वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में सीढ़ी का स्थान बहुत महत्वपूर्ण होता है। गलत दिशा में बनी सीढ़ियां नकारात्मक ऊर्जा ला सकती हैं और घर में अशांति पैदा कर सकती हैं।
दक्षिण-पश्चिम दिशा: यह सीढ़ी के लिए सबसे शुभ स्थान माना जाता है। यह दिशा समृद्धि और स्थिरता से जुड़ी होती है।
दक्षिण दिशा: यह दिशा भी सीढ़ी के लिए अच्छी मानी जाती है। यह दिशा यश और उन्नति से जुड़ी होती है।
पूर्व या पश्चिम दिशा: यदि आप इन दिशाओं में से किसी एक में सीढ़ी बनाते हैं, तो सुनिश्चित करें कि वे उत्तर-पूर्व या उत्तर-पश्चिम कोने को छूती नहीं हैं।
ईशान कोण: यह कोण देवताओं का स्थान माना जाता है। इस दिशा में सीढ़ी बनाना अशुभ माना जाता है।
उत्तर-पूर्व दिशा: यह दिशा ज्ञान और बुद्धि से जुड़ी होती है। इस दिशा में सीढ़ी बनाना बाधाएं पैदा कर सकता है।
ब्रह्मस्थान: यह घर का केंद्र होता है और इसे खाली रखना चाहिए। यहां सीढ़ी बनाना नकारात्मक ऊर्जा ला सकता है।
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वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में सीढ़ी का स्थान महत्वपूर्ण होता है। सीढ़ी का सही स्थान चुनकर आप घर में सकारात्मक ऊर्जा ला सकते हैं और सुख-समृद्धि प्राप्त कर सकते हैं।
सीढ़ी का मुख दक्षिण, पश्चिम, या पूर्व दिशा में होना चाहिए।
सीढ़ी के नीचे स्टोर रूम, बाथरूम, या पूजा स्थल नहीं बनाना चाहिए।
सीढ़ियों की संख्या विषम होनी चाहिए, जैसे 1, 3, 5, या 7।
सीढ़ियों की चौड़ाई सभी तरफ समान होनी चाहिए।
सीढ़ियों को हमेशा अच्छी तरह से रोशन रखना चाहिए। आप लाइटें या खिड़कियां लगा सकते हैं।
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Author : Nikita Sharma
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