गरुड़ पुराण हिन्दू धर्म के 18 महापुराणों में से एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है। इसका नाम भगवान विष्णु के वाहन गरुड़ के नाम पर रखा गया है। इस पुराण में गरुड़ और भगवान विष्णु के बीच हुए संवाद का वर्णन है, जिसमें गरुड़ भगवान विष्णु से जीवन, मृत्यु, धर्म, कर्म, और मोक्ष के बारे में प्रश्न पूछते हैं।
गरुड़ पुराण में अनेक विषयों का समावेश है, जिनमें प्रमुख हैं:
जीवन और मृत्यु: पुराण में मनुष्य के जीवन चक्र, जन्म, मृत्यु, और पुनर्जन्म के बारे में विस्तार से बताया गया है। मृत्यु के बाद आत्मा के विभिन्न गति और मृत्यु के समय के अनुसार मनुष्य के साथ होने वाली घटनाओं का भी वर्णन है।
धर्म और कर्म: पुराण में हिन्दू धर्म के विभिन्न कर्मकांडों, नीति-नियमों, और धार्मिक अनुष्ठानों का वर्णन है। कर्म के महत्व और मनुष्य के कर्मों के फल पर भी प्रकाश डाला गया है।
पाप और पुण्य: पुराण में पाप और पुण्य के विभिन्न प्रकारों का वर्णन है, तथा यह बताया गया है कि मनुष्य को कैसे पापों से बचना चाहिए और पुण्य कर्म कैसे करना चाहिए।
मोक्ष: पुराण में मोक्ष की प्राप्ति के विभिन्न मार्गों का वर्णन है। कर्मयोग, भक्ति योग, और ज्ञान योग के माध्यम से मोक्ष प्राप्ति के उपाय बताए गए हैं।
अंतिम संस्कार: पुराण में मृत व्यक्ति के अंतिम संस्कार की विधि का विस्तार से वर्णन है। साथ ही, मृत्यु के बाद दस दिनों तक किए जाने वाले श्राद्ध कर्मों का भी उल्लेख है।
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गरुड़ पुराण दो मुख्य खंडों में विभाजित है - पूर्वखंड और उत्तरखंड। ग्रंथों में अध्यायों की संख्या को लेकर थोड़ा मतभेद है। कुछ स्रोतों के अनुसार, पूर्वखंड में 229 अध्याय हैं, जबकि अन्य 240 या 243 अध्याय बताते हैं। उत्तरखंड में अध्यायों की संख्या 34 से 49 के बीच बताई जाती है। इस प्रकार, कुल मिलाकर गरुड़ पुराण में लगभग 263 से 292 अध्याय होने का अनुमान लगाया जाता है।
पूर्वखंड और उत्तरखंड, गरुड़ पुराण के दो भाग हैं। पूर्वखंड जीवन, मृत्यु, धर्म, कर्म और मोक्ष पर, जबकि उत्तरखंड खासकर मृत्यु, अंतिम संस्कार और उसके बाद की यात्रा पर केंद्रित है। दोनों मिलकर जीवन और मृत्यु के चक्र को समझने में मदद करते हैं।
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गरुड़ पुराण मृत्यु के बारे में ज्ञान प्राप्त करने और जीवन को सार्थक बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है। यह पुराण हमें सिखाता है कि मनुष्य को कर्म करते हुए धर्म का पालन करना चाहिए, पापों से बचना चाहिए, और पुण्य कर्म करना चाहिए। गरुड़ पुराण का श्रवण या पाठ करने से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
गरुड़ पुराण की रचना का निश्चित रूप से उल्लेख नहीं है। हालांकि, यह माना जाता है कि इसकी रचना विभिन्न ऋषियों ने मिलकर की थी।
ग्रंथों में अध्यायों की संख्या को लेकर थोड़ा मतभेद है। कुछ स्रोतों के अनुसार, पूर्वखंड में 229 अध्याय हैं, जबकि अन्य 240 या 243 अध्याय बताते हैं। उत्तरखंड में अध्यायों की संख्या 34 से 49 के बीच बताई जाती है।
गरुड़ पुराण मृत्यु, धर्म, कर्म, और मोक्ष के बारे में ज्ञान प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण है। यह पुराण मनुष्य को जीवन जीने का सही तरीका सिखाता है।
गरुड़ पुराण का पाठ किसी भी शुभ दिन किया जा सकता है। विशेष रूप से, यह पुराण पितृ पक्ष में, मृत्यु के बाद दस दिनों तक, और मृत्यु के एक वर्ष बाद किया जाता है।
गरुड़ पुराण का पाठ करने से पापों का नाश होता है, मोक्ष की प्राप्ति होती है, और मृत्यु का भय समाप्त होता है। इसके साथ ही, गरुड़ पुराण का पाठ करने से ज्ञान, शांति, और समृद्धि प्राप्त होती है।
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