हिंदू धर्म में नरसिंह जयंती का विशेष महत्व है। भगवान विष्णु के चौथे अवतार नरसिंह भगवान का जन्मोत्सव वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। इस वर्ष नरसिंह जयंती 2024 21 मई को पड़ रही है। आइए इस पावन अवसर पर भगवान नरसिंह के अवतार, उत्सव के महत्व, पूजा विधि और मंत्रों के बारे में विस्तार से जानें।
मंगलवार, 21 मई 2024
चतुर्दशी तिथि प्रारंभ : 21 मई 2024 को शाम 05:39 बजे
चतुर्दशी तिथि समाप्त : 22 मई 2024 को शाम 06 बजकर 47 मिनट पर
सायण कला पूजा का समय: शाम 04:24 से 07:09 बजे तक
हिंदू ग्रंथों के अनुसार, हिरण्यकश्यप नामक एक दानव राजा था। वह अत्यंत अत्याचारी था और चाहता था कि सभी लोग उसकी ही पूजा करें। उसके पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु के अनन्य भक्त थे, जो हिरण्यकश्यप के अत्याचारों का विरोध करते थे। हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को मारने के कई प्रयास किए, लेकिन हर बार भगवान विष्णु उनकी रक्षा करते थे। अंत में, हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को स्वयं मारने का निश्चय किया। वह जानता था कि वह दिन में या रात में, घर के अंदर या बाहर, किसी हथियार से या बिना हथियार के प्रह्लाद को नहीं मार सकता, क्योंकि भगवान विष्णु उसकी रक्षा करते हैं।
हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को गोद में लेकर एक स्तंभ से टकराया। उसी क्षण, स्तंभ से भगवान नरसिंह प्रकट हुए, जो आधा मनुष्य और आधा सिंह का रूप धारण किए थे। उन्होंने हिरण्यकश्यप का वध किया, जो उनके लिए न तो दिन था न रात, न घर के अंदर था न बाहर, और न ही हथियार से मारा गया था। इस तरह भगवान नरसिंह ने अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा की और धर्म की स्थापना की।
नरसिंह जयंती भगवान विष्णु के प्रति श्रद्धा और भक्ति का पर्व है। यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि भगवान हमेशा अपने भक्तों की रक्षा करते हैं और बुराई का नाश करते हैं। इस दिन मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना, भजन-कीर्तन और प्रभात फेरियाँ निकाली जाती हैं। लोग उपवास रखते हैं और दान-पुण्य करते हैं। नरसिंह जयंती का त्योहार हमें धर्म के मार्ग पर चलने और सदैव सत्य का साथ देने की प्रेरणा देता है।
नरसिंह जयंती के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। घर के मंदिर या किसी नजदीकी मंदिर में जाकर भगवान नरसिंह की मूर्ति को स्नान कराएं और उन्हें फूल, फल, तुलसी आदि अर्पित करें। नारियल चढ़ाएं और घी का दीपक जलाएं। भगवान नरसिंह के मंत्रों का जाप करें और उनकी आरती करें। आप नीचे दिए गए मंत्रों का उच्चारण कर सकते हैं।
ॐ उग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं ज्वलितं हविर्मयम्। नृसिंहं भासुरं भयंकरं नमस्तेऽस्ये विजयहेतवे॥
ॐ नमो भगवते नृसिंहाय वज्रनखाय हुं फट स्वाहा॥
ॐ हरि اوم नृसिंहाय नमः॥
नरसिंह जयंती के उत्सव में कई परंपराएं शामिल हैं, जो इस पावन दिन को और भी खास बनाती हैं। आइए कुछ प्रमुख परंपराओं के बारे में जानें:
मंदिरों में विशेष आयोजन: इस दिन मंदिरों में भव्य सजावट की जाती है और पूरे दिन विशेष पूजा-अर्चना, भजन-कीर्तन और प्रवचन का आयोजन किया जाता है। भक्तगण भगवान नरसिंह के दर्शन के लिए मंदिरों में दर्शन करते हैं और मन्नतें मांगते हैं।
जुलूस और प्रभात फेरियाँ: कई स्थानों पर नरसिंह जयंती के दिन भगवान नरसिंह की मूर्ति को सजे हुए रथ पर रखकर जुलूस निकाला जाता है, जिसमें बड़ी संख्या में भक्तगण शामिल होते हैं। प्रभात फेरियाँ भी निकाली जाती हैं, जिसमें भजन-कीर्तन करते हुए लोग सुबह-सुबह भगवान का स्मरण करते हैं।
उपवास और भंडारा: कुछ भक्तगण नरसिंह जयंती के दिन उपवास रखते हैं और दिन भर केवल फल और फलाहार ग्रहण करते हैं। शाम को भंडारा आयोजित किया जाता है, जिसमें सभी को प्रसाद ग्रहण करवाया जाता है।
नृत्य और रंगोली: कई क्षेत्रों में नरसिंह जयंती के अवसर पर नृत्य और रंगोली बनाने की प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। नृत्य के माध्यम से भगवान नरसिंह की वीरता का गुणगान किया जाता है, तो वहीं रंगोली से घरों को सजाया जाता है।
दान-पुण्य: नरसिंह जयंती का दिन दान-पुण्य करने के लिए भी उत्तम माना जाता है। इस दिन गरीबों और असहायों की सहायता करना शुभ माना जाता है।
ये कुछ प्रमुख परंपराएं हैं जो नरसिंह जयंती के उत्सव को और भी खास बनाती हैं। इन परंपराओं के माध्यम से भक्तगण भगवान नरसिंह के प्रति अपनी श्रद्धा और भक्ति व्यक्त करते हैं और उनके आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
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नरसिंह जयंती से जुड़ी कई लोककथाएं और कहानियां हैं, जो इस पर्व के महत्व को दर्शाती हैं। आइए उनमें से कुछ के बारे में जानें:
हिरण्यकश्यप का वध: जैसा कि पहले बताया गया, नरसिंह जयंती भगवान नरसिंह द्वारा हिरण्यकश्यप के वध की कथा से जुड़ी है। यह कथा हमें यह शिक्षा देती है कि भगवान हमेशा अपने भक्तों की रक्षा करते हैं और बुराई का नाश करते हैं।
प्रह्लाद की भक्ति: प्रह्लाद की अटूट भक्ति की कहानी हमें यह सीख देती है कि हमें सदैव ईश्वर में विश्वास रखना चाहिए और कठिन परिस्थितियों में भी उनका स्मरण करना चाहिए।
नृसिंह मेला: कई स्थानों पर नरसिंह जयंती के अवसर पर मेले का आयोजन किया जाता है। इन मेलों में मनोरंजन के कार्यक्रमों के साथ-साथ धार्मिक अनुष्ठान भी किए जाते हैं।
ये कुछ लोककथाएं और कहानियां हैं जो नरसिंह जयंती के महत्व को दर्शाती हैं। ये कहानियां हमें भगवान की महिमा और भक्ति के महत्व के बारे में याद दिलाती हैं।
नरसिंह जयंती 2024 से जुड़े प्रश्न
नरसिंह जयंती एक पावन पर्व है जो हिंदू धर्म में भगवान विष्णु के चौथे अवतार, नरसिंह भगवान के जन्म की स्मृति में मनाया जाता है। यह पर्व हमें भगवान के भक्तों की रक्षा के प्रति विश्वास और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। नरसिंह जयंती 2024 का महत्व और पूजा विधि के बारे में जानकारी प्राप्त करने के बाद, हम सभी को इस पावन अवसर पर भगवान की श्रद्धा में लगने और उनके आशीर्वाद को प्राप्त करने का अवसर मिलता है। इस नरसिंह जयंती पर हम सभी को धर्म, सद्भावना और प्रेम के साथ एक-दूसरे के प्रति समर्पित रहने का संकल्प लेना चाहिए।
नरसिंह जयंती वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है। इस वर्ष 2024 में नरसिंह जयंती 21 मई को पड़ रही है।
नरसिंह जयंती भगवान विष्णु के चौथे अवतार नरसिंह भगवान के जन्मोत्सव का पर्व है। यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि भगवान हमेशा अपने भक्तों की रक्षा करते हैं और बुराई का नाश करते हैं।
नरसिंह जयंती के दिन लोग मंदिरों में जाकर भगवान नरसिंह की पूजा-अर्चना करते हैं, उपवास रखते हैं, भजन-कीर्तन करते हैं और दान-पुण्य करते हैं। कई स्थानों पर जुलूस और प्रभात फेरियाँ भी निकाली जाती हैं।
नरसिंह जयंती से जुड़ी कई लोककथाएं हैं, जिनमें से सबसे प्रसिद्ध है हिरण्यकश्यप का वध और प्रह्लाद की भक्ति की कहानी। ये कहानियां हमें भगवान की महिमा और भक्ति के महत्व के बारे में याद दिलाती हैं।
नहीं, नरसिंह जयंती को राष्ट्रीय अवकाश घोषित नहीं किया गया है। हालांकि, कई राज्यों में इस दिन को सार्वजनिक अवकाश या स्थानीय अवकाश के रूप में मनाया जाता है।
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