वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में मंदिर: शांति और सकारात्मकता का द्वार
वास्तु शास्त्र, प्राचीन भारतीय वास्तुकला और जीवनशैली का विज्ञान, घर में मंदिर के महत्व पर जोर देता है। मंदिर को घर का पवित्र स्थान माना जाता है, जहां सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है। वास्तु के अनुसार घर में मंदिर स्थापित करने से शांति, समृद्धि और खुशी आती है।
मंदिर के लिए उचित स्थान:
- ईशान कोण: घर का ईशान कोण, जिसे उत्तर-पूर्व दिशा भी कहा जाता है, मंदिर स्थापित करने के लिए सबसे शुभ स्थान माना जाता है। यह दिशा ज्ञान, आध्यात्मिकता और सकारात्मक ऊर्जा से जुड़ी है।
- पूर्व दिशा: यदि ईशान कोण में जगह नहीं है, तो पूर्व दिशा भी मंदिर के लिए उपयुक्त है। यह दिशा सूर्योदय की दिशा है और इसे शुभ माना जाता है।
- उत्तर दिशा: उत्तर दिशा भी मंदिर स्थापित करने के लिए स्वीकार्य है। यह दिशा समृद्धि और बुद्धि से जुड़ी है।
मंदिर निर्माण के नियम:
- मंदिर का फर्श: मंदिर का फर्श संगमरमर, ग्रेनाइट या टाइल्स से बना होना चाहिए। लकड़ी का फर्श टालना चाहिए।
- मंदिर की दीवारें: मंदिर की दीवारें हल्के रंगों से रंगी होनी चाहिए, जैसे सफेद, पीला या हल्का नीला। गहरे रंगों से बचना चाहिए।

- मूर्तियां: मंदिर में देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित करें। मूर्तियां साफ-सुथरी और अच्छी स्थिति में होनी चाहिए।
- दीपक: मंदिर में नियमित रूप से दीपक जलाएं। घी या तेल का दीपक जलाना सबसे अच्छा है।
- प्रसाद: मंदिर में देवी-देवताओं को नियमित रूप से प्रसाद अर्पित करें। ताजे फल, फूल और मिठाई का प्रसाद अच्छा विकल्प है।
निष्कर्ष: वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में मंदिर
वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में मंदिर स्थापित करने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है, जिससे शांति, समृद्धि और खुशी आती है। यदि आप अपने घर में मंदिर स्थापित करने पर विचार कर रहे हैं, तो उपरोक्त दिशानिर्देशों का पालन करें।
5 लोकप्रिय पूछे जाने वाले प्रश्न: वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में मंदिर
क्या घर में मंदिर होना आवश्यक है?
वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में मंदिर होना शुभ माना जाता है, लेकिन यह आवश्यक नहीं है। यदि आप धार्मिक व्यक्ति हैं और घर में मंदिर स्थापित करना चाहते हैं, तो यह निश्चित रूप से एक अच्छा विचार है।
मैं मंदिर में किन देवी-देवताओं की पूजा कर सकता हूं?
आप अपनी पसंद के किसी भी देवी-देवता की पूजा कर सकते हैं। यदि आप निश्चित नहीं हैं कि किन देवी-देवताओं की पूजा करें, तो आप किसी पुजारी या ज्योतिषी से सलाह ले सकते हैं।
मैं मंदिर में कब पूजा कर सकता हूं?
आप दिन में किसी भी समय पूजा कर सकते हैं। हालांकि, सुबह और शाम को पूजा करने का सबसे अच्छा समय माना जाता है।
क्या मैं मंदिर में भोजन बना सकता हूं?
मंदिर में भोजन बनाना अनुशंसित नहीं है। मंदिर को एक पवित्र स्थान माना जाता है, और वहां भोजन बनाना इसे अशुद्ध कर सकता है।
मैं मंदिर को साफ कैसे रखूं?
मंदिर को हमेशा साफ-सुथरा रखना चाहिए। नियमित रूप से मंदिर की सफाई करें और मूर्तियों को धोएं।
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