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देवशयनी एकादशी 2024: तिथि और महत्व

देवशयनी एकादशी 2024: तिथि और महत्व
  • 24 Feb 2024
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देवशयनी एकादशी 2024

हिंदू धर्म में देवशयनी एकादशी का विशेष महत्व है। यह साल में आने वाली 24 एकादशियों में से एक है और इसे शायानी एकादशी, हरिशयनी एकादशी या पद्मनाभा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस साल देवशयनी एकादशी 2024 17 जुलाई को मनाई जाएगी। आइए, इस लेख में हम देवशयनी एकादशी के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व, इसकी व्रत विधि और शुभ मुहूर्तों के बारे में विस्तार से जानें।

 

देवशयनी एकादशी के शुभ मुहूर्त

एकादशी तिथि प्रारंभ: 16 जुलाई 2024, रात्रि 11 बजकर 39 मिनट

 

एकादशी तिथि समाप्त: 17 जुलाई 2024, रात्रि 09 बजकर 41 मिनट

 

देवशयनी एकादशी का महत्व

देवशयनी एकादशी का हिंदू धर्म में खास महत्व है, जिसके पीछे कई मान्यताएं जुड़ी हैं:

 

भगवान विष्णु की योगनिद्रा: ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु चार महीने के लिए योगनिद्रा में चले जाते हैं और देवउर्वशी नामक शय्या पर लेट जाते हैं। इसलिए इस एकादशी को देवशयनी एकादशी कहा जाता है।

 

धर्मराज की उपासना: इस दिन धर्मराज की भी पूजा की जाती है, जो मृत्यु के देवता माने जाते हैं। माना जाता है कि उनकी पूजा करने से अकाल मृत्यु का भय दूर होता है और जीवन सुखमय होता है।

 

आध्यात्मिक शुद्धि: एकादशी व्रत का संबंध आत्म-संयम और आध्यात्मिक शुद्धि से है। इस दिन व्रत रखने और भगवान की पूजा करने से मन शुद्ध होता है और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।

 

चार महीने के व्रतों की शुरुआत: देवशयनी एकादशी से चातुर्मास नामक चार महीनों का व्रत काल शुरू होता है। इस दौरान कई लोग कठिन व्रत रखते हैं और आध्यात्मिक साधना करते हैं।

 

देवशयनी एकादशी की व्रत विधि

देवशयनी एकादशी के व्रत का पालन करने के लिए आप निम्न विधि अपना सकते हैं:

 

व्रत संकल्प: एकादशी तिथि के प्रारंभ होने से पहले ही व्रत करने का संकल्प लें। मन में शुद्ध भाव रखें और भगवान से व्रत को सफलतापूर्वक पूरा करने की प्रार्थना करें।

 

स्नान और पूजा: सुबह जल्दी उठकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें। घर पर साफ-सुथरी जगह बनाकर भगवान विष्णु और धर्मराज की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। उन्हें दीपक, अगरबत्ती, फल, फूल आदि चढ़ाकर विधि-विधान से पूजा करें।

 

व्रत का पालन: व्रत के दौरान केवल फलाहार करें। सात्विक भोजन जैसे फल, दूध, दही, मेवे आदि का सेवन करें। मांसाहार, शराब, लहसुन-प्याज आदि का सेवन न करें।

 

जागरण का महत्व: कुछ लोग इस दिन रातभर जागरण करके भगवान का भजन-कीर्तन करते हैं। इससे मन आध्यात्मिक विचारों में लगा रहता है और व्रत का फल भी अधिक मिलता है।

 

पारण: अगले दिन द्वादशी तिथि में पारण करने से पहले भगवान की पूजा करें और फिर फलाहार ग्रहण करें। इसके बाद ही अनाज का भोजन करें।

 

धार्मिक एवं सांस्कृतिक परंपराएं: देवशयनी एकादशी का उत्सव

 

देवशयनी एकादशी के दिन विशेष पूजा-अर्चना और भजन-कीर्तन का आयोजन मंदिरों में होता है।

 

घरों में भी भगवान विष्णु की पूजा, कथा-वाचन, और धार्मिक कार्यक्रम होते हैं।

 

इस दिन विवाह, मुंडन आदि कार्यों का निषेध होता है और पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी दिया जाता है।

 

कुछ क्षेत्रों में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है जो धार्मिक भावनाओं को जगाते हैं।

 

निष्कर्ष: देवशयनी एकादशी 2024

देवशयनी एकादशी धार्मिक आस्था, आत्मिक शुद्धि और सांस्कृतिक परंपराओं का एक सुंदर संगम है। यह हमें अपने कर्तव्यों का पालन करने, दया-धर्म का मार्ग अपनाने और प्रकृति के प्रति सम्मान रखने की सीख देती है। आइए, इस पवित्र दिन को हर्षोल्लास से मनाएं और ईश्वर से आशीर्वाद प्राप्त करें।

 

देवशयनी एकादशी 2024 से जुड़े सवाल और उनके जवाब

 

क्या हर साल देवशयनी एकादशी की तिथि अलग-अलग होती है?

हां, चंद्र कैलेंडर के अनुसार हर साल एकादशी की तिथि थोड़ी-बहुत बदल जाती है। लेकिन देवशयनी एकादशी हमेशा जुलाई के मध्य में ही आती है।

 

देवशयनी एकादशी के व्रत को तोड़ने पर क्या होता है?

भले ही व्रत को अनजाने में तोड़ दिया जाए, फिर भी भगवान से क्षमा मांगनी चाहिए और अगले अवसर पर व्रत को पूरी श्रद्धा से करने का संकल्प लेना चाहिए।

 

क्या गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाएं देवशयनी एकादशी का व्रत रख सकती हैं?

अपने स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए ही व्रत का निर्णय लेना चाहिए। गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को डॉक्टर की सलाह लेने के बाद ही व्रत करना चाहिए।

 

क्या देवशयनी एकादशी के दिन यात्रा करना शुभ होता है?

चूंकि इस दिन भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं, इसलिए माना जाता है कि इस दिन यात्रा करने से मन अस्थिर रहता है और यात्रा में बाधाएं आ सकती हैं। हालांकि, यात्रा करना बिल्कुल वर्जित नहीं है। जरूरी यात्राओं के लिए शुभ मुहूर्त की सलाह किसी ज्योतिषी से ले सकते हैं।

 

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