भारतीय संस्कृति में कई ऐसे त्योहार मनाए जाते हैं, जो न सिर्फ पौराणिक कथाओं को जीवित रखते हैं, बल्कि हमें जीवन के सच्चे मूल्यों और आदर्शों की याद दिलाते हैं। भीष्म अष्टमी ऐसा ही एक पर्व है, जो महाभारत के महापुरुष और पितामह, भीष्म के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करने का पवित्र अवसर प्रदान करता है। हर साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को मनाया जाने वाला भीष्म अष्टमी 2024 इस साल 16 फरवरी को धूमधाम से मनाया जाएगा।
इस लेख में, हम भीष्म अष्टमी 2024 की तिथि, शुभ मुहूर्तों, विशेष योगों और इस पर्व के धार्मिक महत्व पर विस्तार से चर्चा करेंगे। साथ ही, हम जानेंगे कि कैसे भगवान भीष्म का जीवन हमारे लिए प्रेरणादायी है और उनकी शिक्षाओं को हम अपने जीवन में कैसे आत्मसात कर सकते हैं। तो आइए, समय के पन्नों को पलटते हुए, महान भीष्म के वीरता और त्याग से ओतप्रोत कहानी में खुद को सराबोर करें और इस दिव्य पर्व का स्वागत करने के लिए तैयार हो जाएं!
भीष्म अष्टमी महाभारत के युद्ध में कौरव पक्ष के योद्धा होते हुए भी धर्म और वीरता के प्रतीक माने जाने वाले महान योद्धा भीष्म पितामह के प्रति श्रद्धांजलि का पर्व है। इस दिन उनके असाधारण जीवन, धर्मनिष्ठा, क्षमाशीलता और त्याग को याद किया जाता है।
धर्म और कर्तव्य के प्रति समर्पण: भीष्म ने अपने पूरे जीवन धर्म और कर्तव्य को सर्वोच्च स्थान दिया। अपने पिता की इच्छा को पूरा करने के लिए उन्होंने आजीवन ब्रह्मचर्य का व्रत लिया और कुरुवंश के प्रति अपनी निष्ठा का निर्वाह किया। युद्ध में पांडवों के प्रति उदारता दिखाने और अपने प्राण त्यागने का उनका निर्णय भारतीय संस्कृति में त्याग और वीरता के सर्वोच्च उदाहरणों में से एक माना जाता है।
क्षमा और दयालुता: भीष्म अपने क्रोध पर नियंत्रण रखने और क्षमाशील होने के लिए जाने जाते थे। युद्ध के मैदान में भी उन्होंने कई बार दुश्मनों को क्षमादान दिया और उन्हें युद्ध छोड़ने का आग्रह किया। उनकी उदारता और दयालुता आज भी प्रेरणा का स्रोत है।
निष्ठा और वफादारी: भीष्म अपने वचनों और प्रतिज्ञाओं के प्रति अत्यंत निष्ठावान थे। एक बार दिए हुए वचन को पूरी करना, चाहे कितना भी कठिन क्यों न हो, यही उनका जीवन-मंत्र था। उनकी यह दृढ़ निष्ठा आज भी मर्यादा और वफादारी का प्रतीक है।
हर धार्मिक उत्सव की तरह, 2024 भीष्म अष्टमी के भी कुछ शुभ मुहूर्त होते हैं, जिनमें पूजा-अर्चना करना विशेष रूप से फलदायी माना जाता है। इस साल भीष्म अष्टमी की तिथि 16 फरवरी, 2024 की शाम 8 बजकर 54 मिनट से शुरू होकर 17 फरवरी, 2024 की शाम 8 बजकर 15 मिनट तक रहेगी। हालांकि, सूर्योदय और ब्रह्म मुहूर्त के समय पूजा करना सबसे पवित्र और लाभदायी माना जाता है।
सूर्योदय मुहूर्त: 16 फरवरी, 2024
ब्रह्म मुहूर्त: 16 फरवरी, 2024 (लगभग सुबह 5 बजे से 6:30 बजे तक)
इन समयों के अलावा, आप अपने ज्योतिषी से सलाह लेकर अपनी जन्मकुंडली के अनुसार विशिष्ट पूजा मुहूर्त भी निर्धारित कर सकते हैं।
शोभन योग: 16 फरवरी, 2024 की सुबह 8 बजकर 2 मिनट तक शुभ फलदायी शोभन योग रहेगा। यह योग नई शुरुआत करने, कार्यों में सफलता पाने और मंगलमय परिणाम प्राप्त करने के लिए शुभ माना जाता है।
सिद्ध योग: शोभन योग के बाद, सिद्ध योग शुरू होगा और शाम तक रहेगा। यह योग आर्थिक संपन्नता, मानसिक शांति और आत्मिक विकास के लिए अनुकूल माना जाता है।
इन शुभ मुहूर्तों और योगों का लाभ उठाकर भीष्म अष्टमी 2024 पर धार्मिक अनुष्ठान करना विशेष रूप से फलदायी हो सकता है।
भारत के विभिन्न क्षेत्रों में भीष्म अष्टमी को मनाने के तरीके में थोड़ा भिन्नता हो सकती है, लेकिन कुछ परंपरागत अनुष्ठान लगभग हर जगह आम हैं:
स्नान और पूजा: सुबह जल्दी उठकर पवित्र स्नान करने और भीष्म की प्रतिमा या तस्वीर का पूजन करने की परंपरा है। गंगाजल, फूल, चंदन, धूप और दीप का उपयोग कर पूजा अर्चना की जाती है।
दान-पुण्य: इस दिन जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र या धन का दान करना शुभ माना जाता है। इससे न केवल पुण्य फल प्राप्त होता है, बल्कि भीष्म की दयालुता का अनुसरण भी किया जाता है।
भजन-कीर्तन: कई मंदिरों में भीष्म अष्टमी के दिन भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है। भगवान का गुणगान करने और भीष्म की वीरता का स्मरण करना इस त्योहार का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
उपवास: कुछ लोग इस दिन व्रत भी रखते हैं, विशेष रूप से जो लोग संतान प्राप्ति की कामना करते हैं। व्रत रखने से मन की एकाग्रता बढ़ती है और धार्मिक भावनाएं जागृत होती हैं।
यहाँ पढ़ें: भीष्म अष्टमी अंग्रेजी में
भीष्म अष्टमी का पर्व न केवल एक धार्मिक उत्सव है, बल्कि जीवनशैली पर भी मार्गदर्शन प्रदान करता है। इस दिन हम भीष्म के जीवन से कई अमूल्य सबक सीख सकते हैं:
धर्म और कर्तव्य का पालन: चाहे कितनी भी कठिन परिस्थिति हो, हमेशा धर्म और कर्तव्य के मार्ग पर चलना चाहिए। भीष्म का जीवन इस बात का उदाहरण है कि कठिन फैसले लेने की हिम्मत रखनी चाहिए और सच्चाई के रास्ते से कभी नहीं भटकना चाहिए।
क्षमा और दयालुता: क्रोध और ईर्ष्या को त्याग कर, दूसरों के प्रति क्षमा और दयालुता का भाव रखना चाहिए। भीष्म की उदारता हमें याद दिलाती है कि जीवन में क्षमा ही सबसे बड़ा गुण है।
निष्ठा और वफादारी: अपने वचनों और प्रतिज्ञाओं के प्रति सच्ची निष्ठा रखना और हमेशा वफादार रहना चाहिए। भीष्म का दृढ़ संकल्प हमें सिखाता है कि वचन देना आसान है, लेकिन उसे निभाना सच्ची वीरता का परिचय है।
भीष्म अष्टमी 2024 एक ऐसा पर्व है, जो हमें महान योद्धा भीष्म के जीवन से महत्वपूर्ण सबक लेने का अवसर प्रदान करता है। उनके धर्मनिष्ठ स्वभाव, क्षमाशीलता, वफादारी और त्याग की भावना आज भी प्रेरणादायक हैं। इस त्योहार को मनाते हुए, हम न केवल उनका सम्मान करते हैं, बल्कि अपने जीवन में भी उनके आदर्शों को अपनाने का संकल्प लेते हैं। आशा करते हैं कि भीष्म अष्टमी 2024 का आध्यात्मिक माहौल हमें सच्चाई, दयालुता और त्याग के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करेगा और एक बेहतर समाज का निर्माण करने में सहयोग देगा।
प्रश्न और उत्तर: भीष्म अष्टमी 2024
प्रश्न1। भीष्म अष्टमी 2024 किस तिथि को मनाई जा रही है?
भीष्म अष्टमी 2024, 16 फरवरी, 2024 को मनाई जा रही है।
प्रश्न 2। भीष्म अष्टमी के शुभ मुहूर्त कौन से हैं?
सूर्योदय मुहूर्त: 16 फरवरी, 2024 की सुबह 6 बजकर 47 मिनट से 8 बजकर 21 मिनट तक
ब्रह्म मुहूर्त: 16 फरवरी, 2024 (लगभग सुबह 5 बजे से 6:30 बजे तक)
शोभन योग: 16 फरवरी, 2024 की सुबह 8 बजकर 2 मिनट तक
सिद्ध योग: 16 फरवरी, 2024 की सुबह 8 बजकर 2 मिनट से सूर्यास्त तक
प्रश्न 3।भीष्म अष्टमी पर किन परंपरागत अनुष्ठानों का पालन किया जाता है?
सुबह स्नान और पूजा
दान-पुण्य
भजन-कीर्तन
उपवास (कुछ लोग)
प्रश्न 4 भीष्म अष्टमी का क्या धार्मिक महत्व है?
भीष्म अष्टमी, महाभारत के महान योद्धा और पितामह, भीष्म के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करने का पर्व है। यह दिन उनके धर्मनिष्ठ स्वभाव, क्षमाशीलता, वफादारी और त्याग की भावना को याद करने का अवसर प्रदान करता है।
प्रश्न 5। भीष्म अष्टमी से क्या प्रेरणा ली जा सकती है?
भीष्म अष्टमी से हम धर्म और कर्तव्य के पालन, क्षमा और दयालुता, निष्ठा और वफादारी, तथा त्याग और बलिदान की भावना सीख सकते हैं। यह पर्व हमें अपने जीवन में उनके आदर्शों को अपनाने का संकल्प लेने के लिए प्रेरित करता है।
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