ज्योतिष शास्त्र में प्रत्येक राशि का अपना महत्व और विशेषताएँ होती हैं। इस ब्लॉग में हम तीन प्रमुख राशियों - तुला, वृश्चिक और धनु का संपूर्ण हाल जानेंगे। तुला राशि का स्वामी शुक्र है, जो इसे आकर्षक और संतुलित बनाता है। वृश्चिक राशि का स्वामी मंगल है, जो इसे साहसी और दृढ़ बनाता है। धनु राशि का स्वामी गुरु है, जो इसे ज्ञान और धर्म की ओर प्रेरित करता है। इन राशियों के व्यक्तित्व, स्वभाव, गुण-दोष और जीवन में आने वाले विभिन्न प्रभावों को विस्तार से समझें और जानें कि यह कैसे आपके जीवन को प्रभावित कर सकते हैं।
तूला राशि विषम, पुरुष एवै चर राशि है , वायु तत्त्व तथा स्वभाव क्रुर है, जाति शूद्र एवं दही जैसा सफेद है। यह दिन के समय बली, विचरण स्थान वन है, इसकी आकृति तराजू, प्रभाव उष्ठातर व वादी है। इसका स्वामी शुक्र 'शनि इसमें उच्च का फल तथा सूर्य नीच फल का हैI
कद लम्बा, एक सा शरीर देखने में शानदार ब आकर्षक, हाथ पैर बाहे कुछ पतले होते है। रंग साफ सुन्दर, रूपवान होते हैं, सुन्दा आँखे व नाक लम्बी गोल होती है। आयु बढ़न के साथ साथ लम्बे हो जाते हैं। इनमें समता, दयालुता, स्नेहशीलता, तथा विचार शुद्ध होते हैं, व्यायप्रिय, लोकप्रिय तथा बलिदान करने की भावना अथवा क्षमत्व इनमें होती है।
पढ़ाई के मामेल में थे बेड़ सूक्ष्मचित होते है, कल्पना शक्ति बढ़िया होती है। पढ़ाई में पूरी रूचि रखते हैं। तुला राशि पुरुष राशि हैI तुला के दो पलड़े होते हैं। यदि मंगल की स्थिति ठीक हो। ती दो भाई होते ही है। एक बहन, भाई बहनों के साथ सम्बन्ध सुखद नहीं होते हैं माता-पिता के साथ भी मन मुटाव ही रहता है,
चौबिसवे वर्ष मैं विवाह होतो शुभ फलदायक होता हैं। पति और पत्नी सुखमय या शान्त जीवन जीना चाहते हैं। पति पत्नी में मतभेद अवश्य हो जति हैं। यदि ग्रह स्थिति ठीक होतो विवाहोपरान्त भाग्य चमकता हैं।
तुला लग्न आदि की स्त्री जातक बुद्धिमान, समझदार, व चतुर होती हैं। वे अपने जीवन साथी के साथ भी बहुत प्रेम करती हैं। ये जातक विज्ञान, यान्त्रिक एवं कला के कार्यों में रुचि रखते हैं। परन्तु आगे बढ़ने की कमी के कारण पुरा पुरा लाभ नहीं होता, व्यापार, वकील अभिनेता आर्कीटेक्ट, सैलमैन लौहा, दुकानदारी लेखक शराब, तेल, पान की दुकान या सुनार, फोटोग्राफर आदि काम करते हैं, जबकि 'तुला राशि की ये राशि, रहन- तथा कारोबार में परिवर्तन करते हैं। किसी सम्बन्धी की आकस्मिक मृत्यु से लाभ होता है। धन जायदाद सम्बन्धी मुकदमा हो जाता है। तुला चर राशि है। यात्राएँ होती रहती है। जातक पत्नी के साथ रहना अधिक ठीक समझते हैं।
शुक्रवार का दिन 6 की संख्या शुभ फल्यापाक 3 एवं नौ की संख्या में जीवन पर प्रभाव डालती है। रत्न हीरा धारण करना कारोबार के लिए अच्छा है। सूर्य की मज़बूत करने के लिए माणिवय धारण करना हितकर है।
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वृश्चिक राशि यह सम राशि, स्त्री तथा स्थिर राशि है। जल तत्त्व, स्वभाव सौम्य एवं उत्तर दिशा को सूचित करती है। ब्राह्मण जाति तथा रंग इसका सुर्ख लाल है। रात बली विचरण स्थान जल एवं कीटक है। सांकेतिक चिन्ह बिच्छू है। मंगल इसका इसमें नीच का फल स्वामी तथा चन्द्र इसका नीचे का फल है
कद औसत, कई बार छोटा परन्तु सुगठित एवं संतुलित शरीर पठ्ठे मजबूत, लम्बा व चौड़ा चेहरा, छोटी व मोटी गर्दन, रंग सावला आभास देता हुआ, पीला, तीक्ष्ण बुद्धि , चंचल स्वभाव एवं आदर्शवादी होते हैं। हठी एवं अपनी धुन के पक्के होत हैं।
इच्छा शक्ति प्रबल, जोशीले, स्वतंत्र विचार और साहस बहुत होता है। अपने सामेन आई कठिनाईयों, रुकावटों को कुचल कर आगे बढ़ते हैं, भ्यानक व भयावह कार्यों में पड़ने से नहीं डरते हैं। मन की बात कम ही बोलत हैं। एवं भीतर रखते योजनाएँ बनाते रहते हैं।
यदि ये प्रसन्न होकर भी बात करें तो यही लगता है कि जैसे ये रौब डाल रहे हो तथा क्रोधित हो रहे हैं। भाई बहन कम ही होते हैं। ये स्वयं बड़े नही होते तथा साधारणतया इनका इनसे बड़ा भाई होता है।
ये कम बोलते हैं, उत्साह पुरा होता है, इसलिए ये पढ़े ते पुरा पढ़ते हैं। तथा विज्ञान डॉक्टरी, इन्जीनियर आदि की पूरी पढ़ाई करते हैं। ये जातक गुप्त विद्या तथा आध्यात्मिक विद्या भी प्राप्त करते हैं। विवाह तो होता है परन्तु साधारणतया देर से होता है। पहली पत्नी का सुख कम ही होता है। तथा ग्रह स्थित के अनुसार दुसरा विवाह करना पड़ता है। ग्रहस्थ जीवन सुखी होता है। परन्तु यदि घर के सभी सदस्या व पत्नी इनकी आज्ञाओं का पालन करते रहें। दो स्थी सम्बन्ध हो सकते है। इनका विवाह 24 से 29 वर्ष की आयु में होता है।
व्यवसाय, राजनैतिक, आलोचक, इन्जीनियर, मशीनों के काम, रसायन शास्त्री, बीमे के काम, पुलिस, सेना, रजिस्ट्रार विदेश वास तथा डाक्टर बहुत अच्छे होते हैं। परन्तु राशि स्वामी मंगल के साथ शनि हो तो गलत कार्य करने वाले हो जाते हैं। अधिक काम काज करने के कारण, अनियमित आहार, व्यवहार, अत्यन्त भोग विकार करने से पेट विकार, सिरदर्द तथा आदि पीड़ा होती है। मंगलवार का दिन,4 संख्या शुभदायक है। लाल रंग शुभ होता है तथा रत्न मूँगा 9 की संख्या की तारिख में पहनें ।
यह विषम पुरुष एवं द्विस्वभाव राशि है। अग्नि तत्त्व स्वभाव क्रूर है। जाति क्षत्रिय, पित्त प्रधान तथा पूर्व दिशा सूचित करती है। इसका विचरण स्थान पर्वत है। प्रभाव उष्णतर व रंग पीला है, इसका स्वामी गुरु है। ज्योतिष शास्त्र के कुछ विद्वानों के अनुसार इसमें केतु उच्च फलदायक तथा राहु नीच फलदायक है।
धनु राशि वाले जातक का कद लम्बा रंग साफ व गोरा, बाल काले व भूरे हल्के तथा व्यक्तित्व शानदार होता है। आँखों में चमक साधारण से अधिक होती है, ये जातक सुन्दर स्वरूपवान होते हैं। ये जातक बुद्धिमान, ईमानदार, सत्यवादी उदार हृदय, तथा दूसरों की भलाई करने वाले होते है। ये साहसी न्यायप्रेमी, परिश्रम महत्त्वकांक्षी होते हैं। इनमें शक्ति उत्साह एवं आत्मविश्वास अच्छा होता है, सत्युरूप धनवान धार्मिक कार्यों में रुचि होती है। यदि लग्न अथवा लग्न स्वामी आदि पर बुरे ग्रहों का कुप्रभाव हो तो जातक विश्वासघाती, धोखेबाज, आदि बन जाते हैंI ये ये जातक अध्ययनशील होते हैं। तथा स्मरणशक्ति तीव्र होती है। परिक्षा में प्रश्नों के उत्तर इनके सम्मुख सहज घी घूमेन लगते हैं।
ये द्विस्वभाव राशि है। यदि सातवे स्थान पर भी द्विस्वभाव राशि ही आती है तो विवाह का योग बन जाता हैं। संतान कम ही होती है, पुत्र अवश्य होता है। मित्र दोस्त अधिक होते हैं। मित्र पर ये बहुत उपकार करते हैं। परन्तु मित्र बन्धु इन्हें लाभ कम ही देते हैI
यात्राएँ अधिकतर लम्बी होती हैं। धार्मिक स्थानों की यात्रा ये प्राय: करते है भाईयों में बड़े होते हैं। विशेषकर यदि मंगल दूसरे घर में हो तो भाई इनके कामो में अड़चुन डालते हैंI व्यवसाय, सेनापति, वकील खेलकूद के शौकीन, घुड़सवारी, निशानेबाजी, धनवान शिल्पकला, परोपकारी कार्यों में रुचि कारिगिरी, सरकारी नौकरी, जज, प्रोफेसर, अध्यापक ज्योतिषि, धार्मिक संस्थाओं में परिचालन आदि में सफलता आर्जित करते हैं।
पीला रंग 3 की संख्या, शुभ होती है, इनके लिए 6, 9 की संख्या भी ठीक होती है। दिन बृहस्पतिवार एवं पुखराज जो की रत्ती से कम न हो सोने की अंगूठी में धारण करना लाभदायक होता हैI
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हमने तुला, वृश्चिक और धनु राशियों के विभिन्न पहलुओं को विस्तार से जाना। तुला राशि के जातक संतुलित, आकर्षक और दयालु होते हैं, जबकि वृश्चिक राशि के जातक साहसी, दृढ़ संकल्पित और रहस्यमयी होते हैं। धनु राशि के जातक उच्च आदर्शों वाले, ज्ञानप्रिय और धार्मिक प्रवृत्ति के होते हैं। प्रत्येक राशि के स्वभाव, गुण और जीवन पर पड़ने वाले प्रभावों को समझकर हम अपने जीवन को अधिक संतुलित और सकारात्मक दिशा में ले जा सकते हैं। ज्योतिष के माध्यम से हम अपनी व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में बेहतर निर्णय ले सकते हैं और समृद्धि, शांति और संतोष प्राप्त कर सकते हैं।
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Author : Nikita Sharma
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