कर्क संक्रांति 2024: तिथि और महत्व

कर्क संक्रांति 2024: तिथि और महत्व
  • 24 Feb 2024
  • Comments (0)

 

कर्क संक्रांति 2024

भारत में मनाए जाने वाले कई महत्वपूर्ण त्योहारों में से कर्क संक्रांति का एक खास स्थान है। यह हिंदू कैलेंडर के अनुसार सूर्य के कर्क राशि में प्रवेश करने का प्रतीक है और साल में चार संक्रांतियों में से एक है। इस साल कर्क संक्रांति 16 जुलाई 2024 को मनाई जाएगी। आइए, इस लेख में हम कर्क संक्रांति के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व, इसकी परंपराओं और भगवान विष्णु की पूजा के बारे में विस्तार से जानें।

 

कर्क संक्रांति का भारतीय संस्कृति में कई रूपों में महत्व है:

 

  • ऋतु परिवर्तन का प्रतीक: यह सूर्य के उत्तरी गोलार्ध से दक्षिणी गोलार्ध की ओर जाने का प्रतीक है, जिससे गर्मी का मौसम समाप्त होकर बरसात का मौसम शुरू होता है। किसानों के लिए यह समय फसल कटाई का होता है और इसलिए इसे एक शुभ अवसर माना जाता है।

 

  • धार्मिक महत्व: कर्क संक्रांति भगवान विष्णु और सूर्य देव की पूजा का विशेष दिन माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु चार महीने के लिए योगनिद्रा से जागते हैं और पृथ्वी पर शुभ फल का आशीर्वाद देते हैं।

 

  • सांस्कृतिक महत्व: कर्क संक्रांति विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग तरीकों से मनाई जाती है। कुछ जगहों पर रथ यात्राएं निकाली जाती हैं, तो कुछ जगहों पर दान-पुण्य का विशेष महत्व होता है। यह त्योहार सांस्कृतिक समागम का भी अवसर होता है, जहां लोग मिल-जुलकर खुशियां मनाते हैं।

 

कर्क संक्रांति से जुड़ी कई खास परंपराएं हैं:

  • भगवान विष्णु की पूजा: इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करना और फिर भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करना शुभ माना जाता है। भगवान को तुलसी, फल, फूल आदि चढ़ाकर उनकी कृपा प्राप्त करने की प्रार्थना की जाती है।

 

  • स्नान का महत्व: कुछ क्षेत्रों में कर्क संक्रांति के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इससे पापों का नाश होता है और मन शुद्ध होता है।

 

  • दान-पुण्य: इस दिन दान-पुण्य करना बहुत ही शुभ माना जाता है। गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र आदि का दान करके पुण्य कमाया जा सकता है।

 

  • पारंपरिक व्यंजन: अलग-अलग क्षेत्रों में कर्क संक्रांति के लिए अलग-अलग व्यंजन बनाए जाते हैं। कुछ जगहों पर मीठे पकवान जैसे खीर बनाए जाते हैं, तो कुछ जगहों पर खिचड़ी जैसे नमकीन व्यंजन बनाए जाते हैं।

 

कर्क संक्रांति पर भगवान विष्णु की पूजा

कर्क संक्रांति के दिन विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करने से कई लाभ मिलने की मान्यता है। यहां एक सरल पूजा विधि बताई गई है:

 

  • स्नान और शुद्धिकरण: सुबह जल्दी उठकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें। पूजा स्थान को भी साफ-सुथरा कर लें।

 

  • आसन और मूर्ति स्थापना: पूजा स्थान पर आसन बिछाकर भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।

 

  • पंचामृत स्नान: दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से बना पंचामृत बनाकर भगवान को स्नान कराएं। 

 

  • अष्टगंध और पुष्प अर्पण: भगवान को अष्टगंध और सुगंधित पुष्प अर्पित करें।

 

  • दीप प्रज्ज्वलन: घी का दीपक जलाकर भगवान के सामने रखें।

 

  • मंत्र जाप: "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" या "ॐ श्रीं विष्णुाय नमः" मंत्र का जाप 108 बार करें।

 

  • भोग लगाएं: भगवान को तुलसी दल, फल, मिठाई आदि का भोग लगाएं।

 

  • आरती: विधि-विधान से भगवान की आरती करें।

 

  • प्रार्थना करें: अपने मनोवांछित फल की प्राप्ति और कल्याण की प्रार्थना करें।

 

  • प्रसाद ग्रहण करें: पूजा के बाद प्रसाद ग्रहण करें और सब में बांटें।

 

कर्क संक्रांति पर अन्य पूजा-पाठ:

  • इस दिन भगवान सूर्य देव की भी पूजा करना शुभ माना जाता है। सूर्य को जल अर्पित करके उनसे सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मांगा जा सकता है।

 

  • कुछ क्षेत्रों में भगवान शिव की भी पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन उनकी पूजा करने से मन को शांति मिलती है।

 

निष्कर्ष: कर्क संक्रांति 2024

कर्क संक्रांति धर्म, संस्कृति और परंपराओं का एक सुंदर संगम है। यह त्योहार हमें प्रकृति के चक्रों का सम्मान करना और कृतज्ञता व्यक्त करना सिखाता है। भगवान विष्णु और सूर्य देव की पूजा करके हम आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं और नए उत्साह के साथ जीवन की यात्रा जारी रख सकते हैं। उम्मीद है, इस लेख में दी गई जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी। शुभ कर्क संक्रांति!

 

कर्क संक्रांति 2024 से जुड़े सवाल और उनके जवाब

 

क्या कर्क संक्रांति के दिन सूर्य ग्रहण का कोई संबंध है?

नहीं, कर्क संक्रांति का सूर्य ग्रहण से कोई सीधा संबंध नहीं है। हालांकि, कभी-कभी संयोग से इन दोनों घटनाओं का एक ही दिन होना संभव है।

 

कर्क संक्रांति किस महीने में आती है?

कर्क संक्रांति हर साल जुलाई के मध्य में आती है।

 

कर्क संक्रांति किन क्षेत्रों में सबसे अधिक मनाई जाती है?

यह त्योहार पूरे भारत में मनाया जाता है, लेकिन महाराष्ट्र, कर्नाटक, ओडिशा और आंध्र प्रदेश में इसकी धूमधाम अधिक होती है।

 

कर्क संक्रांति के दिन क्या नहीं करना चाहिए?

इस दिन मांसाहार का सेवन नहीं करना चाहिए और न ही क्रोध या बुरा व्यवहार करना चाहिए। दान-पुण्य और सत्कर्म करने का महत्व है।

 

क्या कर्क संक्रांति के दिन स्कूल और ऑफिस बंद रहते हैं?

कुछ राज्यों में इस दिन सार्वजनिक अवकाश होता है, तो कुछ राज्यों में नहीं। यह राज्य सरकारों के नियमों पर निर्भर करता है।

 

इस तरह के और भी दिलचस्प विषय के लिए यहां क्लिक करें - Instagram
 

Author :

Related Blogs

मेष और मेष राशि के बीच समानताएं
  • November 13 , 2023
मेष और मेष राशि के बीच समानताएं

"मेष राशि के दो व्यक्तियों के बीच समानताएं है जो ए...

मेष और मिथुन राशि के बीच समानताएं
  • November 13 , 2023
मेष और मिथुन राशि के बीच समानताएं

"मेष और मिथुन राशि के बीच समानता" विषय पर यह ब्लॉग...

मेष और कर्क राशि के बीच समानताएं
  • November 15 , 2023
मेष और कर्क राशि के बीच समानताएं

मेष और कर्क राशि के बीच समानताएं और विभिन्नता का ख...

Copyright ©️ 2023 SVNG Strip And Wire Private Limited (Astroera) | All Rights Reserved