हिंदू धर्म में तुलसी का पवित्र स्थान है। तुलसी (तुलसी) को भगवान विष्णु की प्रिय माना जाता है और उनका विवाह भगवान शालिग्राम (शालिग्राम) से एक शुभ और पवित्र अनुष्ठान है। इसे तुलसी विवाह के नाम से जाना जाता है और इसका हिंदू धर्म में विशेष महत्व है।
2024 में, तुलसी विवाह का पर्व 24 नवंबर, रविवार को मनाया जाएगा। यह हिंदू कैलेंडर के अनुसार देवउत्थान एकादशी के दिन मनाया जाता है।
भगवान विष्णु और तुलसी का दिव्य संबंध: तुलसी विवाह भगवान विष्णु और तुलसी के बीच पवित्र बंधन का प्रतीक है। यह भक्त और भगवान के बीच समर्पण और प्रेम का उत्सव है।
सौभाग्य और समृद्धि का आशीर्वाद: तुलसी विवाह का अनुष्ठान करने से घर में सौभाग्य, शांति और समृद्धि आने का विश्वास किया जाता है।
पर्यावरण संरक्षण का संदेश: तुलसी का पौधा वातावरण को शुद्ध करता है और औषधीय गुणों से भरपूर होता है। तुलसी विवाह पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी देता है।
तुलसी के पौधे को स्नान कराकर साफ किया जाता है।
वेदी बनाकर उस पर भगवान शालिग्राम और तुलसी को विराजमान किया जाता है।
भगवान गणेश, माता लक्ष्मी और अन्य देवी-देवताओं की पूजा की जाती है।
मंत्रों का जाप किया जाता है और हवन किया जाता है।
तुलसी और शालिग्राम का विवाह वैदिक मंत्रों के साथ संपन्न किया जाता है।
अंत में आरती उतारी जाती है और प्रसाद वितरण किया जाता है।
तुलसी विवाह का पर्व न सिर्फ भगवान विष्णु और तुलसी के दिव्य संबंध का प्रतीक है, बल्कि यह सौभाग्य, शांति और समृद्धि का आशीर्वाद भी देता है। साथ ही, यह पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी देता है।
तुलसी विवाह 2024 में 24 नवंबर, रविवार को मनाया जाएगा।
तुलसी विवाह भगवान विष्णु और तुलसी के दिव्य संबंध का प्रतीक है। यह सौभाग्य, शांति, समृद्धि और पर्यावरण संरक्षण का संदेश देता है।
तुलसी विवाह में तुलसी और शालिग्राम की पूजा की जाती है, मंत्रों का जाप किया जाता है, हवन किया जाता है और विवाह की रस्में संपन्न की जाती हैं।
हां, आप घर पर भी तुलसी विवाह का सरल अनुष्ठान कर सकते हैं।
तुलसी विवाह में तुलसी के पत्ते, फल, फूल और मिठाई का भोग लगाया जाता है।
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