हिंदू धर्म में, हर महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मासिक विनायक चतुर्थी मनाई जाती है, जो भगवान गणेश को समर्पित एक विशेष व्रत और पूजा का दिन है। 2024 में, सितंबर माह की विनायक चतुर्थी 7 सितंबर, शनिवार को पड़ रही है।
ये व्रत सिर्फ बुद्धि और ज्ञान के देवता, भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए नहीं रखा जाता, बल्कि मनोकामनाएं पूर्ण करने, बाधाओं को दूर करने और जीवन में शुभता और कल्याण लाने के लिए भी किया जाता है।
चाहे आप छात्र हों, व्यवसायी हों, गृहस्थ हों या किसी भी क्षेत्र में सफलता पाना चाहते हों, मासिक विनायक चतुर्थी का व्रत और पूजा आपके लिए विशेष रूप से लाभकारी हो सकती है। इस लेख में, हम विनायक चतुर्थी सितंबर 2024 की तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और भगवान गणेश के महत्वपूर्ण मंत्रों के बारे में विस्तार से जानेंगे।
तिथि: शनिवार, 7 सितंबर 2024
चतुर्थी तिथि का प्रारंभ: शुक्रवार, 6 सितंबर 2024, रात्रि 11:16 बजे
चतुर्थी तिथि का समापन: शनिवार, 7 सितंबर 2024, रात्रि 10:09 बजे
पूजन का शुभ मुहूर्त: सुबह 07:10 बजे से दोपहर 03:21 बजे तक
मासिक विनायक चतुर्थी की पूजा विधि इस प्रकार है:
व्रत से एक दिन पहले सात्विक भोजन ग्रहण करें।
पूजा स्थान को साफ-सुथरा करें और स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
पूजा के लिए मिट्टी या धातु की गणेश प्रतिमा, दीपक, अगरबत्ती, धूप, मौली, सिंदूर, दूर्वा घास, फल, मिठाई आदि सामग्री एकत्रित करें।
पूजा स्थान पर बैठकर भगवान गणेश का ध्यान करें।
गणेश प्रतिमा को गंगाजल या शुद्ध जल से स्नान कराएं।
प्रतिमा को वस्त्र, आभूषण और सिंदूर से श्रृंगारित करें।
दीपक जलाएं और अगरबत्ती लगाएं।
भगवान गणेश को पुष्प, दूर्वा घास, फल और मिठाई का भोग चढ़ाएं।
विनायक चतुर्थी व्रत कथा पढ़ें या सुनें।
"ॐ गं गणपतये नमः" और अन्य भगवान गणेश के मंत्रों का जाप करें।
अपनी मनोकामनाएं कहें और उनका आशीर्वाद मांगें।
पूजा के अंत में आरती करें और प्रसाद ग्रहण करें।
विनायक चतुर्थी पूजा के दौरान निम्नलिखित मंत्रों का जाप करना लाभकारी होता है:
ॐ गं गणपतये नमः
गजाननाय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दंती प्रचोदयात्।
कृपाम्बक कृपालय सर्वारिष्टहर शिवसुत। गं गणपते नमो नमः॥
ॐ शं गणेशाय नमः।
मासिक विनायक चतुर्थी का व्रत कई लाभ प्रदान करता है, जिनमें शामिल हैं:
बुद्धि और ज्ञान की वृद्धि: भगवान गणेश को बुद्धि और ज्ञान का देवता माना जाता है। उनकी पूजा और व्रत करने से मन को शांति मिलती है, एकाग्रता बढ़ती है और बुद्धि का विकास होता है।
बाधाओं को दूर करना: जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करने और लक्ष्यों को प्राप्त करने में भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
शुभता और कल्याण: इस व्रत को करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
मनोकामनाएं पूर्ण होना: सच्चे मन से की गई मनोकामनाएं भगवान गणेश की कृपा से पूर्ण हो सकती हैं।
यह जरूरी नहीं है। आप अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार ही व्रत रखें। फलाहार या जल ग्रहण किया जा सकता है।
आपको मिट्टी या धातु की गणेश प्रतिमा, दीपक, अगरबत्ती, धूप, मौली, सिंदूर, दूर्वा घास, फल, मिठाई आदि की आवश्यकता होगी।
जी हां, "ॐ गं गणपतये नमः," "गजाननाय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दंती प्रचोदयात्।," "कृपाम्बक कृपालय सर्वारिष्टहर शिवसुत। गं गणपते नमो नमः॥," और "ॐ शं गणेशाय नमः।" जैसे कई मंत्रों का जाप करना लाभकारी होता है।
अपने बच्चों को व्रत का महत्व और भगवान गणेश की कहानियां सरल भाषा में बताएं। आप उन्हें पूजा में भी शामिल कर सकते हैं ताकि उनका रुझान बढ़े।
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