हिंदू धर्म के पावन त्योहारों की लंबी श्रृंखला में कार्तिक पूर्णिमा का विशेष स्थान है। इसे देव दीपावली के नाम से भी जाना जाता है। यह आध्यात्मिकता, प्रकाश और समृद्धि का पर्व है, जो हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है।
आने वाले साल 2024 में कार्तिक पूर्णिमा 15 नवंबर, शुक्रवार को मनाई जाएगी।
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 15 नवंबर 2024, सुबह 06:21 बजे
पूर्णिमा तिथि समापन: 16 नवंबर 2024, सुबह 03:00 बजे
कार्तिक पूर्णिमा का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है। इस दिन कई महत्वपूर्ण धार्मिक और पौराणिक कथाओं से जुड़ा हुआ है। आइए जानते हैं कार्तिक पूर्णिमा के कुछ प्रमुख महत्वों के बारे में:
भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा: कार्तिक पूर्णिमा का मुख्य महत्व भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा से जुड़ा हुआ है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु क्षीर सागर में शयन करते हैं और उनकी पूजा करने से विशेष कृपा प्राप्त होती है। साथ ही, देवी लक्ष्मी को धन और समृद्धि की देवी माना जाता है, इसलिए इस दिन उनकी पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।
दीपदान का पर्व: कार्तिक पूर्णिमा को देव दीपावली भी कहा जाता है। इस दिन दीपदान करने का विशेष महत्व है। घरों, मंदिरों और नदियों के किनारे दीप जलाए जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि दीपों की रोशनी से देवता प्रसन्न होते हैं और अंधकार दूर होकर जीवन में प्रकाश आता है।
पवित्र नदियों में स्नान: कार्तिक पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का भी विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से व्यक्ति के पाप धुल जाते हैं और मन को शांति मिलती है। गंगा, यमुना, सरयू जैसी नदियों में इस दिन श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है।
व्रत और दान का विधान: कार्तिक पूर्णिमा के दिन कई लोग व्रत रखते हैं और शाम के समय पूजा-अर्चना के बाद पारण करते हैं। साथ ही, इस दिन दान करने का भी विशेष महत्व है। गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
कार्तिक पूर्णिमा के साथ कई पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं। इन कथाओं का त्योहार के महत्व को और भी गहरा बनाती हैं। आइए जानते हैं ऐसी ही कुछ प्रमुख कथाओं के बारे में:
कार्तिक पूर्णिमा रोशनी और आध्यात्म का पवित्र पर्व है। इस दिन भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। पवित्र नदियों में स्नान और दीपदान करने से भी पुण्य की प्राप्ति होती है। आइए इस पावन अवसर पर धर्म और परंपरा का पालन करते हुए भक्तिभाव से पूजा-अर्चना करें और अपने जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करें।
कार्तिक पूर्णिमा 2024 में 15 नवंबर, शुक्रवार को मनाई जाएगी।
कार्तिक पूर्णिमा का महत्व भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा, दीपदान, पवित्र नदियों में स्नान, व्रत और दान से जुड़ा हुआ है।
कार्तिक पूर्णिमा के दिन पूजा-अर्चना, स्नान, दीपदान, व्रत और दान करने का विधान है।
कार्तिक पूर्णिमा से जुड़ी त्रिपुरासुर वध, सागर का मंथन (क्षीर सागर का मंथन) और गंगा के अवतरण की कथाएं प्रचलित हैं।
कार्तिक पूर्णिमा के दौरान काशी (गंगा आरती), अयोध्या (सरयू नदी के किनारे दीप जलाना) और वृंदावन (बांके बिहारी मंदिर में विशेष पूजा) जैसे स्थानों की यात्रा की जा सकती है।
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