भारतीय संस्कृति में त्योहारों का खास स्थान है, जो न केवल आस्था को मजबूत करते हैं बल्कि सामाजिक सद्भावना और विरासत को भी जोड़े रखते हैं। ऐसी ही एक पवित्र तिथि है शीतला अष्टमी, जो शांति, शीतलता और रोगों से मुक्ति का प्रतीक है। वर्ष 2024 में शीतला अष्टमी 2 अप्रैल को भक्तों के लिए सुखद संदेश लेकर आ रही है। आइए, इस लेख में, हम 2 अप्रैल 2024 की शीतला अष्टमी के शुभ मुहूर्त, योग, धार्मिक महत्व और परंपराओं के बारे में विस्तार से जानें।
माता शीतला को शीतलता और स्वास्थ्य की देवी के रूप में पूजा जाता है। हालांकि, उन्हें बैसाख, चेचक और आंव जैसी संक्रामक बीमारियों की देवी के रूप में भी जाना जाता है। यह विरोधाभास इस विश्वास को दर्शाता है कि माता शीतला ही इन बीमारियों को लाती हैं और उन्हीं के आशीर्वाद से उनका नाश भी होता है। इसीलिए, भक्त शीतला अष्टमी पर उनसे रोगों से रक्षा का वरदान मांगते हैं।
शीतला अष्टमी मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, राजस्थान और गुजरात में बड़े उत्साह से मनाई जाती है। इस दिन लोग माता शीतला की पूजा अर्चना करते हैं, व्रत रखते हैं और घरों में सफाई-पवित्रता का विशेष ध्यान रखते हैं। माना जाता है कि शीतला अष्टमी के दिन घर की साफ-सफाई करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और स्वास्थ्य लाभ होता है।
2024 में शीतला अष्टमी 2 अप्रैल को पड़ रही है। इस दिन अभिजीत मुहूर्त सुबह 10 बजकर 40 मिनट से 11 बजकर 24 मिनट तक रहेगा। इसके अलावा, विजय मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 24 मिनट से 1 बजकर 08 मिनट तक रहेगा। माना जाता है कि इन शुभ मुहूर्तों में पूजा-पाठ करने से विशेष फल मिलते हैं।
इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
घर के मंदिर या पूजा स्थान को साफ-सुथरा करें।
माता शीतला की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
तुलसी, फल, फूल, पंचामृत आदि से माता का श्रृंगार करें।
धूप-दीप जलाएं और मंत्रों का जाप करें।
"ॐ जय शीतला माते नमः" मंत्र का जप करना विशेष फलदायी माना जाता है।
भजन-कीर्तन कर भक्तिपूर्वक माता से रोगों से मुक्ति और शीतलता का वरदान मांगें।
कुछ लोग इस दिन व्रत भी रखते हैं, जिसमें केवल फलाहार ग्रहण किया जाता है।
यहां पढ़ें: शीतला अष्टमी अंग्रेजी में
पारंपरिक रीति-रिवाज:
कुछ क्षेत्रों में इस दिन बासोड़ा पूजा का आयोजन किया जाता है। इसमें शीतल पेय पदार्थ जैसे शीतल शरबत या बेल का शरबत बनाया जाता है और उनका भोग माता को लगाया जाता है।
शीतला अष्टमी के दिन घरों के बाहर झाड़ू लगाकर बुरी शक्तियों को दूर भगाने की परंपरा भी है।
एक पौराणिक कथा के अनुसार, माता शीतला भगवान शिव की पुत्री हैं। जब संसार में चेचक का प्रकोप बढ़ा, तब भगवान शिव के अनुरोध पर माता शीतला पृथ्वी पर आईं और लोगों को इस बीमारी से मुक्ति दिलाई।
एक अन्य मान्यता के अनुसार, शीतला अष्टमी के दिन ही माता शीतला पृथ्वी पर आई थीं। इसलिए, इस दिन उनकी विशेष पूजा की जाती है।
यह भी माना जाता है कि जो लोग शीतला अष्टमी के दिन माता की सच्चे मन से पूजा-अर्चना करते हैं और व्रत रखते हैं, उन्हें न केवल रोगों से मुक्ति मिलती है बल्कि जीवन में शीतलता और सुख-शांति का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।
शीतला अष्टमी न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। इस दिन लोग घरों की साफ-सफाई करते हैं, जिससे स्वच्छता का वातावरण बनता है और बीमारियों के फैलने का खतरा कम होता है। इसके अलावा, गरीबों और जरूरतमंदों की सहायता करने की परंपरा इस त्योहार को और भी सार्थक बनाती है।
शीतला अष्टमी शीतलता, स्वास्थ्य और रोग नाश का पावन पर्व है। 2 अप्रैल 2024 को मनाई जाने वाली शीतला अष्टमी हमें धर्म-कर्म के साथ-साथ साफ-सफाई और सामाजिक सेवा का संदेश देती है। आइए, इस पवित्र अवसर पर माता शीतला की पूजा-अर्चना करें, व्रत रखें और स्वच्छता-पवित्रता का ध्यान रखते हुए समाज में खुशहाली और स्वास्थ्य का संदेश फैलाएं।
1. क्या शीतला अष्टमी पर उपवास रखना अनिवार्य है?
शीतला अष्टमी पर उपवास रखना अनिवार्य नहीं है, लेकिन कई श्रद्धालु इस दिन व्रत रखते हैं।
2. शीतला अष्टमी के दिन किन मंत्रों का जप करना चाहिए?
शीतला अष्टमी के दिन "ॐ जय शीतला माते नमः" मंत्र का जप करना विशेष फलदायी माना जाता है। इसके अलावा, अन्य मंत्रों जैसे दुर्गा गायत्री मंत्र या महामृत्युंजय मंत्र का भी जप किया जा सकता है।
3. शीतला अष्टमी के दिन किन देवताओं की पूजा की जाती है?
शीतला अष्टमी के दिन मुख्य रूप से माता शीतला की पूजा की जाती है। हालांकि, कुछ लोग इस दिन भगवान शिव और पार्वती जी की भी पूजा करते हैं।
4. शीतला अष्टमी के दिन क्या खाना चाहिए?
शीतला अष्टमी के दिन व्रत रखने वाले लोग फलाहार करते हैं। इसमें फल, सब्जियां, दूध और अनाज से बने व्यंजन शामिल होते हैं।
5. क्या शीतला अष्टमी पर बाहर निकलना अच्छा होता है?
सीधे धार्मिक दृष्टिकोण से शीतला अष्टमी पर बाहर निकलने पर कोई पाबंदी नहीं है। हालांकि, कुछ क्षेत्रों में इस दिन घर पर ही रहने की परंपरा होती है।
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