भारतीय संस्कृति में कई त्योहार और व्रत होते हैं, जो न सिर्फ आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखते हैं, बल्कि जीवन में सुख-समृद्धि और सौभाग्य लाने के लिए भी किए जाते हैं। वट सावित्री व्रत उनमें से एक महत्वपूर्ण व्रत है, जो सुहागिन महिलाओं द्वारा अपने पति की दीर्घायु और सुखमय जीवन के लिए रखा जाता है। आइए, इस वर्ष 6 जून, 2024 को पड़ने वाले वट सावित्री व्रत के बारे में विस्तार से जानें, इसकी महत्व, उपवास का महत्व और पूजा विधि को समझें।
पौराणिक कथा के अनुसार, सावित्री, राजकुमार सत्यवान की पत्नी थीं। सावित्री अपने पति के प्रति अटूट प्रेम और समर्पण के लिए जानी जाती थीं। जब यमराज सत्यवान के प्राण लेने आए, तो सावित्री ने अपने धर्म, बुद्धि और पति के प्रति प्रेम के बल पर यमराज से वाद-विवाद किया और अंत में अपने पति का जीवन वापस प्राप्त करने में सफल रहीं।
वट सावित्री व्रत इसी कथा और सावित्री के पतिव्रता धर्म के सम्मान में मनाया जाता है। यह व्रत सुहागिन महिलाओं को अपने पति की दीर्घायु, सुखी वैवाहिक जीवन और पतिव्रता धर्म का पालन करने की प्रेरणा देता है।
वट सावित्री व्रत के दिन सुहागिन महिलाएं सुबह स्नान करके व्रत का संकल्प लेती हैं। पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं और शाम को वट वृक्ष के नीचे पूजा करती हैं। वट वृक्ष को पवित्र और दीर्घायु का प्रतीक माना जाता है।
इस व्रत का न केवल पति की दीर्घायु के लिए किया जाता है, बल्कि यह महिलाओं को आत्मनिर्भर, धर्मनिष्ठ और पतिव्रता गुणों को अपनाने की प्रेरणा भी देता है। उपवास शरीर और मन को शुद्ध करता है और ईश्वर के प्रति भक्ति भाव प्रकट करता है।
सुबह स्नान करके साफ-सुथरे वस्त्र पहनें।
पूजा का स्थान तैयार करें और मंडप बनाएं।
मंडप में वट वृक्ष की प्रतिमा या शाखाएं स्थापित करें।
भगवान शिव, माता पार्वती, सावित्री और सत्यवान की तस्वीरें या मूर्तियां रखें।
व्रत का संकल्प लें और विधिवत पूजा प्रारंभ करें।
वट वृक्ष और देवी-देवताओं को वस्त्र, गंध, पुष्प, फल आदि अर्पित करें।
वट वृक्ष की 108 बार परिक्रमा करें और सावित्री-सत्यवान की कथा सुनें।
यहाँ पढ़ें: नारद जयंती 2024
शाम को आरती करें और ब्राह्मण को भोजन दान करें।
रात्रि में जागरण करें और भजन-कीर्तन करें। 10
अगले दिन सुबह स्नान के बाद ही भोजन ग्रहण करें और व्रत का पारण करें।
यह व्रत गर्भवती महिलाओं और बीमार महिलाओं के लिए उपयुक्त नहीं है।
व्रत के दौरान क्रोध, ईर्ष्या या नकारात्मक विचारों से बचें।
पूजा के दौरान पवित्रता और साफ-सफाई का ध्यान रखें।
वट सावित्री व्रत सिर्फ धार्मिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक महत्व भी रखता है। यह व्रत पति-पत्नी के बीच सम्मान, प्रेम और समर्पण की भावना को मजबूत करता है।
इस व्रत के दौरान महिलाएं एक साथ पूजा-पाठ में शामिल होती हैं, भजन-कीर्तन करती हैं और एक-दूसरे के सुख-दुख साझा करती हैं। इससे सामाजिक सद्भावना और महिलाओं के बीच बंधन मजबूत होते हैं।
यहाँ पढ़ें: अपरा एकादशी 2024
वट सावित्री व्रत भारतीय संस्कृति का एक पवित्र और महत्वपूर्ण व्रत है। यह व्रत सुहागिन महिलाओं को पति की दीर्घायु के लिए करते हुए जीवन में धर्म, निष्ठा और पतिव्रता गुणों को अपनाने की प्रेरणा देता है। सामाजिक रूप से भी यह व्रत महिलाओं के बीच एकता और सद्भावना बढ़ाता है।
यदि आप एक सुहागिन महिला हैं तो 6 जून, 2024 को वट सावित्री व्रत जरूर रखें और अपने पति के सुखद भविष्य के लिए ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त करें।
यद्यपि यह व्रत मुख्य रूप से सुहागिन महिलाओं द्वारा रखा जाता है, लेकिन कुछ स्थानों पर कुंवारी लड़कियां भी अच्छे वर की प्राप्ति के लिए यह व्रत रखती हैं। हालांकि, इसकी विधि और परंपराएं सुहागिन महिलाओं के व्रत से थोड़ी भिन्न हो सकती हैं।
कुछ परंपराओं में व्रत का निर्जला (बिना पानी के) रखने पर जोर दिया जाता है, जबकि कुछ में शाम को भोजन से पहले कम मात्रा में फलाहार और जल ग्रहण की अनुमति होती है। अपनी शारीरिक क्षमता और स्थानीय परंपराओं के अनुसार आप निर्णय ले सकते हैं।
व्रत के बाद हल्का और पौष्टिक भोजन ग्रहण करना चाहिए। फलों, सब्जियों, दूध-दही या खिचड़ी का सेवन करना अच्छा होता है। मांसाहार और तेल-मसाले वाले भोजन से कुछ समय तक बचना चाहिए।
व्रत के दौरान मन की पवित्रता और सकारात्मक विचारों का महत्व है। क्रोध, ईर्ष्या या नकारात्मक विचारों से बचना चाहिए। घर-परिवार में पति के साथ संवाद और मेलजोल को बढ़ावा दें।
वट सावित्री व्रत का उपवास न सिर्फ पति की दीर्घायु के लिए किया जाता है, बल्कि इसके कई अन्य लाभ भी होते हैं, जिनमें शामिल हैं:
आत्मिक शुद्धि: निर्जला व्रत रखने से मन और शरीर दोनों का शुद्धिकरण होता है। क्रोध, लोभ, मोह जैसे नकारात्मक विचारों से दूर रहने और सकारात्मक भावनाओं को बढ़ावा मिलता है।
आत्मबल बढ़ाना: व्रत का संकल्प लेना और उसे दृढ़ता से पूरा करना आत्मबल को मजबूत बनाता है। संकल्प शक्ति बढ़ती है और जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना करने का हौसला मिलता है।
धर्मनिष्ठा बढ़ाना: ईश्वर के प्रति श्रद्धा और प्रेम को प्रकट करने का यह एक उत्तम तरीका है। व्रत रखने से धार्मिक अनुष्ठानों के प्रति जागरूकता बढ़ती है और जीवन में धर्म का महत्व समझ आता है।
इस तरह के और भी दिलचस्प विषय के लिए यहां क्लिक करें - Instagram
Author :
Discover the spiritual essence of Putrada Ekadashi...
Discover the magic of Makar Sankranti 2024 with it...
Experience the cultural vibrancy of Pongal 2024 in...
Get Expert Astrologer Advice Only ₹9
Chat NowCopyright ©️ 2025 SVNG Strip And Wire Private Limited (Astroera) | All Rights Reserved