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उत्पन्न एकादशी 2024: तिथि और महत्व

उत्पन्न एकादशी 2024: तिथि और महत्व
  • 02 Apr 2024
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उत्पन्न एकादशी 2024: तिथि और महत्व

 

उत्पन्न एकादशी, जिसे पापमोचनी एकादशी और कैलाश एकादशी के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। यह वर्ष 2024 में नवंबर को पड़ रही है। उत्पन्न एकादशी के दिन भगवान विष्णु और देवी एकादशी की पूजा की जाती है। आइए इस ब्लॉग के माध्यम से उत्पन्न एकादशी 2024 की तिथि और महत्व को गहराई से समझें।

 

 

उत्पन्न एकादशी 2024:

 

 

 

 

तिथि: 26 नवंबर 2024 (मंगलवार)

पारण समय: 05 अप्रैल 2024 को सुबह 06:21 बजे से 08:39 बजे तक

 

 

उत्पन्न एकादशी का महत्व:

 

 

 

 

 

उत्पन्न एकादशी को सभी एकादशियों में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है।

इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और समस्त पापों का नाश होता है।

इस दिन व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा करने से धन, वैभव और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

 

 

उत्पन्न एकादशी व्रत विधि:

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

उत्पन्न एकादशी के दिन, सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।

 

अपने घर में भगवान विष्णु की प्रतिमा या मूर्ति स्थापित करें।

 

प्रतिमा को फूलों, माला, दीप, धूप और नैवेद्य से सजाएं।

 

भगवान विष्णु को गंगाजल, दूध, दही, शहद और तुलसी अर्पित करें।

 

विष्णु चालीसा का पाठ करें और आरती गाएं।

 

एकादशी व्रत कथा का श्रवण करें।

 

दिन भर फलाहार करें और रात में भी कुछ न खाएं।

 

दूसरे दिन, द्वादशी तिथि को सूर्योदय के बाद व्रत का पारण करें।

 

 

उत्पन्न एकादशी 2024

 

उत्पन्न एकादशी व्रत कथा (संक्षेप में)

 

पौराणिक कथा के अनुसार, सतयुग में मुर नाम का राक्षस बहुत बलशाली था। उसने देवताओं को हराकर स्वर्गलोक पर अपना अधिकार कर लिया। तब भगवान विष्णु से युद्ध करते हुए थक कर बद्रीनाथ की एक गुफा में विश्राम करने गए। उसी गुफा में मुर भी पहुंच गया। उसी समय भगवान विष्णु के शरीर से एक दिव्य देवी प्रकट हुईं जिन्होंने राक्षस मुर का वध कर दिया। भगवान विष्णु ने उन्हें एकादशी नाम दिया क्योंकि वे एकादशी तिथि पर प्रकट हुई थीं। इसीलिए इस दिन को उत्पन्न एकादशी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन व्रत रखने और देवी एकादशी और भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है।

 

उत्पन्न एकादशी के कुछ नियम:

 

 

 

 

 

एकादशी व्रत के दिन लहसुन, प्याज, मांस, मदिरा और नमक का सेवन नहीं करना चाहिए।

इस दिन झूठ नहीं बोलना चाहिए और किसी से भी क्रोध नहीं करना चाहिए।

दान-पुण्य करना चाहिए और गरीबों की मदद करनी चाहिए।

 

 

निष्कर्ष: उत्पन्न एकादशी 2024

 

उत्पन्न एकादशी भगवान विष्णु की पूजा का एक पावन अवसर है। इस दिन व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और समस्त पापों का नाश होता है।

 

 

उत्पन्न एकादशी 2024 से जुड़े 5 सबसे पूछे जाने वाले प्रश्न 

 

 

उत्पन्न एकादशी कब है?

 

उत्पन्न एकादशी 2024 चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को है, जो 26 नवंबर 2024 को पड़ रही है।

 

 

उत्पन्न एकादशी का महत्व क्या है?

 

उत्पन्न एकादशी को सभी एकादशियों में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और समस्त पापों का नाश होता है। साथ ही इस दिन व्रत रखने से धन, वैभव और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

 

 

उत्पन्न एकादशी की पूजा विधि क्या है?

 

उत्पन्न एकादशी की विस्तृत पूजा विधि ऊपर बताई गई है। संक्षेप में, सूर्योदय से पहले स्नान कर के व्रत का संकल्प लें, भगवान विष्णु और देवी एकादशी की पूजा करें, दिनभर व्रत रखें और धार्मिक कार्यों में भाग लें। अगले दिन द्वादशी तिथि पर व्रत का पारण करें।

 

 

उत्पन्न एकादशी पर क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए?

 

उत्पन्न एकादशी पर व्रत रखें, भगवान विष्णु की पूजा करें, दान-पुण्य करें, धार्मिक ग्रंथों का पाठ करें और जप-ध्यान करें। इस दिन लहसुन, प्याज, मांस, मदिरा और नमक का सेवन नहीं करना चाहिए। क्रोध और झूठ से भी बचना चाहिए।

 

 

उत्पन्न एकादशी की व्रत कथा क्या है?

 

उत्पन्न एकादशी की व्रत कथा भगवान विष्णु और राक्षस मुर के युद्ध से जुड़ी है। इस कथा को आप किसी भी धार्मिक ग्रंथ या वेबसाइट पर पढ़ सकते हैं।

 

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