वैदिक ज्योतिष में मंगल को ऊर्जा, साहस, क्रोध, युद्ध, और पुरुषत्व का प्रतिनिधि माना गया है। यह ग्रह किसी भी कुंडली में जहां स्थित होता है, वहां तेज और उग्र प्रभाव डालता है। वहीं, सातवां भाव विवाह, जीवनसाथी, साझेदारी, और दीर्घकालिक संबंधों का संकेत करता है।
जब मंगल इस भाव में आता है, तो यह स्वाभाविक रूप से वैवाहिक जीवन और संबंधों में असर डाल सकता है। यही कारण है कि इस स्थिति को विशेष रूप से समझना और इसके अनुसार उपाय करना आवश्यक होता है।
अगर आपकी कुंडली में मंगल सातवें भाव में है, तो विवाह जीवन में कई प्रकार की चुनौतियाँ आ सकती हैं।
लेकिन यह प्रभाव सभी जातकों पर समान नहीं होता। बाकी ग्रहों की स्थिति, राशि, नक्षत्र, और लग्न के अनुसार परिणाम बदलते हैं।
मंगल दोष या मंगलीक दोष तब बनता है जब मंगल 1, 4, 7, 8 या 12वें भाव में स्थित होता है। इसलिए सातवें भाव का मंगल मंगली दोष की श्रेणी में आता है।
मंगली दोष तभी गंभीर माना जाता है जब विवाह से जुड़े अन्य कारक भी नकारात्मक हों।
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अगर आपकी कुंडली में मंगल सातवें घर में है और वह शुभ फल नहीं दे रहा है, तो नीचे दिए गए उपाय लाभकारी हो सकते हैं:
इन उपायों से न केवल विवाह जीवन में स्थिरता लाई जा सकती है, बल्कि रिश्तों में मधुरता भी बनी रहती है।
सातवें भाव में मंगल का होना एक संवेदनशील ज्योतिषीय स्थिति है, जो विवाह और संबंधों में विभिन्न प्रकार के प्रभाव ला सकता है। लेकिन यह कोई ऐसा दोष नहीं है जिसका समाधान न हो।
यदि समय पर सही उपाय किए जाएं और कुंडली का गहन विश्लेषण हो, तो मंगल का यह स्थान भी आपको शक्ति और स्थिरता दे सकता है। याद रखें—डरने से नहीं, समझदारी से निर्णय लेने से जीवन बेहतर बनता है।
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हाँ, यदि कुंडली में मंगल की स्थिति अशुभ हो, तो विवाह में देरी या गलत निर्णय की संभावना होती है।
संभव है, विशेषकर तब जब कुंडली में अन्य नकारात्मक योग भी हों।
विशेष पूजा, मंत्र जाप, रुद्राभिषेक और योग्य जीवनसाथी के साथ कुंडली मिलान से समाधान संभव है।
नहीं, यह पूरी तरह कुंडली के अन्य योगों, ग्रहों की दृष्टि और राशि पर निर्भर करता है।
हाँ, यदि ज्योतिषी अनुभवी और सटीक जानकारी देने वाले हों, तो ऑनलाइन परामर्श से भी लाभ होता है।
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Author : Krishna