रंगों के उत्सव, होली के धूम के बाद आता है राजस्थान का एक अनूठा और मनमोहक त्योहार - गणगौर। विवाहित महिलाओं और अविवाहित लड़कियों के लिए खास यह पर्व 11 अप्रैल, को मनाया जाएगा। इस साल गणगौर की धूम कुछ खास होने वाली है, क्योंकि ये शनिवार के दिन पड़ रहा है। तो आइए, इस पावन अवसर पर हम बात करते हैं गणगौर की तिथि, मुहूर्त, पूजन विधि और इससे जुड़ी खास तैयारियों की।
गणगौर का त्योहार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतीय तिथि को मनाया जाता है। इस साल तृतीय तिथि 11 अप्रैल, 2024 को पड़ रही है।
प्रातःकाल मुहूर्त - प्रातः 6:29 से 8:24 तक
अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:04 से 12:52 तक
गणगौर की पूजा का महत्व विवाहित महिलाओं के सौभाग्य और अविवाहित लड़कियों के अच्छे वर की प्राप्ति के लिए माना जाता है। पूजा की विधि इस प्रकार है:
गणगौर माता की प्रतिमा को स्नान कराकर सुंदर वस्त्र पहनाएं और श्रृंगार करें।
प्रतिमा के सामने चौकी पर गेहूं के अंकुरित दाने सजाएं।
माता को रोली, चावल, फूल, फल और मिठाई का भोग लगाएं।
धूप-दीप जलाकर गणगौर माता की आरती उतारें।
गणगौर के गीत गाएं और माता का आशीर्वाद लें।
गणगौर का त्योहार धूमधाम से मनाने के लिए आप कुछ खास तैयारियां कर सकते हैं:
घर की साफ-सफाई करें और रंगोली बनाएं।
गणगौर की प्रतिमा लाएं या खुद बनाएं।
पूजा के लिए सभी सामग्री इकट्ठा कर लें।
गेरूआ रंग का वस्त्र पहनें।
गणगौर के गीत सीखें और पूजा के दौरान गाएं।
अपने परिवार और दोस्तों को त्योहार की शुभकामनाएं दें।
गणगौर का त्योहार न केवल महिलाओं के लिए बल्कि समाज के लिए भी काफी महत्वपूर्ण है। यह त्योहार प्रकृति के नवजीवन का प्रतीक है और हमें जीवन में खुशियां लाने की सीख देता है। गणगौर का उत्सव आपसी प्रेम और समर्पण का भाव जगाता है और समाज को एकजुट करता है।
यहां पढ़ें: गणगौर 2024 अंग्रेजी में
गणगौर के उत्सव में लोकगीतों का खास महत्व होता है। ये गीत गणगौर माता की महिमा का गुणगान करते हैं और त्योहार के माहौल को और भी खुशनुमा बना देते हैं। महिलाएं और लड़कियां समूह में इकट्ठा होकर गणगौर के गीत गाती हैं, ढोलक बजाती हैं और नाचती हैं। कुछ लोकप्रिय गणगौर गीतों में शामिल हैं:
गौरी, ससुराल चली,
गणगौर माई रे, रंगी चौकी रे,
पीहरवा में है सजनवा रे,
अब तो आजा रे गणगौर,
गणगौर के दिन घरों में विशेष भोजन बनाया जाता है। पकौड़े, हलवा, घेवर और गुजिया जैसे व्यंजनों का भोग लगाया जाता है और परिवार के साथ मिलकर खाया जाता है। साथ ही, मेले भी लगाए जाते हैं, जहां लोग झूले झूलते हैं, खरीदारी करते हैं और त्योहार का आनंद लेते हैं।
गणगौर का त्योहार राजस्थान के अलावा उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में भी मनाया जाता है। हालांकि, अलग-अलग क्षेत्रों में पूजन विधि और परंपराओं में थोड़ा अंतर हो सकता है।
गणगौर के त्योहार से जुड़ी कई परंपराएं और कहानियां हैं, जो इस उत्सव को और भी खास बनाती हैं। आइए जानते हैं उनमें से कुछ के बारे में:
गणगौर की प्रतिमा: गणगौर की पूजा में गेहूं के आटे से बनी प्रतिमा का प्रयोग किया जाता है। इस प्रतिमा को इशर देवी का प्रतीक माना जाता है, जो भगवान शिव की पत्नी पार्वती का एक रूप है। प्रतिमा को सुंदर वस्त्र पहनाकर और गहने से सजाकर पूजा की जाती है।
घट स्थापना: कुछ क्षेत्रों में गणगौर के नौ दिनों के दौरान घर में घट स्थापना की जाती है। इसमें मिट्टी या तांबे के बर्तन में जौ अंकुरित किए जाते हैं और गणगौर माता का प्रतिनिधित्व करने वाले कपड़े से उसे ढका जाता है।
गणगौर की सवारी: त्योहार के आखिरी दिन गणगौर की सवारी निकाली जाती है। महिलाएं और लड़कियां ढोल नगाड़े बजाते हुए और गीत गाते हुए गणगौर की प्रतिमा को लेकर गांव या शहर में घूमती हैं। यह परंपरा गणगौर माता को विदाई देने का प्रतीक है।
गणगौर की कहानी: गणगौर के त्योहार से जुड़ी एक प्रसिद्ध कहानी है, जिसमें पार्वती अपने पिता हिमालय के घर जाती हैं। भगवान शिव उन्हें वापस लाने के लिए विभिन्न प्रलोभन देते हैं, जिनमें से एक है गणगौर का त्योहार। इस कहानी के अनुसार, गणगौर का त्योहार विवाहित महिलाओं के सुखी वैवाहिक जीवन और अविवाहित लड़कियों के अच्छे वर की प्राप्ति का प्रतीक है।
गणगौर का त्योहार प्रेम, समर्पण और नवजीवन का उत्सव है। इस पावन अवसर पर हम गणगौर माता का आशीर्वाद लेकर अपने जीवन में खुशियां लाने का संकल्प लेते हैं। आशा है कि इस लेख ने आपको गणगौर के बारे में विस्तार से जानकारी दी है और आप इस त्योहार को धूमधाम से मनाने के लिए तैयार हैं।
गणगौर का त्योहार किस दिन मनाया जाता है?
गणगौर का त्योहार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतीय तिथि को मनाया जाता है।
गणगौर की पूजा का महत्व क्या है?
गणगौर की पूजा विवाहित महिलाओं के सौभाग्य और अविवाहित लड़कियों के अच्छे वर की प्राप्ति के लिए की जाती है।
क्या पुरुष गणगौर की पूजा कर सकते हैं?
जी हां, पुरुष गणगौर की पूजा कर सकते हैं। हालांकि, पूजा की विधि में महिलाओं द्वारा की जाने वाली कुछ परंपराएं शामिल हो सकती हैं।
गणगौर की प्रतिमा कहां से लाएं?
गणगौर की प्रतिमा आप बाजार से खरीद सकते हैं या खुद बना सकते हैं। इसे बनाने के लिए गेहूं के आटे की लोई से प्रतिमा बनाकर उस पर वस्त्र और गहने सजाए जाते हैं।
गणगौर के बाद क्या होता है?
गणगौर के बाद अगला बड़ा त्योहार गंगा दशहरा होता है, जो वैशाख माह के शुक्ल पक्ष के दशमी तिथि को मनाया जाता है। यह त्योहार गंगा नदी की पूजा का पर्व है।
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