अहोई व्रत कथा एवं विधि
अहोई अष्टमी का व्रत विशेष रूप से माताओं द्वारा अपने बच्चों की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए रखा जाता है। इस दिन महिलाएँ निर्जला उपवास करती हैं और शाम को तारों को देखकर व्रत का पारण करती हैं। यह व्रत कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है और भगवान शिव तथा देवी पार्वती की पूजा का विशेष महत्व होता है।
- 24 अक्टूबर 2024
- शुभ मुहूर्त: शाम 5:56 बजे से 7:10 बजे तक
- सितारों को देखने का समय: शाम 6:18 बजे
अहोई अष्टमी एक ऐसा त्योहार है जिसे महिलाएँ अपने बच्चों के दीर्घायु, स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए मनाती हैं। इस दिन महिलाएँ निर्जला उपवास रखती हैं और तारों को देखकर अपना व्रत तोड़ती हैं। हिन्दू पंचांग के अनुसार, यह त्यौहार कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। महिलाएँ इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती की विधिपूर्वक पूजा करती हैं।
निष्कर्ष: अहोई व्रत 2024
अहोई अष्टमी का व्रत माताओं के अपने बच्चों के प्रति असीम प्रेम और उनकी सुरक्षा की कामना का प्रतीक है। सही विधि और भक्ति के साथ की गई पूजा से माँ पार्वती का आशीर्वाद मिलता है, जिससे बच्चों की खुशहाली और लंबी आयु सुनिश्चित होती है।
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