अहोई अष्टमी 2024: तिथि और महत्व

अहोई अष्टमी 2024: तिथि और महत्व
  • 22 Mar 2024
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अहोई अष्टमी: मातृत्व का पर्व, महत्व, और व्रत विधान 

 

हिंदू धर्म में कई ऐसे व्रत और त्योहार हैं, जो माताओं द्वारा अपने संतान की सुख-समृद्धि और कल्याण के लिए मनाए जाते हैं। अहोई अष्टमी भी उन्हीं में से एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष मनाया जाता है। वर्ष 2024 में, अहोई अष्टमी 24 अक्टूबर, गुरुवार को पड़ेगी। आइए, इस पवित्र पर्व के महत्व, व्रत विधान, पूजा विधि और कथा के बारे में विस्तार से जानें।

 

 

 

अहोई अष्टमी का महत्व

 

अहोई अष्टमी का मुख्य उद्देश्य माताओं द्वारा अपनी संतान, खासकर पुत्रों की रक्षा और उनके दीर्घायु की कामना करना होता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन विधि-विधान से व्रत रखने और पूजा करने से संतान को किसी भी तरह की अनहोनी से बचाया जा सकता है। इसके अलावा, निःसंतान महिलाएं भी अहोई अष्टमी का व्रत संतान प्राप्ति की इच्छा से करती हैं।

 

 

यह पर्व मातृत्व की भावना का प्रतीक माना जाता है। इस दिन माताएं मां पार्वती को प्रसन्न करने के लिए पूजा-अर्चना करती हैं, जो मातृत्व की शक्ति का प्रतीक हैं।

 

 

अहोई अष्टमी का व्रत विधान

 

अहोई अष्टमी का व्रत सूर्योदय से पहले सरगी ग्रहण करने के साथ शुरू होता है। इसके बाद, पूरे दिन माताएं निर्जला व्रत रखती हैं। शाम को पूजा करने और कथा सुनने के बाद ही व्रत का पारण किया जाता है।

 

 

निम्नलिखित विधि से आप अहोई अष्टमी का व्रत रख सकती हैं:

 

 

सरगी ग्रहण: सूर्योदय से पहले सात्विक भोजन, जैसे फल, मेवे और दूध का सेवन करें।

 

पूजा की तैयारी: शाम को स्नान करके पूजा स्थल को साफ करें। चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं।

 

सात पुत्रों वाली स्याहू का चित्र बनाएं: दीवार पर गेरू से माता पार्वती की तस्वीर बनाएं। इसके साथ ही, उनके सामने सात पुत्रों वाली स्याहू का चित्र भी बनाएं।

 

पूजा सामग्री तैयार करें: चावल, सिंदूर, रोली, मौली, दीपक, अगरबत्ती, कपूर, सुपारी, बताशे और खील जैसी पूजा सामग्री इकट्ठा करें।

 

अहोई अष्टमी 2024

 

कच्चे सूत का धागा बांधें: एक मिट्टी के कलश में जल भरें और उसमें कच्चे सूत का धागा बांधकर आम के पत्ते से ढक दें।

 

पूजा-अर्चना: माता पार्वती और स्याहू माता की विधिवत पूजा करें। उन्हें उपरोक्त पूजा सामग्री अर्पित करें।

 

कथा वाचन: अहोई अष्टमी की कथा का पाठ करें।

 

चंद्र दर्शन और व्रत का पारण: शाम को चंद्रमा के दर्शन के बाद, पूजा की थाल में रखे हुए खील का भोग लगाकर व्रत का पारण करें। इसके बाद भोजन ग्रहण करें।

 

 

 

निष्कर्ष: अहोई अष्टमी 2024

 

2024 अहोई अष्टमी का पर्व न केवल माताओं के प्रेम और त्याग का प्रतीक है, बल्कि यह मातृत्व की शक्ति और संतान के प्रति माता के अटूट प्रेम को भी दर्शाता है। इस दिन विधि-विधान से व्रत रखने और पूजा करने से संतान को सुख, शांति और दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

 

 

अहोई अष्टमी 2024 से जुड़े सवाल और उनके जवा

 

अहोई अष्टमी 2024 किस दिन है?

 

अहोई अष्टमी 2024 24 अक्टूबर, गुरुवार को पड़ेगी।

 

 

अहोई अष्टमी का व्रत किन माताओं द्वारा रखा जाता है?

 

यह व्रत मुख्य रूप से पुत्र प्राप्ति की इच्छा रखने वाली और अपनी संतान, खासकर पुत्रों, के कल्याण की कामना करने वाली माताओं द्वारा रखा जाता है।

 

 

अहोई अष्टमी की पूजा कैसे करें?

 

इस लेख में अहोई अष्टमी की विधि का विस्तृत वर्णन दिया गया है। आप अपनी सुविधा के अनुसार किसी विद्वान पंडित से भी मार्गदर्शन ले सकती हैं।

 

 

क्या अहोई अष्टमी पर उपवास करना अनिवार्य है?

 

व्रत रखना इस पर्व का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, लेकिन यदि आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं या उपवास रखने में असमर्थ हैं, तो आप सिर्फ पूजा करके भी इस पर्व को मना सकती हैं। अपनी शारीरिक क्षमता का ध्यान रखें।

 

 

अहोई अष्टमी की कथा का क्या महत्व है?

 

अहोई अष्टमी की कथा इस व्रत के पीछे की मान्यता और महत्व को समझने में सहायक होती है। यह कथा माता पार्वती के आशीर्वाद से संतान प्राप्ति और उनकी रक्षा के संदेश को देती है। हम उम्मीद करते हैं कि उपरोक्त जानकारी आपको अहोई अष्टमी 2024 को धूमधाम से मनाने में मदद करेगी।

 

 

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