दत्त जयंती, जिसे दत्तात्रेय जयंती के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह भगवान दत्तात्रेय की जयंती मनाता है, जिन्हें हिंदू धर्म की त्रिमूर्ति (ब्रह्मा, विष्णु और शिव) के तीनों देवताओं का अवतार माना जाता है।
दत्त जयंती हिंदू कैलेंडर के अनुसार मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा (पूर्णिमा) के दिन मनाई जाती है। वर्ष 2024 में, दत्त जयंती शनिवार, 14 दिसंबर को पड़ रही है।
भगवान दत्तात्रेय को ज्ञान, विवेक और वैराग्य के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है। भक्तों का मानना है कि इस शुभ दिन उनकी कृपा प्राप्त करने से शांति प्राप्त होती है, बाधाएं दूर होती हैं और सभी कार्यों में सफलता मिलती है।
भक्त जल्दी उठकर घर पर पूजा-अर्चना करते हैं या दत्तात्रेय को समर्पित मंदिरों में दर्शन के लिए जाते हैं।
मंदिरों को फूलों से सजाया जाता है और भक्त भगवान की स्तुति में भजन गाते हैं।
भगवान दत्तात्रेय की मूर्ति को विशेष पूजा और अभिषेक (पवित्र स्नान) अर्पित किए जाते हैं।
कुछ भक्त इस दिन उपवास भी रख सकते हैं।
दत्त जयंती 2024 भगवान दत्तात्रेय के दिव्य गुणों का जश्न मनाने और उनके ज्ञान और मार्गदर्शन की तलाश करने का एक शुभ अवसर है। उनके उपदेशों का पालन करके, हम ज्ञान से भरपूर, शांतिपूर्ण और आध्यात्मिक रूप से समृद्ध जीवन की ओर अग्रसर हो सकते हैं।
दत्त जयंती के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले 5 प्रश्न
दत्त जयंती भगवान दत्तात्रेय की जयंती मनाती है, जो ज्ञान, विवेक और जीवन की बाधाओं को पार करने का प्रतीक है।
दत्त जयंती शनिवार, 14 दिसंबर 2024 को पड़ रही है।
इस दिन भक्त पूजा करते हैं, मंदिरों में दर्शन करते हैं, भजन गाते हैं और कुछ उपवास भी रख सकते हैं।
दत्त जयंती पूरे भारत में मनाई जाती है, लेकिन महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों में इसका विशेष महत्व है।
भक्तों का मानना है कि भगवान दत्तात्रेय की कृपा प्राप्त करने से शांति, सफलता और आध्यात्मिक विकास प्राप्त होता है।
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