जीवनदायिनी गंगा नदी मात्र नदी नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति का प्राण और आस्था का केंद्र है। गंगा के इसी पावन अस्तित्व के उत्सव के लिए मनाया जाता है गंगा दशहरा, जिस दिन माता गंगा स्वर्ग से धरती पर अवतरित हुई थीं। यह पर्व भक्तों के मन में उमंग और नदी के प्रति श्रद्धा का संचार करता है। चलिए इस आलेख में, हम 16 जून 2024 को होने वाले गंगा दशहरा के महत्व, तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में विस्तार से जानते हैं।
2024 में गंगा दशहरा का पर्व 16 जून, शनिवार को मनाया जाएगा। इस दिन ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पड़ रही है। शुभ मुहूर्त की बात करें तो, अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 48 मिनट से दोपहर 12 बजकर 36 मिनट तक रहेगा। इसके अलावा, ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4 बजकर 34 मिनट से लेकर 5 बजकर 18 मिनट तक रहेगा। इन शुभ मुहूर्तों में गंगा स्नान और पूजा करना विशेष फलदायी माना जाता है।
हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, महाराज भागीरथ के पूर्वजों का उद्धार करने के लिए मां गंगा को स्वर्ग से पृथ्वी पर लाने के लिए कठिन तपस्या की थी। भगवान विष्णु की कृपा से गंगा स्वर्ग से अवतरित तो हुईं, लेकिन उनके वेग को रोक पाना किसी के वश में नहीं था। अंततः भगवान शिव ने अपनी जटाओं में उन्हें समेट लिया, जिससे उनके प्रवाह को नियंत्रित किया जा सका। इसी तरह 10 जन्मों के पापों को धोने की शक्ति होने के कारण भी इस पर्व को दशहरा कहा जाता है।
दान-पुण्य: इस दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व है। जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र आदि का दान करना पुण्य फलदायी माना जाता है। गाय को घास या फल खिलाना भी शुभ माना जाता है।
पूजा-अर्चना: गंगा नदी के किनारे या घर पर मां गंगा की विधिवत पूजा की जाती है। गंगाजल, फूल, फल, दीप आदि अर्पित किए जाते हैं। भजन-कीर्तन करके और गीता का पाठ करके पर्व को मनाया जाता है।
पापों का नाश: माना जाता है कि गंगा दशहरा पर गंगा स्नान करने से व्यक्ति के जन्म-जन्मांतर के पाप धुल जाते हैं। आध्यात्मिक रूप से शुद्ध होना संभव हो पाता है।
मोक्ष की प्राप्ति: गंगा को मोक्षदायिनी माना जाता है। इस पवित्र दिन पर पूजा, स्नान और दान करने से मोक्ष की प्राप्ति के द्वार खुलते हैं।
मन की शांति: गंगा नदी के किनारे का शांत वातावरण और भक्तिमय अनुभव मन को शांति प्रदान करते हैं। तनाव और चिंता को दूर करने में यह पर्व सहाय हैं।
यदि आप किसी कारणवश गंगा नदी के तट पर नहीं पहुंच पा रहे हैं, तो भी निराश होने की जरूरत नहीं है। घर पर भी सरल तरीके से गंगा दशहरा को मनाकर पुण्य कमाया जा सकता है। आइए जानें घर पर गंगा दशहरा मनाने की विधि और उपयोगी मंत्रों के बारे में:
स्नान और व्रत: सुबह स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें। संभव हो तो उपवास रखें।
पूजा की तैयारी: एक चौकी पर गंगाजल रखें। साथ में मां गंगा की मूर्ति या तस्वीर, दीप, अगरबत्ती, फूल, फल और गंगाजली रखें।
पूजा प्रारंभ: दीप और अगरबत्ती जलाएं। गंगाजल छिड़ककर शुद्धि करें। "ऊं गं गणपते नमः" मंत्र का जप 11 बार करें।
मां गंगा का आह्वान: "ऊं गं गंगाये नमः" मंत्र का जप 108 बार करें। मां गंगा की स्तुति में प्रार्थना करें और मनोकामना करें।
आरती और प्रसाद: गंगाजल, फूल और चंदन अर्पित करें। मां गंगा की आरती गाएं या "ऊं जय जगदीश्वरी गंगे माते नमः" मंत्र का जाप करें। अंत में प्रसाद ग्रहण करें।
गंगा स्नान से पहले: "ॐ गंगे च यमुने च गोदावरि सरस्वती नर्मदे सिन्धु कावेरि जलेऽस्मिन् सन्निहितेऽहं नमामि।"
गंगाजल पीने से पहले: "ॐ अमृतोदभवः श्रीविष्णुः सर्वतोमुखायः सुन्दरः। नारायणो नरो वा सुपर्णोऽहमस्मि गरुडध्वजः।"
गंगे यमुने च चर्मण्वती गोदावरि सरस्वती। सिन्धु कावेरि नर्मदे स्नानामि नित्यमेव हि।
गंगा दशहरा को गंगावतरण या भागीरथ उत्सव भी कहा जाता है।
इस दिन गंगा नदी के साथ-साथ अन्य पवित्र नदियों में भी स्नान का महत्व है।
पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में गंगा दशहरा बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
हरिद्वार, वाराणसी और गंगासागर प्रमुख तीर्थस्थल हैं, जहां भक्त बड़ी संख्या में स्नान करने आते हैं।
गंगा दशहरा आस्था और पवित्रता का महापर्व है। इस दिन गंगा नदी के प्रति कृतज्ञता जताते हुए पापों का नाश, पुण्य का संचय और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है। चाहे आप नदी के तट पर हों या घर पर, श्रद्धा और भक्ति के साथ गंगा दशहरा मनाएं, निश्चित रूप से आपको इसका आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होगा।
नहीं, गंगा दशहरा हिंदू कैलेंडर के अनुसार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी को होता है, इसलिए हर साल इसकी तिथि में थोड़ा बदलाव होता है।
यदि किसी कारण से गंगा नदी में स्नान करना संभव नहीं है, तो घर पर गंगाजल से स्नान किया जा सकता है। पूजा-अर्चना करके भी गंगा दशहरा मनाया जा सकता है।
इस पवित्र दिन पर सत्विक भोजन का सेवन करना शुभ माना जाता है। लौकी, कद्दू, टमाटर, पालक जैसी हरी सब्जियां, फल, दूध, दही, सूजी खीर आदि का भोजन ग्रहण किया जा सकता है। मांस, मछली और अंडे का सेवन वर्जित माना जाता है।
गंगा दशहरा दान-पुण्य का भी पर्व है। इस दिन गरीबों और असहायों की मदद करना अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है। भोजन, वस्त्र, दैनिक उपयोग की सामग्री का दान करके हम उनकी खुशियां बढ़ा सकते हैं।
पूजा के बाद बचे हुए गंगाजल को किसी पवित्र स्थान पर रखें। इसे पीने के लिए, घर की शुद्धि के लिए या अन्य पूजा-पाठ में इस्तेमाल किया जा सकता है। इसे नाली या गंदे स्थान पर डालने से बचना चाहिए।
इस तरह के और भी दिलचस्प विषय के लिए यहां क्लिक करें - Instagram
Author :
"मेष राशि के दो व्यक्तियों के बीच समानताएं है जो ए...
"मेष और मिथुन राशि के बीच समानता" विषय पर यह ब्लॉग...
मेष और कर्क राशि के बीच समानताएं और विभिन्नता का ख...
Copyright ©️ 2023 SVNG Strip And Wire Private Limited (Astroera) | All Rights Reserved