पितृ दोष की शांति हेतु विशेष उपाय एक महत्वपूर्ण विषय है जो हमारे संस्कृति और परंपरागत धार्मिक अभिप्रायों में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इन उपायों का पालन करने से हम अपने पूर्वजों के आत्मा को शांति प्राप्त करते हैं और उनकी कृपा एवं आशीर्वाद को प्राप्त करते हैं।
अपने ग्रह की दक्षिण दिशा की दीवार पर अपने दिवंगत पूर्वर्जी के फोटो लगाकर उन पर हार चढ़ाकर सम्मानित करना चाहिए तथा उनकी मृत्यु तिथि पर ब्राह्मणों को भोजन, वस्त्र एवं दक्षिणा सहित दान, पितृ तर्पण, एवं श्राद्ध कर्म करने चाहिए
जीवित माता पिता एवं भाई-बहनों का भी आदर-सत्कार एवं धन, वस्त्र भोजन, आदि से सेवा करते हुए उनके आर्शिवाद ग्रहण करते रहे।
हर अमावस्या को अपने पितरों का ध्यान करते हुए पीपल पर कच्ची लस्सी, गंगाजक कलि,चीनी, चावल, जल पुष्प आदि चढ़ते हुए “ॐ पितृभ्य: नमः मंत्र तथा पितृ भुक्त का पाठ करना शुभ होगा I
हर अमावस्या के दिन दक्षिणीभिमुख होकर दिवंगत पितरों के लिए पितृ तर्पण, करना तथा अमावस्या का पितृ स्तोत्र या पितृ सूक्त का पाठ करना, त्रयोदशी को नीलकण्ड स्त्रोत्र का पाठ करना, पंचमी सर्प सूक्त का पाठ करना तथा पूर्णमासी के दिन श्री नारायण कवच का पाठ करने के ब्राह्मणों को मिष्ठान व दक्षिणा सहित भोजन करवाना, पितृदोष की शान्ति के लिए शुभ होता है I
संक्रान्ति, अमावस्या एवम् रविवार को सूर्य देव को ताम्र बर्तन में लाल चन्दन गंगाजल, शुद्ध जल डालकर बीज मंत्र पढ़ते हुए तीन बार अर्घ्य देवें I
नियमित श्राद्ध के अतिरिक्त श्राद्ध के दिनो मे गायो को चारा तथा कुत्तों, कौवे, भुखो को खाना खिलाना चाहिए
श्राद्ध के दिनों विशेषकर अण्डा, मीट, शराब आदि तामसिक भोजन तथा पराए अन्न से परहेज करना चाहिए
कुल देवता एवं इष्ट देव की भी पूजार्चना करनी चाहिए
पीपल वृक्ष पर मध्याहन को जल पुष्पाक्षत, दूध, गंगाजळ काने तिल आदि चढ़ाएँ सार्य को दीप, जलाएँ तथा नाग, स्तोत्र, महामृत्युजय मन्त्र जाप, रूद्र सूक्त, पितृ स्तोत्र, नवग्रह स्तोत्र तथा ब्राह्मण भोजन कारवाने से पितृ आदि दोष की शान्ति होती है।
श्रीभगवत गीता का पाठ, माता-पिता की आदर पितरों के नाम से अस्पताल, मन्दिर, विद्यालय धर्मशाला आदि बनवाने से पितृ आदि दोषों की शान्ति होती हैं।
यह उपाय एक संपूर्ण धार्मिक और सामाजिक प्रक्रिया है जो पितृ दोष को शांति देने के लिए किया जाता है। यह उपाय हमें हमारे पूर्वजों के प्रति आदर और सम्मान का आदर्श सिखाता है और उनके आत्मा को शांति प्राप्त करने का माध्यम बनता है। इन उपायों का पालन करने से हम अपने परिवार और समाज में एक स्थिर और संतुलित वातावरण बनाते हैं।
इस उपाय में समाहित उपायों के माध्यम से हम अपने पूर्वजों के प्रति आदर और सम्मान का संदेश देते हैं और उनकी आत्मा को शांति प्राप्त करने में सहायक होते हैं। ये उपाय हमें अपने संस्कृति और परंपरागत धार्मिक अभिप्रायों को जीवंत रखने में मदद करते हैं।
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Author : acharya Chandra Prakash Bhatt