण अवसर है। इस दिन उनकी पूजा करने से भक्तों को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं।
काल भैरव जयंती प्रति वर्ष माघ मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है।
कालभैरव जयंती भगवान शिव के उग्र रूप, काल भैरव की पूजा का पावन अवसर है। इस दिन उनकी पूजा करने से भक्तों को भय, रोग, शत्रुओं और ग्रहों के दुष्प्रभावों से मुक्ति मिलती है।
कालभैरव जयंती की पूजा विधि ऊपर विस्तार से दी गई है।
कालभैरव जयंती पर भक्तों को स्नान, दान, पूजा, जप और ध्यान करना चाहिए। इस दिन मांस, मदिरा और लहसुन का सेवन नहीं करना चाहिए।
कालभैरव जयंती के कई मंत्र हैं। एक लोकप्रिय मंत्र है:
ॐ ह्रीं नमः शिवाय कालभैरवाय।
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