हिंदू धर्म में, महान ऋषियों और योद्धाओं का एक खास स्थान है। उन्हीं में से एक हैं - महर्षि परशुराम, जिन्हें छठी मंजिल के पितामह के रूप में भी जाना जाता है। हर साल वैशाख माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को महर्षि परशुराम जयंती धूमधाम से मनाई जाती है। 2024 में, महर्षि परशुराम जयन्ती 10 मई को पड़ रही है। इस पावन अवसर पर हम चर्चा करेंगे महर्षि परशुराम जयन्ती के महत्व, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इस जयंती पर किए जाने वाले विशेष उपायों के बारे में।
महर्षि परशुराम भगवान विष्णु के छठे अवतार माने जाते हैं। वह भगवान शिव के शिष्य थे और युद्ध कला में निपुण थे। वह अपने क्रोध के लिए जाने जाते थे, लेकिन साथ ही उनका हृदय दयालु भी था। उन्होंने पृथ्वी पर 21 बार क्षत्रिय वंश का नाश किया, जो अत्याचारी और अन्यायी हो गए थे। उन्होंने गरीबों, असहायों और महिलाओं की रक्षा का संकल्प लिया था। महर्षि परशुराम ज्ञान और विद्या के प्रसारक भी थे और कई ग्रंथों के रचयिता माने जाते हैं।
महर्षि परशुराम जयन्ती अन्याय के खिलाफ लड़ने, दयालुता अपनाने और ज्ञान का सम्मान करने का संदेश देती है। इस दिन को मनाने से हमें महर्षि परशुराम के गुणों को याद करने और अपने जीवन में अपनाने का अवसर मिलता है। साथ ही, यह दिन सामाजिक न्याय और समानता के लिए भी जागरूकता फैलाता है।
महर्षि परशुराम जयन्ती तिथि: वैशाख माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि, 10 मई 2024
शुभ मुहूर्त: सुबह 05:17 बजे से शाम 07:30 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:14 बजे से 12:58 बजे तक
इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
घर के मंदिर में भगवान परशुराम की मूर्ति या तस्वीर को गंगाजल से स्नान कराएं।
फूल, फल, पंचामृत और तुलसी आदि अर्पित करें।
धूप-दीप जलाएं और भगवान परशुराम का ध्यान करते हुए मंत्रों का जाप करें।
"ॐ परशुरामाय नमः" मंत्र का जप अत्यंत लाभकारी माना जाता है।
भगवान परशुराम से अपने जीवन में सुख, शांति, सफलता और धर्म का मार्ग दिखाने की प्रार्थना करें।
आप चाहें तो इस दिन उपवास भी रख सकते हैं।
दिनभर किसी जरूरतमंद की मदद करें या दान-पुण्य करें।
इस दिन तुलसी का पौधा लगाना या उसकी पूजा करना शुभ माना जाता है।
क्रोध पर नियंत्रण रखने का संकल्प लें।
असहायों और जरूरतमंदों की सहायता करें।
अपने ज्ञान को दूसरों के साथ बांटें।
धर्मग्रंथों का अध्ययन करें और उनके सार को अपने जीवन में उतारने का प्रयास करें।
महर्षि परशुराम जयन्ती न केवल एक धार्मिक उत्सव है, बल्कि एक सामाजिक संदेश भी देती है। यह दिन हमें अन्याय के खिलाफ खड़े होने, दयालुता अपनाने और ज्ञान का सम्मान करने का आह्वान करता है। महर्षि परशुराम के आदर्शों को अपने जीवन में शामिल करके हम एक बेहतर समाज बनाने में अपना योगदान दे सकते हैं।
महर्षि परशुराम जयन्ती क्यों मनाई जाती है?
महर्षि परशुराम जयन्ती अन्याय के खिलाफ लड़ने, दयालुता अपनाने और ज्ञान का सम्मान करने के उनके गुणों को याद करने के लिए मनाई जाती है। साथ ही, यह दिन सामाजिक न्याय और समानता के लिए जागरूकता फैलाता है।
महर्षि परशुराम जयन्ती की पूजा विधि क्या है?
महर्षि परशुराम जयन्ती की पूजा विधि में स्नान, मूर्ति स्नान, अर्चन, मंत्र जाप, प्रार्थना और दान आदि शामिल हैं। विस्तृत जानकारी इस लेख में पहले ही दी जा चुकी है।
महर्षि परशुराम जयन्ती पर क्या करना चाहिए?
इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें, पूजा करें, मंत्रों का जाप करें और जरूरतमंदों की मदद करें। क्रोध पर नियंत्रण रखने का संकल्प लें और ज्ञान का सम्मान करें।
महर्षि परशुराम जयन्ती का क्या महत्व है?
महर्षि परशुराम जयन्ती का धार्मिक, सामाजिक और आध्यात्मिक महत्व है। यह दिन हमें अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने, दयालुता अपनाने और ज्ञान का सम्मान करने का संदेश देता है।
महर्षि परशुराम जयन्ती की तिथि और शुभ मुहूर्त क्या है?
2024 में महर्षि परशुराम जयन्ती 10 मई को पड़ रही है। सुबह 05:17 बजे से शाम 07:30 बजे तक शुभ मुहूर्त है और अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:14 बजे से 12:58 बजे तक है।
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