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कन्या संस्कृति 2024: तिथि और महत्व

कन्या संस्कृति 2024: तिथि और महत्व
  • 14 Mar 2024
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कन्या संक्रांति 2024: महत्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

 

हर साल सूर्य देव अपने भ्रमण पथ पर विभिन्न राशियों में गोचर करते हैं।  जब सूर्य देव सिंह राशि को छोड़कर कन्या राशि में प्रवेश करते हैं, तब उस दिन को कन्या संक्रांति के रूप में मनाया जाता है। यह महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार मुख्य रूप से भारत के पूर्वी राज्यों, विशेष रूप से पश्चिम बंगाल और ओडिशा में मनाया जाता है।

 

 

इस दिन सूर्य देव की पूजा की जाती है और कई तरह के अनुष्ठान किए जाते हैं। आइए इस लेख में हम कन्या संक्रांति 2024 के महत्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त के बारे में विस्तार से जानें।

 

 

कन्या संक्रांति 2024 के लिए शुभ मुहूर्त

 

कन्या संक्रांति पर पूजा करने के लिए शुभ मुहूर्त का विशेष महत्व होता है।  आइए जानें  कन्या संक्रांति 2024 के लिए शुभ मुहूर्त:

 

 

 

 

  • कन्या संक्रांति तिथि: 16 सितंबर 2024 (सोमवार)

 

 

सूर्य देव कन्या राशि में प्रवेश का समय:

 

 

 

  • कन्या संक्रांति प्रारंभ: 15 सितंबर2024, रात्रि 8 बजकर 02 मिनट (लगभग)

 

 

  • कन्या संक्रांति समाप्त: 16 सितंबर 2024, रात्रि 8 बजकर 51 मिनट 

 

 

     

 

 

  • पुण्य काल:
    • महान पुण्य काल: 16 सितंबर 2024, प्रातः 6 बजकर 07 मिनट से प्रातः 8 बजकर 09 मिनट तक (लगभग)

 

 

  •  
    • पुण्य काल: 16 सितंबर 2024, सुबह 7 बजकर 36 मिनट से दोपहर 2 बजकर 08 मिनट तक (लगभग)

 

 

कन्या संक्रांति का महत्व 

 

कन्या संक्रांति का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। आइए जानें इसके कुछ प्रमुख कारणों को:

 

 

 

सूर्य देव की उपासना: कन्या संक्रांति के दिन सूर्य देव की पूजा की जाती है, जो सृष्टि के संचालक और जीवनदायी शक्ति माने जाते हैं। इस दिन सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन सूर्य की उपासना करने से व्यक्ति को आरोग्य, वैभव और सफलता प्राप्त होती है।

 

 

पितृ पक्ष की शुरुआत: कन्या संक्रांति के दिन से ही पितृ पक्ष की शुरुआत मानी जाती है। यह वह अवधि होती है, जो लगभग 16 दिनों तक चलती है और इस दौरान अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि दी जाती है। कन्या संक्रांति के दिन लोग अपने पितरों के लिए तर्पण और श्राद्ध कर्म करते हैं।

 

 

विश्वकर्मा पूजा:  कन्या संक्रांति के दिन भगवान विश्वकर्मा जी की भी पूजा की जाती है, जो शिल्प और निर्माण के देवता माने जाते हैं।  इस दिन लोग अपने घरों, कार्यस्थलों और औजारों की पूजा कर भगवान विश्वकर्मा का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

 

 

 

दान-पुण्य का महत्व:  कन्या संक्रांति को दान-पुण्य के लिए भी बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।

 

 

कन्या संक्रांति 2024

 

कन्या संक्रांति 2024 के लिए पूजा विधि 

 

कन्या संक्रांति पर आप सूर्य देव और अपने पूर्वजों की पूजा विधिवत रूप से कर सकते हैं। यहां हम आपको सरल पूजा विधि बता रहे हैं:

 

 

 

  • पूजा की तैयारी:  सबसे पहले स्नानादि करके पूजा स्थल को साफ करें। इसके बाद एक चौकी पर लाल रंग का आसन बिछाएं और उस पर  कलश स्थापित करें। कलश को गंगाजल से भरकर उस पर आम के पत्ते रखें और मौली से कलावा बांधें।

 

 

  • सूर्य देव की पूजा:  पूजा के समय सूर्योदय से पहले उठें। कलश के पास एक थाली में अक्षत, रोली, मौली, चंदन, सिंदूर, धूप, दीप और पुष्प आदि रखें। फिर सूर्य देव का ध्यान करते हुए उन्हें जल अर्पित करें और मंत्रों का जाप करें। आप "ॐ सूर्याय नमः" मंत्र का जाप कर सकते हैं।

 

 

  • पितृ पूजन: कन्या संक्रांति के दिन अपने पितरों का श्राद्ध भी किया जाता है। आप अपने पंडित जी द्वारा बताई गई विधि से श्राद्ध कर्म कर सकते हैं। इसमें तर्पण करना और अपने पूर्वजों को भोजन का भोग लगाना शामिल है।

 

 

  • आरती और प्रसाद:पूजा के अंत में सूर्य देव और अपने पूर्वजों की आरती करें। आप धूप, दीप दिखाकर और भजन गाकर आरती कर सकते हैं। इसके बाद सूर्य देव और अपने पूर्वजों को फल, मिठाई आदि का भोग लगाएं। अंत में प्रसाद ग्रहण कर पूजा को संपन्न करें।

 

 

     

 

कन्या संक्रांति से जुड़ी कुछ अन्य महत्वपूर्ण बातें भी हैं, जिन्हें आपको जानना चाहिए:

 

 

 

  • लोक परंपराएं: कन्या संक्रांति के दिन कई तरह की लोक परंपराएं भी मनाई जाती हैं।  पश्चिम बंगाल में इस दिन को 'कन्या लक्ष्मी पूजा' के रूप में भी जाना जाता है। इस दिन लोग नई फसल की पूजा भी करते हैं।

 

 

  • व्रत और उपवास: कुछ लोग कन्या संक्रांति के दिन व्रत या उपवास भी रखते हैं।

 

 

  • सात्विक भोजन:-इस दिन सात्विक भोजन ग्रहण करने की परंपरा है। आप दाल, सब्जी, फल आदि का सेवन कर सकते हैं।

 

 

 

  • दान का महत्व:-  कन्या संक्रांति के दिन दान करने का विशेष महत्व होता है। आप गरीबों और जरूरतमंदों को दान कर पुण्य लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

 

 

प्रश्नोत्तर 

 

 

कन्या संक्रांति 2024 किस दिन है?

 

कन्या संक्रांति 2024 को 16 सितंबर (सोमवार) को मनाया जाएगा।

 

 

कन्या संक्रांति का क्या महत्व है?

 

कन्या संक्रांति का महत्व सूर्य देव की उपासना, पितृ पक्ष की शुरुआत, भगवान विश्वकर्मा जी की पूजा और दान-पुण्य से जुड़ा हुआ है।

 

 

कन्या संक्रांति 2024 के लिए शुभ मुहूर्त क्या है?

 

कन्या संक्रांति 2024 के लिए महान पुण्य काल 16 सितंबर 2024, प्रातः 6 बजकर 07 मिनट से प्रातः 8 बजकर 09 मिनट तक है। वहीं पुण्य काल 16 सितंबर 2024, सुबह 7 बजकर 36 मिनट से दोपहर 2 बजकर 08  मिनट तक है|

 

 

क्या कन्या संक्रांति के दिन कोई विशेष भोजन बनाया जाता है?

 

कन्या संक्रांति के दिन सात्विक भोजन ग्रहण करने की परंपरा है। इसमें आप दाल, चावल, सब्जियां, फल आदि का सेवन कर सकते हैं , खीर जैसी विशेष मिठाइयाँ भी बनाई जाती हैं।

 

 

क्या कन्या संक्रांति पर कुछ खास परंपराएं हैं?

 

कन्या संक्रांति के दिन कई तरह की लोक परंपराएं देखने को मिलती हैं। पश्चिम बंगाल में इस दिन को 'कन्या लक्ष्मी पूजा' के रूप में मनाया जाता है। लोग अपने घरों को रंगोली से सजाते हैं, नई फसल की पूजा करते हैं और भगवान गणेश जी की भी पूजा की जाती है। साथ ही कन्न्याओं का भी सम्मान किया जाता है। 

 

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