हिन्दू धर्म में रमा एकादशी का विशेष महत्व है। यह भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित एकादशी का पवित्र दिन होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन व्रत रखने और भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करने से अपार पुण्य फल की प्राप्ति होती है। आइए, इस लेख में हम रमा एकादशी की तिथियों और समय के साथ-साथ इसके महत्व, व्रत विधि और अनुष्ठान के बारे में विस्तार से जानें।
रमा एकादशी को कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के रमा रूप की पूजा की जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इसी दिन भगवान विष्णु ने दानव राजा बाली को पराजित किया था। रमा एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति, पापों से मुक्ति और सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है।
भगवान विष्णु की कृपा प्राप्ति: इस दिन विधिपूर्वक व्रत रखने और पूजा करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है, जिससे जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
पापों से मुक्ति: रमा एकादशी के व्रत से व्यक्ति के पूर्व जन्मों के पापों का नाश होता है और मन को शांति मिलती है।
मोक्ष की प्राप्ति: ऐसा माना जाता है कि रमा एकादशी का व्रत नियमित रूप से करने वाले व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
सौभाग्य का आशीर्वाद: विवाहित महिलाएं रमा एकादशी का व्रत रखकर अपने पति की दीर्घायु और सुखी वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद प्राप्त करती हैं।
एकादशी तिथि प्रारंभ: 27 अक्टूबर 2024, सुबह 05:23 बजे
एकादशी तिथि समाप्त: 28 अक्टूबर 2024, सुबह 07:50 बजे
पारण का समय: 29 अक्टूबर 2024, प्रातः 06:11 बजे से प्रातः 08:33 बजे तक
द्वादशी तिथि समाप्त: 29 अक्टूबर 2024, सुबह 10:31 बजे
रमा एकादशी से एक दिन पहले:
रमा एकादशी के दिन सूर्योदय से पहले उठें और स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें।
इसके बाद भगवान विष्णु का ध्यान करें और व्रत
अपने पूजा स्थान को साफ करें और चौकी पर आसन बिछाएं।
भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
भगवान विष्णु को गंगाजल, चंदन, तुलसी दाल, पुष्प और फल अर्पित करें।
भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः मंत्र का जाप करें।
विष्णु चालीसा या रमाष्टक का पाठ करें।
आरती करें और दीप प्रज्वलित करें।
पूरे दिन भगवान विष्णु का नाम जपते रहें।
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इस दिन अन्न का सेवन न करें।
फलाहार के रूप में दूध में फल या खीर का सेवन कर सकते हैं।
दिन भर सत्य बोलें, क्रोध न करें और किसी का अहित न सोचें।
संभव हो तो पूरे दिन खड़े रहें या कम से कम बैठकर ही समय बिताएं।
रात्रि में भजन-कीर्तन करें और जागरण कर सकते हैं।
रमा एकादशी के व्रत के साथ कुछ विशेष अनुष्ठान भी किए जा सकते हैं, जिनसे आपको अतिरिक्त पुण्य फल की प्राप्ति हो सकती है। आइए, उन अनुष्ठानों के बारे में जानें:
तुलसी पूजा: रमा एकादशी के दिन तुलसी के पौधे की पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है। तुलसी को भगवान विष्णु को अति प्रिय माना जाता है, इसलिए तुलसी पूजा करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
गंगाजल स्नान: यदि संभव हो तो रमा एकादशी के दिन सुबह सूर्योदय से पहले गंगाजल से स्नान करना शुभ होता है।
दान: रमा एकादशी के दिन गरीबों और जरूरतमंदों को दान करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है। आप अनाज, वस्त्र या धन का दान कर सकते हैं।
रमा एकादशी भगवान विष्णु की कृपा पाने और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करने वाला पवित्र व्रत है। इस दिन विधि-विधान से व्रत रखने और पूजा करने से व्यक्ति को जीवन में सुख-समृद्धि, शांति और सफलता प्राप्त होती है। रमा एकादशी का त्योहार हमें सदाचरण, धर्मनिष्ठा और परोपकार का महत्व सिखाता है।
रमा एकादशी वर्ष में दो बार आती है। एक ज्येष्ठ मास में और दूसरी कार्तिक मास में।
रमा एकादशी 2024 में 28 अक्टूबर, सोमवार को पड़ रही है।
रमा एकादशी का व्रत कोई भी व्यक्ति रख सकता है।
रमा एकादशी के व्रत में अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए। आप फलाहार के रूप में दूध में फल या खीर का सेवन कर सकते हैं। साथ ही, साबूदाना खीर या कूटू का आटा रोटी का सेवन भी किया जा सकता है।
पूरे दिन सत्य बोलें।
किसी का अहित न सोचें और क्रोध न करें।
संभव हो तो पूरे दिन खड़े रहें या कम से कम बैठकर ही समय बिताएं।
रात्रि में जागरण कर सकते हैं।
व्रत तोड़ने से पहले भगवान विष्णु की पूजा करें और क्षमा प्रार्थना करें।
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