हर स्त्री के जीवन में विवाह एक महत्वपूर्ण मोड़ होता है, और भारतीय संस्कृति में कई ऐसे व्रत और अनुष्ठान हैं जो इस सुखमय मोड़ को और भी मंगलमय बनाने का वादा करते हैं। मंगला गौरी व्रत ऐसा ही एक पवित्र व्रत है, जो विशेषकर कुंवारी कन्याओं और विवाहित स्त्रियों द्वारा वैवाहिक सुख, सौभाग्य और मनचाहे जीवनसाथी की प्राप्ति के लिए रखा जाता है। यह व्रत श्रावण मास के हर मंगलवार को रखा जाता है, जब शिव और पार्वती की विशेष कृपा मानी जाती है।
वर्ष 2025 में श्रावण मास की शुरुआत 10 जुलाई से होगी और इसका समापन 8 अगस्त को होगा। इस दौरान मंगलवार की तिथियां इस प्रकार रहेंगी:
तिथि | दिन |
---|---|
15 जुलाई 2025 | पहला मंगलवार |
22 जुलाई 2025 | दूसरा मंगलवार |
29 जुलाई 2025 | तीसरा मंगलवार |
5 अगस्त 2025 | चौथा मंगलवार |
इन चारों मंगलवार को महिलाएं मंगला गौरी व्रत का पालन करती हैं, जिसमें देवी पार्वती की विशेष पूजा और आराधना की जाती है।
इस व्रत की शुरुआत सुबह स्नान कर शुद्ध वस्त्र पहनने से होती है। पूजा के लिए मुख्य सामग्री में शामिल होती हैं – लाल वस्त्र, गेहूं, अक्षत, सुपारी, कुमकुम, हल्दी, फूल, फल, दीपक, कलश और देवी पार्वती की मूर्ति या चित्र।
पूजा विधि इस प्रकार होती है:
16 सुपारी या 16 मिट्टी की गौरी बनाकर उन्हें कुमकुम, हल्दी से सजाएं और उन्हें देवी को समर्पित करें।
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इस व्रत की कथा एक कुंवारी कन्या की है जिसने कठिन व्रत और भक्ति से देवी पार्वती को प्रसन्न कर अपने लिए योग्य वर प्राप्त किया। यह कथा स्त्रियों को आस्था और धैर्य का संदेश देती है। व्रत कथा सुनने और सुनाने का विशेष महत्व है क्योंकि इससे व्रत की पूर्णता होती है और देवी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
मंगला गौरी व्रत विशेषकर उन कन्याओं के लिए है जो विवाह में आने वाली अड़चनों से परेशान हैं। इस व्रत से न केवल जल्दी विवाह के योग बनते हैं, बल्कि मनचाहा जीवनसाथी भी मिलने की संभावना बढ़ जाती है। विवाहित स्त्रियों के लिए यह सौभाग्य, पति की लंबी आयु और पारिवारिक सुख की प्राप्ति का माध्यम बनता है। इसके अलावा यह व्रत ग्रह दोषों की शांति और मानसिक संतुलन के लिए भी लाभकारी माना जाता है।
ज्योतिष के अनुसार, जब जन्म कुंडली में विवाह भाव (सप्तम भाव) में दोष हो या मंगल, राहु, शनि आदि का प्रभाव हो तो विवाह में देरी होती है। मंगला गौरी व्रत देवी पार्वती की कृपा से इन ग्रह दोषों को शांत करता है। कई ज्योतिषाचार्य भी इस व्रत को विवाह के योग सशक्त करने के लिए अनुशंसा करते हैं।
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यह व्रत अविवाहित कन्याओं के लिए अत्यंत लाभकारी है, विशेषकर उनके लिए जो मनचाहा वर पाना चाहती हैं या जिनका विवाह किसी कारणवश टल रहा है। विवाहित स्त्रियाँ भी इस व्रत को कर सकती हैं ताकि उनका वैवाहिक जीवन सुखमय बना रहे। उम्र की कोई बाध्यता नहीं है, आस्था और श्रद्धा ही इस व्रत की असली शक्ति है।
हर कुंडली अलग होती है। इसलिए जरूरी है कि मंगला गौरी व्रत करने से पहले अपने ज्योतिषाचार्य से सलाह लें। यह जानना आवश्यक है कि क्या यह व्रत आपके लिए लाभकारी है, और अगर हाँ, तो किन विशेष उपायों के साथ इसे करना चाहिए।
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मंगला गौरी व्रत केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि स्त्री शक्ति और आस्था का प्रतीक है। यह व्रत न केवल विवाह के मार्ग को सुगम बनाता है, बल्कि वैवाहिक जीवन में सौभाग्य, सुख और संतुलन भी लाता है। यदि इसे श्रद्धा और नियमपूर्वक किया जाए, तो यह जीवन में वह आशीर्वाद ला सकता है जिसकी हर स्त्री को कामना होती है।
सावन मास में चार मंगलवार पड़ रहे हैं, अतः व्रत चार बार रखा जाएगा।
नहीं, विवाहित स्त्रियाँ भी अपने सौभाग्य और पारिवारिक सुख के लिए यह व्रत करती हैं।
मान्यता है कि यह व्रत विवाह में आने वाली बाधाओं को दूर करता है और मनचाहा जीवनसाथी मिलने की संभावना बढ़ाता है।
हाँ, कथा सुनना व्रत की पूर्णता के लिए आवश्यक माना जाता है।
नहीं, व्रती स्त्रियाँ केवल फलाहार करती हैं और अनाज का सेवन वर्जित होता है।
अब जानिए आपकी कुंडली के अनुसार मंगला गौरी व्रत आपके लिए कितना प्रभावी है – AstroEra पर निःशुल्क ज्योतिष परामर्श प्राप्त करें।
Author : Krishna
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