हिंदू धर्म में संक्रांति का बहुत महत्व है। यह तब होता है जब सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करता है। प्रत्येक महीने सूर्य एक नई राशि में प्रवेश करता है, जिसके परिणामस्वरूप साल में कुल 12 संक्रांतियां होती हैं। इन सभी संक्रांतियों में से, कुछ को दूसरों की तुलना में अधिक शुभ माना जाता है, और वृश्चिक संक्रांति उनमें से एक है।
2024 में वृश्चिक संक्रांति कब है, यह जानने के लिए आप इंतजार कर रहे हैं? तो जवाब है - 17 नवंबर, रविवार। इस दिन सूर्य देव तुला राशि से निकलकर वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे। ज्योतिष के अनुसार, यह गोचर आमतौर पर सुबह के समय होता है, इसलिए वृश्चिक संक्रांति का पर्व सूर्योदय के समय मनाया जाता है।
जैसा कि हमने बताया, साल में 12 संक्रांतियां होती हैं, जिनमें से प्रत्येक का अपना अलग महत्व होता है। ये 12 संक्रांतियां हैं:
मकर संक्रांति (सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है) - साल का सबसे लंबा दिन माना जाता है।
कुंभ संक्रांति (सूर्य कुंभ राशि में प्रवेश करता है) - कुंभ विद्या और ज्ञान का कारक ग्रह माना जाता है।
मीन संक्रांति (सूर्य मीन राशि में प्रवेश करता है) - मोक्ष की प्राप्ति के लिए शुभ माना जाता है।
मेष संक्रांति (सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है) - हिंदू नव वर्ष की शुरुआत का प्रतीक।
वृष संक्रांति (सूर्य वृष राशि में प्रवेश करता है) - खेतों में बुवाई का शुभ समय माना जाता है।
मिथुन संक्रांति (सूर्य मिथुन राशि में प्रवेश करता है) - कला और संगीत से जुड़ा हुआ है।
कर्क संक्रांति (सूर्य कर्क राशि में प्रवेश करता है) - गुरुओं और शिक्षकों का सम्मान करने का दिन।
सिंह संक्रांति (सूर्य सिंह राशि में प्रवेश करता है) - शक्ति और साहस का प्रतीक।
कन्या संक्रांति (सूर्य कन्या राशि में प्रवेश करता है) - स्वास्थ्य और कल्याण के लिए पूजा-अर्चना का विधान है।
तुला संक्रांति (सूर्य तुला राशि में प्रवेश करता है) - न्याय और संतुलन का प्रतीक।
वृश्चिक संक्रांति (सूर्य वृश्चिक राशि में प्रवेश करता है) - तंत्र और अध्यात्म से जुड़ा हुआ है।
धनु संक्रांति (सूर्य धनु राशि में प्रवेश करता है) - ज्ञान और विद्या प्राप्ति के लिए शुभ माना जाता है।
अब जानते हैं वृश्चिक संक्रांति का महत्व। वृश्चिक राशि ज्योतिष में जटिल मानी जाती है। यह राशि जुनून, रहस्य और परिवर्तन का प्रतीक है। माना जाता है कि वृश्चिक संक्रांति के दिन कुछ खास अनुष्ठान करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और जीवन में सफलता प्राप्त होती है।
वृश्चिक संक्रांति के दिन कुछ खास अनुष्ठान किए जाते हैं, जिनके बारे में माना जाता है कि ये शुभ फल देते हैं। आइए जानते हैं इन अनुष्ठानों के बारे में:
पूजा-अर्चना: वृश्चिक संक्रांति के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। इसके बाद अपने पूजा स्थान की साफ-सफाई करें और भगवान सूर्य को जल, फूल, और अक्षत अर्पित करें। आप भगवान शिव की भी पूजा कर सकते हैं, क्योंकि वृश्चिक राशि उनसे संबंधित मानी जाती है।
मंत्र जप: ज्योतिष के जानकारों के अनुसार, वृश्चिक संक्रांति के दिन कुछ खास मंत्रों का जप करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। आप इस दिन आदित्य हृदय स्तोत्र या ॐ भास्कराय नमः मंत्र का जप कर सकते हैं।
दान का महत्व: हिंदू धर्म में दान का बहुत महत्व माना जाता है। वृश्चिक संक्रांति के दिन गरीबों और जरूरतमंदों को दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। आप अनाज, वस्त्र, या दक्षिणा का दान कर सकते हैं।
व्रत रखना: कुछ लोग वृश्चिक संक्रांति के दिन व्रत भी रखते हैं। व्रत रखने से मन को शांति मिलती है और आध्यात्मिक विकास होता है। आप इस दिन सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक व्रत रख सकते हैं।
वृश्चिक संक्रांति हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है। इस दिन सूर्य देव वृश्चिक राशि में प्रवेश करते हैं। ज्योतिष के अनुसार, वृश्चिक संक्रांति पर किए जाने वाले अनुष्ठान, पूजा-पाठ और दान से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और जीवन में शुभ फल प्राप्त होते हैं। इस दिन कुछ खास राशियों के जातकों पर भी शुभ प्रभाव पड़ता है। आप अपनी राशि के अनुसार विशेष पूजा या उपाय कर सकते हैं।
वृश्चिक संक्रांति 2024 में 17 नवंबर, रविवार को पड़ेगी।
वृश्चिक संक्रांति का विशेष रूप से तांत्रिक पूजाओं और अध्यात्म से जुड़ा हुआ है। माना जाता है कि इस दिन कुछ खास अनुष्ठान करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और जीवन में सफलता प्राप्त होती है।
वृश्चिक संक्रांति पर आप सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर सकते हैं, भगवान सूर्य और शिव की पूजा कर सकते हैं, आदित्य हृदय स्तोत्र का जप कर सकते हैं, दान कर सकते हैं या व्रत रख सकते हैं। ज्योतिष के जानकारों से सलाह लेकर आप अपनी राशि के अनुसार भी पूजा-पाठ कर सकते हैं।
ज्योतिष के अनुसार, वृश्चिक संक्रांति मेष, वृष, कर्क, सिंह और वृश्चिक राशि के जातकों के लिए विशेष रूप से शुभ मानी जाती है।
वृश्चिक संक्रांति के आसपास मौसम बदलता रहता है, इसलिए अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें और गर्म कपड़े पहनें। अपनी राशि से जुड़े नियमों का पालन करने के लिए ज्योतिषविदों से सलाह लें।
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