चैत्र नवरात्रि हिन्दू समुदाय का एक प्रमुख त्योहार है जो नौ दिनों तक भगवानी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा का अवसर प्रदान करता है। चैत्र नवरात्रि के पाँचवें दिन माँ स्कंदमाता की पूजा का आयोजन होता है, जो सम्पूर्ण सृष्टि की माँ और स्वामिनी कहलाती हैं। इस दिन का महत्व, पूजा विधि और मंत्र के साथ, हम इस ब्लॉग में जानेंगे।
चैत्र नवरात्रि के पाँचवें दिन हिन्दू कैलेंडर के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष के पंचमी तिथि को मनाया जाता है। यह नवरात्रि महोत्सव का पाँचवा दिन होता है। जो इस साल 13 अप्रैल, 2024 – को मनाया जाएगा।
चैत्र नवरात्रि के पाँचवे दिन का महत्व अत्यंत उच्च है। इस दिन माँ स्कंदमाता की पूजा करने से भगवानी की कृपा प्राप्त होती है और उनकी आशीर्वाद से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। माँ स्कंदमाता का रूप बच्चे को गोदी में लेकर प्यार और स्नेह का प्रतीक है।
माँ स्कंदमाता की पूजा में धूप, दीप, फल, पुष्प, सुगंधित धूप, चावल, दूध, मिष्ठान्न, नैवेद्य, और पुष्पों का अर्पण किया जाता है। इसके बाद माँ स्कंदमाता के मंत्र का जाप किया जाता है।
"ॐ देवी स्कंदमातायै नमः॥"
नवरात्रि 2024 के पावन पर्व पर अगर आप व्यस्त हैं या घर से बाहर हैं, तो अब ऑनलाइन पूजा का विकल्प भी मौजूद है। कई वेबसाइट और ऐप्स के द्वारा आप घर बैठे ही पूजा का संचालन करवा सकते हैं। इन सेवाओं में वेद पाठ करने वाले पंडित शामिल होते हैं, जो विधि-विधान से पूजा संपन्न करवाते हैं. साथ ही आप अपनी मनोकामनाओं के अनुसार पूजा का सामान भी ऑनलाइन ऑर्डर कर सकते हैं।
चैत्र नवरात्रि के पाँचवें दिन को माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा करके, हम आशा करते हैं कि माँ दुर्गा हमें उच्च संस्कारों और आध्यात्मिकता की ओर प्रेरित करें। इस दिन हम उनके पावन आदर्शों का पालन करते हुए अपने जीवन में नेतृत्व की भूमिका निभाने का संकल्प करते हैं। माँ ब्रह्मचारिणी की कृपा से हमें ध्यान, संयम, और आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति होती है, जो हमें जीवन के समस्त क्षेत्रों में सफलता की दिशा में आगे बढ़ने में सहायक होता है। जय माँ ब्रह्मचारिणी।
माँ स्कंदमाता की कथा में उनके प्रेम और स्नेह का वर्णन है, जो उन्हें सम्पूर्ण सृष्टि की माँ के रूप में प्रस्तुत करता है।
माँ स्कंदमाता की पूजा में धूप, दीप, पुष्प, फल, मिठाई, और नैवेद्य का अर्पण किया जाता है। इसके बाद माँ स्कंदमाता के मंत्र का जाप किया जाता है।
माँ स्कंदमाता का रूप सुंदर और स्नेहभरा होता है, जो अपने बच्चों के प्रति निःस्वार्थ प्रेम का प्रतीक है।
चैत्र नवरात्रि के पाँचवे दिन को माँ स्कंदमाता की पूजा करके भक्त उन्हें स्वास्थ्य और खुशियों की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।
माँ स्कंदमाता की पूजा से भक्तों को प्रेम और स्नेह की भावना मिलती है, और उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
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