ज्योतिष एवं धार्मिक परंपरा में, ग्रहों के शुभ और अशुभ प्रभावों का महत्व अत्यंत उच्च माना जाता है। मंगल, बुध, और गुरु ग्रह के शांति के उपायों के माध्यम से हम अपने जीवन में समृद्धि और शांति को स्थापित कर सकते हैं। यहाँ इस ब्लॉग में, इन तीन ग्रहों के शांति के उपायों का विवरण दिया गया है।
मंगल शान्ति के लिए उपायः
मंगल ग्रह 12,4, 5, 7, 8, 9, 12, में भाव स्थित मंगल, बुध अथवा शनि आदि शत्रु ग्रह से दुष्ट या युक्त, अथवा अपनी बीच राशि (कर्क) में अशुभ कारक होता है, जन्म कुण्डकी या वर्ष कुण्डली मंगल अशुभ एवं बाधाकारक हो तो मंगल के किसी एक एक मंत्र का कम- से कम 10 हजार संख्या में शुभ मुहूर्त मंगलवार को लाल पुष्प, लाल चन्दन, अक्षत गंगाजल लेकर संकल्प पूर्वक पाठारंभ कर सुनिश्चित संख्या में पाठोपरान्त पाठ या जाप का दशमांश संख्याक में हवन करना चाहिए ।
तन्त्रोक्त मंगल मंत्र - ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः।।
लौकिक मंत्र:- ही धरणी गर्भसम्भूतं विद्युत्कान्ति समप्रभम्। कुमारशक्ति हस्तं ते मंगलं प्रणमाम्यहम्॥
मंगल गायत्री मंत्र:- ॐ अंगारकाय विद्महे शक्ति हस्ताय धीमहि तन्नो भौमः प्रचोदयात् ।।
उपरोक्त मंत्र जाप के अतिरिक्त अनिष्टकर मंगल की शान्ति के लिए मंगलवार का व्रत रखना श्री हनुमान उपासना,लाल वर्ण की गाय को चारा खिलाना, मूँगा पहनना, औषधिले स्मान करना आदि शुभ माना जाता है।
गेहूं, मसर की दाल, घी, गुड़, सुवर्ण कनेर के पुष्प , लाल वस्त, लाल चन्दन केशर, नारियल, सेब आदि लाल फल मूँगा, ताम्र बर्तन, गुड़ से बने मीठे चावल, ब्राह्मण भोजन कराना आदि कल्याणकारी रहता है।
तांबे की अंगुठी में मूंगा धारण करना अथवा तांबे का कड़ा पहनना । मंगलवार का व्रत रखकर 27 मंगल किसी अपाहिज़ को मीठा विशेषकर गुड़ से निर्मित भोजन खिलाना । नारियल को लाल तिलक करके तथा लाल कपड़े में बांधकर लागतार 3 मंगलवार चलते पानी में बहाए । जिन जातकों की कुण्डली में मांगलिक योग बनकर विवाह आदि में समस्या आ रही हो उन्हें मंगलागौरी का व्रत लगातार 7 मंगलवार रखना चाहिए।
बुध ग्रह कुण्डली में 4, 6, 8, 12 भाव में स्थित बुध शुभ अथवा शुभ ग्रह द्वारा दृष्ट या युक्त बुध अशुभ फलदायक होता है। बुद्ध शुभ हो तो, वाणी, बुद्धि, विद्या संतान, व्यापार आदि में लाभकारक होता है। अशुभ बुध मैं बुद्धि में विभ्रम, त्वचा रोग, वाणी, विकार, संतान को कष्ट रहता है।
तंत्रोक्त बुध मंत्र :- ॐ ब्राँ ब्री ब्रौं सः बुधाय नमः॥ जाप संस्था 9 हजार ।
लौकिक मंत्र: हे प्रियंगु, कालिकाश्याम रूपेण, अप्रतिम बुधम्। सौम्यं, सौम्य गुणेपितम्, तं बुद्धं प्रणमाम्यहम्॥
गायत्री मंत्र :- ॐ सौम्परूपाय विद्महे रोहिणी प्रियाय धीमहि तन्नो: बुधः प्रचोदयात् ।
इन मंत्रो में से किसी भी एक मंत्र का कम से कम 9 हजार की संख्या मैं जाप या पाठ करना चाहिए । बुधवार का विधिपूर्वक व्रत रखना, औषधि स्नान घो रंग का नग- पन्ना सोने की अंगठी में धारण करना चाहिए।
अपने पास बुब्ध यंत्र, हरी प्रयोग करना, श्री दुर्गासप्तसती का पाठ, विष्णु पूजा या उपासना पाठ, गार्यो का हरा चारा देना, हरे वस्त्र आदि का दान, बुध ग्रह जनित अशुभ कल की शान्त करता है।
मूंगी साबूत, योनी, छोटी इलाईची, सरर्सों से युक्त भोजन, हरी सब्जियाँ पन्ना नग, कांस्य पात्र, हरे पुष्प, हरे फल ब्राह्मण भोजन दक्षिणा सहित दान करना कल्याणप्रद होता है।
गुरु (बृहस्पति) कुण्डली में 4,6,8,12 भावो में ही स्थित हो या नीच राशि मकर में ही या शत्रु या अशुभ ग्रहो से दृष्ट या युक्त गृह जातक को अशुभ प्रभाव प्रदान करता है। अशुभ ग्रह जातक को विद्या में असफलता अथवा विवाह सुख में अड्चने, पुत्र संतान एवं स्त्री कष्ट, भ्रातृ विरोध, शरीर कष्ट, बुद्धि में विकार आदि अशुभ फल प्रकट करता है, गुरु ग्रह द्वारा शुभता लाने के लिए किसी भी बृहस्पति मंत्र के 19 हजार की संख्या में पाठ अथवा जाप आदि कराकर पठोपरान्त दशांश संख्या में हवन कराना चाहिए ।
तन्त्रोक्त गुरु मन्त्र:- ॐ ग्रां ग्री गौं सः गुरवे नमह।|
पुराणोक्त वैदिक मन्त्र:- ॐ देवानां ऋषीणां च गुरुं काञ्चन सन्निभं। बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिम्॥
गायत्री मंत्र :- ॐ अंगिरी जाताय विद्महे वाचस्पतये धीमीह तन्नो गुरु: प्रचोदयात् ।।
संकल्पपूर्वक मन्य जाय के अतिरिक्त गुरु संम्बंधी वस्तुओं का दान, सुवर्ण या चांदी की अंगुठी में पुखराज पहनना विधिवत् निर्मित गुरु यन्त्र धारण, औषधि स्नान करना, गुरुवार का व्रत रखना पीली वस्तुओं गौओ की सेवा, गाय दान, पीपल वृक्ष की प्रतिष्ण, ब्राह्मणों की क्षीर सहित भोजन खिलाना, धार्मिक ग्रन्थों का दान करना, गायत्री जाप इत्यादि
उपाय
सोने या चांदी की अनुठी में तर्जनी अंगुली में तथा शुभ मुहूर्त मे पुखराज धारण करें। 27 गुरुवार केशर का तिलक लगाना तथा केशर की पुड़िया पीले रंग के कपड़े या कागज़ में अपने पास रखना शुभ होता है। चलते पानी में बादाम या नारियल पीले कपड़े में लपेटकर बहाना शुभ होता है। वृद्ध ब्राह्मण को यथाशक्ति पीली वस्तुएँ चने की दाल, लड्छ पीले वस्थ, शहद आदि दान करना चाहिए
ग्रहों के प्रभाव को समझकर, हम उनकी शांति के लिए उपाय कर सकते हैं और अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं। मंगल, बुध, और गुरु ग्रह के उपायों का अनुसरण करके, हम अपने जीवन को समृद्धि और सुख के साथ भर सकते हैं।
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Author : Acharya Chandra Prakash Bhatt