हर साल कार्तिक महीने की अमावस्या के दिन मनाए जाने वाला दीपावली का पर्व रोशनी और खुशियों का प्रतीक है। इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा का विशेष विधान होता है, जिसे लक्ष्मी पूजा के नाम से जाना जाता है। आइए, इस लेख में लक्ष्मी पूजा के बारे में विस्तार से जानें, जिसमें तिथि, समय, धार्मिक महत्व और पूजा विधि शामिल हैं।
2024 लक्ष्मी पूजा का पर्व शुक्रवार, 1 नवंबर को मनाया जाएगा। अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर की रात 1:27 मिनट से शुरू होकर 1 नवंबर की रात 12:16 मिनट तक रहेगी। हालांकि, लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त शाम के समय होता है।
दीपावली हिंदू धर्म के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह बुराई पर अच्छाई की विजय, ज्ञान पर अज्ञानता की विजय और प्रकाश पर अंधकार की विजय का प्रतीक है। लक्ष्मी पूजा के दिन धन की देवी मां लक्ष्मी और उनके पति भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है और मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।
लक्ष्मी पूजा करने की विधि काफी सरल है। यहां इसके कुछ मुख्य चरण दिए गए हैं:
पूजा की तैयारी: सबसे पहले पूजा स्थल को साफ करें और चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं। इसके बाद गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें और उनका आह्वान करें।
कलश स्थापना: एक कलश में शुद्ध जल भरकर उस पर आम के पत्ते रखें और मौली बांधें। इसके बाद कलश को पूजा स्थल पर स्थापित करें और उसका पूजन करें।
अष्टलक्ष्मी पूजन: अष्टलक्ष्मी की आठ अलग-अलग मूर्तियों की स्थापना करें या फिर उनकी तस्वीर रखें। इन आठ देवियों के नाम हैं - धनलक्ष्मी, धान्यलक्ष्मी, गजलक्ष्मी, संतलक्ष्मी, विजयलक्ष्मी, विद्यालक्ष्मी, ऐश्वर्यलक्ष्मी और वीरलक्ष्मी। इन देवियों का ध्यान करें और उनका पूजन करें।
दीप जलाना: पूजा स्थल और घर के आसपास दीप जलाएं। आप घी के दीपक या मिट्टी के दीये जला सकते हैं।
आरती और प्रसाद: अंत में मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की आरती करें और उन्हें मीठा भोग लगाएं।
दिवाली के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
घर की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें।
दिवाली के दिन दान-पुण्य का भी विशेष महत्व होता है। गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करें।
पटाखों को कम से कम जलाएं और पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाएं।
लक्ष्मी पूजा का पर्व हमें खुशियां बांटने, सकारात्मकता का संचार करने और सफलता प्राप्त करने की प्रेरणा देता है।
दीपावली के दिन कई शुभ मुहूर्त होते हैं, लेकिन लक्ष्मी पूजा के लिए सबसे अच्छा समय शाम के समय होता है। आम तौर पर, यह प्रदोष काल या महालक्ष्मी पूजा मुहूर्त के दौरान किया जाता है। आप किसी भी पंडित से सलाह करके अपने क्षेत्र के लिए विशिष्ट शुभ मुहूर्त का पता लगा सकते हैं।
दीपावली एक शुद्ध शाकाहारी त्योहार है। इस दिन सात्विक भोजन का सेवन किया जाता है।
बिल्कुल! आप मंदिर जाने के बजाय घर पर ही लक्ष्मी पूजा कर सकते हैं। पूजा विधि में कोई बदलाव नहीं होता है।
दिवाली पर आप अपने प्रियजनों को मिठाई, सूखे मेवे, कपड़े, उपहार की वस्तुएं या पौधे उपहार में दे सकते हैं।
दिवाली की सफाई करते समय इस बात का ध्यान रखें कि आप पूजा स्थल और घर को अच्छी तरह से साफ करें। साथ ही, यह भी सुनिश्चित करें कि आप कचरे का सही निपटान करें और पर्यावरण को प्रदूषित न करें।
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