गोवर्धन पूजा 2024: तिथि और महत्व

गोवर्धन पूजा 2024: तिथि और महत्व
  • 27 Mar 2024
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गोवर्धन पूजा 2024: 

हर साल दिवाली के अगले दिन मनाई जाने वाली गोवर्धन पूजा, हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। आइए, इस लेख में हम विस्तार से जानें गोवर्धन पूजा की तिथि, शुभ मुहूर्त, धार्मिक महत्व, पूजा विधि, ध्यान देने योग्य बातें, 56 भोग का महत्व और परिक्रमा के बारे में।

 

गोवर्धन पूजा 2024 की तिथि और शुभ मुहूर्त

गोवर्धन पूजा हमेशा दिवाली के अगले दिन यानी कार्तिक महीने की प्रतिपदा तिथि को मनाई जाती है।  2 नवंबर 2024 को प्रतिपदा तिथि का प्रारंभ सुबह 6:34 बजे से होकर अगले दिन 3 नवंबर को सुबह 4:50 बजे तक रहेगी। पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह के समय होता है। आप अपने क्षेत्र के किसी भी पंडित से सलाह करके अपने लिए विशिष्ट शुभ मुहूर्त का पता लगा सकते हैं।

 

गोवर्धन पूजा का धार्मिक महत्व

गोवर्धन पूजा भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्धन पर्वत (गिरिराज) के अटूट संबंध का प्रतीक है। कथा के अनुसार, एक बार इंद्र देव क्रोधित होकर ब्रजवासियों पर भारी वर्षा करने लगे। तब भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाकर ब्रजवासियों को उसकी छाया में आश्रय दिया। इस प्रकार, भगवान कृष्ण ने इंद्र देव के अभिमान को चूर-चूर कर दिया और गोवर्धन पर्वत की महिमा का वर्णन किया। इसलिए, गोवर्धन पूजा में गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है, जो पृथ्वी और प्रकृति का प्रतीक माना जाता है।

 

गोवर्धन पूजा की विधि

गोवर्धन पूजा की विधि सरल है। यहां इसके कुछ मुख्य चरण दिए गए हैं:

 

  • पूजा की तैयारी: सबसे पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें। पूजा स्थल की साफ-सफाई करें और चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं।

 

  • गोवर्धन पर्वत बनाना: गेहूं के आटे से गोवर्धन पर्वत का एक छोटा सा मॉडल बनाएं। आप चाहें तो इसके लिए गोबर का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।

 

  • कलश स्थापना: एक कलश में शुद्ध जल भरकर उस पर आम के पत्ते रखें और मौली बांधें। कलश को पूजा स्थल पर स्थापित करें और उसका पूजन करें।

 

  • गोवर्धन पूजा: गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करें और उस पर अक्षत, रोली, मौली, दूध, दही, शहद, घी, फल और फूल चढ़ाएं।

 

  • 56 भोग का भोग लगाना: आप अपनी श्रद्धा अनुसार 56 तरह के पकवान बनाकर भगवान कृष्ण को भोग लगा सकते हैं।

 

  • आरती: अंत में भगवान कृष्ण और गोवर्धन पर्वत की आरती करें।

 

गोवर्धन पूजा के समय ध्यान देने योग्य बातें

  • पूजा से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र जरूर पहनें।

  • पूजा स्थल को साफ और सुंदर सजाएं।

  • गोवर्धन पर्वत बनाते समय आप उसमें गुफा, नदी, पेड़ आदि बना सकते हैं।

  • पूजा में धूप, दीप और अगरबत्ती जलाना न भूलें।

  • आप पूजा के बाद गोवर्धन पर्वत की कथा सुन सकते हैं।

 

गोवर्धन पूजा में 56 भोग का महत्व और परिक्रमा

 

गोवर्धन पूजा में 56 भोग का महत्व

गोवर्धन पूजा में 56 भोग का विशेष महत्व होता है। यह संख्या ब्रज के 56 विभिन्न व्यंजनों का प्रतीक है, जो भगवान कृष्ण को अर्पित किए जाते हैं। माना जाता है कि भगवान कृष्ण को भोजन का बहुत शौक था और उन्हें विभिन्न प्रकार के व्यंजन पसंद थे। 56 भोग का प्रसाद अर्पित करना प्रकृति के प्रति सम्मान का प्रतीक है, साथ ही ऐसा करने से भगवान कृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त हो सकता है।

 

आप अपनी श्रद्धा अनुसार मीठे और नमकीन दोनों तरह के व्यंजन बना सकते हैं। कुछ लोकप्रिय भोगों में शामिल हैं:

  • खीर

  • लड्डू

  • हलवा

  • पूड़ी - सब्जी

  • कचोरी

  • चावल

  • दाल

  • पापड़

  • मिठाई

 

आप चाहें तो फलों काटकर भी भोग लगा सकते हैं।

 

गोवर्धन पूजा की परिक्रमा

गोवर्धन पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा परिक्रमा करना है। भक्त पूजा के बाद गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करते हैं। परिक्रमा का मतलब होता है किसी पवित्र वस्तु के चारों ओर घूमना। गोवर्धन पूजा में परिक्रमा करना प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने और पृथ्वी के पोषण के लिए धन्यवाद देने का प्रतीक है। परिक्रमा करते समय आप गोवर्धन मंत्र का जाप कर सकते हैं।

 

निष्कर्ष: गोवर्धन पूजा 2024

गोवर्धन पूजा प्रकृति के प्रति कृतज्ञता और भगवान कृष्ण के लीलाओं का उत्सव है। इस दिन हम पृथ्वी और पर्यावरण के महत्व को याद करते हैं। आप भले ही कितने भी भोग बनाएं, लेकिन सच्ची भक्ति और शुद्ध मन से की गई पूजा ही सबसे ज्यादा फलदायी होती है।

 

गोवर्धन पूजा 2024 से जुड़े सवाल और उनके जवाब

 

गोवर्धन पूजा में कौन से फूल चढ़ाए जा सकते हैं?

आप गोवर्धन पूजा में तुलसी, गेंदा, कमल और अन्य मौसमी फूल चढ़ा सकते हैं।

 

क्या गोवर्धन पूजा घर पर ही की जा सकती है?

बिल्कुल! आप मंदिर जाने के बजाय घर पर ही गोवर्धन पूजा कर सकते हैं। पूजा विधि में कोई बदलाव नहीं होता है।

 

क्या 56 भोग का प्रसाद बनाना जरूरी है?

नहीं, आप अपनी श्रद्धा अनुसार भोग बना सकते हैं। आप चाहें तो सिर्फ दूध और फल भी चढ़ा सकते हैं।

 

गोवर्धन पूजा की कथा क्या है?

गोवर्धन पूजा की कथा भगवान कृष्ण और इंद्र देव के बीच हुए युद्ध से जुड़ी है। आप इस कथा को पूजा के बाद सुन सकते हैं या ऑनलाइन पढ़ सकते हैं।

 

गोवर्धन पूजा का पर्यावरण से क्या संबंध है?

गोवर्धन पूजा हमें पर्यावरण के संरक्षण का संदेश देती है। गोवर्धन पर्वत प्रकृति का प्रतीक है और इस दिन हम पृथ्वी का सम्मान करते हैं।

 

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