हर साल की तरह, विश्वकर्मा पूजा इस साल भी 16 सितंबर 2024 को मनाई जाएगी। शिल्पकला और कारीगरी के देवता, भगवान विश्वकर्मा की जयंती के रूप में मनाए जाने वाले इस पर्व का भारत में विशेष महत्व है। इस दिन, इंजीनियर, मशीन वर्कर, शिल्पकार, आर्किटेक्ट और फैक्ट्री के कर्मचारियों सहित सृजन और निर्माण से जुड़े लोग भगवान विश्वकर्मा की पूजा-अर्चना करते हैं। आइए जानें इस साल विश्वकर्मा पूजा की तिथि, शुभ मुहूर्त, महत्व, अनुष्ठान विधि और लाभ के बारे में विस्तार से।
जैसा कि बताया गया, विश्वकर्मा पूजा 16,17 सितंबर 2024, को मनाई जाएगी। शुभ मुहूर्त के बारे में अभी कोई घोषणा नहीं हुई है, लेकिन आमतौर पर पूजा दोपहर में की जाती है। आप किसी ज्योतिषी से सलाह लेकर अपने क्षेत्र के लिए सटीक शुभ मुहूर्त जान सकते हैं।
विश्वकर्मा पूजा का महत्व इसलिए है क्योंकि इसे सृजन और कारीगरी का उत्सव माना जाता है। भगवान विश्वकर्मा को ब्रह्मांड का शिल्पकार माना जाता है, जिन्होंने देवताओं के लिए महल, वाहन और हथियार बनाए थे। इस दिन, लोग इन गुणों का सम्मान करते हैं और अपने उपकरणों और मशीनों की पूजा करते हैं, उनसे लंबे जीवन और सुचारू कामकाज की प्रार्थना करते हैं।
विश्वकर्मा पूजा का अनुष्ठान काफी सरल है। लोग अपने कार्यस्थल या घर पर भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करते हैं। इसके बाद, उन्हें फूल, पत्ते, फल, मिठाई आदि चढ़ाए जाते हैं। इसके अलावा, दीपक जलाकर और मंत्रों का जाप करके पूजा की जाती है। कुछ लोग अपने औजारों और मशीनों पर भी तिलक लगाते हैं और उनकी आरती करते हैं।
विश्वकर्मा पूजा मनाने के कई लाभ माने जाते हैं, जैसे:
कौशल और सफलता में वृद्धि: माना जाता है कि इस पूजा से व्यक्ति के कौशल में वृद्धि होती है और उसे अपने काम में सफलता मिलती है।
आय और समृद्धि में वृद्धि: इस पूजा को आय और समृद्धि बढ़ाने वाला माना जाता है।
कार्यस्थल पर सकारात्मक वातावरण: पूजा से कार्यस्थल पर सकारात्मक वातावरण बनता है और श्रमिकों का मनोबल बढ़ता है।
दुर्घटनाओं से बचाव: ऐसा माना जाता है कि इस पूजा से कार्यस्थल पर दुर्घटनाओं का खतरा कम होता है।
विश्वकर्मा पूजा की विधि इस प्रकार है:
पूजा से पहले स्नान करके साफ कपड़े पहनें।
अपने कार्यस्थल या घर पर एक साफ जगह साफ करें।
भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
प्रतिमा को फूल, फल, मिठाई आदि चढ़ाएं।
दीपक जलाएं और मंत्रों का जाप करें।
अपने औजारों और मशीनों पर तिलक लगाएं और उनकी आरती करें।
भगवान विश्वकर्मा से अपने कौशल में वृद्धि, सफलता और समृद्धि के लिए प्रार्थना करें।
आप पूजा के दौरान विश्वकर्मा स्तोत्र और मंत्रों का भी जाप कर सकते हैं।
विश्वकर्मा पूजा एक महत्वपूर्ण धार्मिक उत्सव है जो शिल्पकला, कारीगरी, और निर्माण की महत्वाकांक्षा को मानता है। इस पूजा में, हम भगवान विश्वकर्मा की पूजा अर्चना करते हैं और अपने कौशल, सफलता, और समृद्धि की प्रार्थना करते हैं। यह एक समाज में एकता और सहयोग की भावना को भी बढ़ाता है। इस वर्ष के विश्वकर्मा पूजा में, हमें इस प्रकार की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक प्रक्रिया को समझकर अपने कर्मठता और धैर्य का संकल्प करने का अवसर मिलता है। इस उत्सव के माध्यम से, हम एक और बार अपने कार्य और जीवन को संदेशों के साथ संगठित करते हैं, जिससे हमारे समाज का और भी विकास हो।
जैसा कि पहले बताया गया है, अभी सटीक मुहूर्त की घोषणा नहीं हुई है। आमतौर पर पूजा दोपहर में की जाती है। किसी ज्योतिषी से सलाह लें या धर्मिक वेबसाइट्स पर चेक करें ताकि अपने क्षेत्र के लिए सटीक मुहूर्त का पता चल सके।
हां, बिल्कुल! कार्यस्थल पर पूजा के अलावा, आप घर पर भी इसे आसानी से कर सकते हैं। पूजा की विधि वही रहेगी, बस स्थान बदल जाएगा।
भोग के रूप में फूल, फल, मिठाई, पान-सुपारी आदि चढ़ाए जा सकते हैं। आप खीर, लड्डू या कोई भी शाकाहारी मिठाई भी चढ़ा सकते हैं।
यह परंपरागत मान्यताओं के अनुसार अलग-अलग हो सकता है। आम तौर पर, पूजा में शाकाहारी भोग ही चढ़ाया जाता है। यदि आप अनिश्चित हैं तो किसी जानकार व्यक्ति या ज्योतिषी से सलाह लेना उचित होगा।
ऐसा माना जाता है कि सभी राशियों को विश्वकर्मा पूजा से लाभ मिलता है, खासकर उन लोगों को जो सृजन और निर्माण से जुड़े क्षेत्रों में काम करते हैं।
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