भाई दूज कैसे मनाई जाती है?

भाई दूज कैसे मनाई जाती है?
  • 21 Oct 2024
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भाई दूज, जिसे भाई टीका, भाई बीज, भाई फोंटा, भाऊबीज या भ्रातृ द्वितीया भी कहा जाता है, एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो भाई-बहन के स्नेह और रिश्ते को दर्शाता है। भाई दूज दीवाली के पांच दिनों में से अंतिम दिन मनाया जाता है और इसका विशेष महत्व होता है। इस दिन बहनें अपने भाई की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं।

 

भाई दूज कैसे मनाई जाती है?

भाई दूज का पर्व कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई को आमंत्रित करती हैं और विधिपूर्वक उनका टीका करती हैं। भाई दूज की परंपरा हर क्षेत्र में थोड़ी अलग हो सकती है, लेकिन इसके मुख्य तत्व लगभग समान रहते हैं। भाई दूज को विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है, जैसे कि:

 

  • भाई दूज (उत्तर भारत)
  • भाऊबीज (महाराष्ट्र और गोवा)
  • भाई फोंटा (पश्चिम बंगाल)
  • भाई बीज (गुजरात)
  • भाई टीका (नेपाल)

 

भाई दूज की पूजा विधि

  • भाई का स्वागत: बहन अपने भाई का स्वागत एक थाली से करती है जिसमें हल्दी, कुमकुम, चावल, दीपक, मिठाई, और नारियल होते हैं।

 

  • टीका लगाना: बहन अपने भाई के माथे पर चावल और कुमकुम का तिलक लगाती है। इसे भाई टीका कहा जाता है और यह भाई दूज का सबसे महत्वपूर्ण भाग है। यह तिलक भाई की लंबी उम्र और समृद्धि के लिए होता है।

 

  • आरती: इसके बाद बहन अपने भाई की आरती उतारती है और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करती है।

 

  • मिठाई: आरती के बाद भाई को मिठाई खिलाई जाती है। इस दौरान बहन अपने भाई की लंबी उम्र और स्वास्थ्य की कामना करती है।

 

  • उपहार: भाई अपनी बहन को उपहार देता है, जो भाई दूज का विशेष हिस्सा है। यह उपहार बहन के प्रति आभार व्यक्त करने का तरीका होता है।

 

भाई दूज का महत्व

भाई दूज का महत्व भाई-बहन के स्नेहपूर्ण रिश्ते को और मजबूत करना है। इस दिन बहन अपने भाई के लिए पूजा करती है और उनकी सलामती की कामना करती है। भाई अपनी बहन को जीवनभर सुरक्षा का वचन देता है। भाई दूज का यह पर्व भाई-बहन के रिश्ते में मिठास और विश्वास को बढ़ाता है।

 

विभिन्न क्षेत्रों में भाई दूज का महत्व

भाई दूज को विभिन्न स्थानों पर अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है:

 

  • उत्तर भारत में इसे सामान्यत: भाई दूज के नाम से जाना जाता है।

 

  • महाराष्ट्र और गोवा में इसे भाऊबीज कहा जाता है।

 

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  • पश्चिम बंगाल में इसे भाई फोंटा कहते हैं, जहां बहनें खास मंत्रों का जाप करती हैं।

 

  • गुजरात में इसे भाई बीज के रूप में जाना जाता है।

 

  • नेपाल में इसे भाई टीका कहते हैं, जहां बहनें पांच रंगों का टीका भाई को लगाती हैं।

 

भाई दूज 2024

भाई दूज 2024 में 3 नवंबर को मनाई जाएगी। यह तिथि दीवाली के दो दिन बाद आती है और भाई-बहन के रिश्ते को और मजबूत बनाने के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है।

 

पंडित जी से बात करें

अगर आप भाई दूज की पूजा विधि और सही समय के बारे में जानकारी चाहते हैं, तो आप किसी पंडित जी से संपर्क कर सकते हैं। पूजा से जुड़े सभी सवालों के जवाब और विशेष पूजा की विधि जानने के लिए आप ज्योतिषी से चैट सेवा का लाभ उठा सकते हैं। इससे आपको सटीक और सरल तरीके से पूजा करने में मदद मिलेगी।

 

निष्कर्ष: भाई दूज कैसे मनाई जाती है

भाई दूज भाई-बहन के रिश्ते को और गहरा और मजबूत बनाने का त्योहार है। चाहे इसे भाई दूज, भाई टीका, भाई फोंटा, या भाऊबीज के नाम से जाना जाए, इस दिन का मुख्य उद्देश्य एक ही है: भाई-बहन के प्रेम और स्नेह को और बढ़ाना। हर क्षेत्र में इसे मनाने का तरीका भिन्न हो सकता है, लेकिन भावनाएं समान रहती हैं।

 

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न: भाई दूज 2024

भाई दूज कैसे मनाई जाती है?

भाई दूज पर बहन अपने भाई को तिलक लगाकर उसकी लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती है। इसके बाद आरती उतारकर भाई को मिठाई खिलाई जाती है।

 

भाई दूज का महत्व क्या है?

भाई दूज भाई-बहन के स्नेहपूर्ण रिश्ते को मजबूत करने वाला त्योहार है। यह दिन भाई की सलामती और बहन के प्रति भाई के दायित्व को दर्शाता है।

 

भाई टीका किस देश में प्रसिद्ध है?

भाई टीका नेपाल में प्रसिद्ध है, जहां बहनें पांच रंगों का टीका लगाकर भाई की लंबी उम्र की कामना करती हैं।

 

भाई दूज 2024 में कब मनाई जाएगी?

भाई दूज 2024 में 3 नवंबर को मनाई जाएगी।

 

भाई दूज और दीवाली में क्या संबंध है?

भाई दूज दीवाली के पांच दिनों के त्योहार का अंतिम दिन होता है, जिसमें भाई-बहन के रिश्ते की विशेष पूजा होती है।

 

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Author : Nikita Sharma

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