हिंदू धर्म में भाद्रपद अमावस्या का विशेष महत्व है। यह अमावस्या तिथि भगवान विष्णु और उनके विभिन्न अवतारों की पूजा के लिए समर्पित है। आइए, इस पवित्र दिन के बारे में विस्तार से जानें, जिसमें इसकी धार्मिक कर्मकांड, महत्व, तिथि, समय, अनुष्ठान और महत्त्व शामिल हैं।
भाद्रपद अमावस्या के दिन कई महत्वपूर्ण धार्मिक कर्मकांड किए जाते हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:
भगवान विष्णु का पूजन: इस दिन भगवान विष्णु और उनके विभिन्न अवतारों, जैसे कि श्रीकृष्ण, राम, नृसिंह अवतार आदि की विधि-विधान से पूजा की जाती है। भक्तगण भगवान को तुलसी पत्र, फल, फूल आदि चढ़ाते हैं और उनकी आरती करते हैं।
पितृ पूजन: भाद्रपद अमावस्या को पितृरों का श्राद्ध करने और उन्हें तर्पण देने का विशेष विधान है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन किए गए श्राद्ध से पितरों को शांति मिलती है।
दान-पुण्य: भाद्रपद अमावस्या को दान-पुण्य करने का भी विशेष महत्व है। गरीबों, असहायों और जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र आदि का दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
व्रत रखना: कुछ लोग इस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। व्रत के दौरान सात्विक भोजन ग्रहण किया जाता है और भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप किया जाता है।
भाद्रपद अमावस्या का हिंदू धर्म में कई कारणों से विशेष महत्व है:
मोक्ष की प्राप्ति: ऐसा माना जाता है कि इस दिन किए गए धार्मिक कर्मों से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
पापों से मुक्ति: इस दिन व्रत रखने, पूजा-पाठ करने और दान-पुण्य करने से पापों से मुक्ति मिलती है।
पितरों का आशीर्वाद: पितृ पक्ष का आरंभ होने के कारण इस दिन पितरों का श्राद्ध करने और उन्हें तर्पण देने से उनकी कृपा प्राप्त होती है।
भगवान विष्णु की कृपा: भगवान विष्णु की विशेष पूजा करने का दिन होने के कारण इस दिन उनकी कृपा प्राप्त करने का अवसर मिलता है।
आध्यात्मिक उन्नति: इस दिन ध्यान, योग आदि आध्यात्मिक क्रियाकलाप करने से मन को शांति मिलती है और आध्यात्मिक उन्नति होती है।
इस वर्ष भाद्रपद अमावस्या 2 सितंबर 2024 को पड़ रही है। अमावस्या तिथि का आरंभ 1 सितंबर 2024 की रात 12 बजकर 44 मिनट से होकर 2 सितंबर 2024 को रात 2 बजकर 34 मिनट तक रहेगी।
भाद्रपद अमावस्या के दिन निम्नलिखित अनुष्ठान किए जा सकते हैं:
पूजा-पाठ: भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करें। उन्हें तुलसी पत्र, फल, फूल आदि चढ़ाएं और उनकी आरती करें।
मंत्र जाप: "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" या "ॐ नमो नारायणाय" जैसे मंत्रों का जाप करें।
ध्यान: शांत वातावरण में बैठकर भगवान विष्णु का ध्यान करें।
भाद्रपद अमावस्या के दिन भगवद् गीता का पाठ करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है। माना जाता है कि इस दिन गीता का पाठ करने से ज्ञान की प्राप्ति होती है और जीवन की दिशा सही होती है।
दान का महत्व: भाद्रपद अमावस्या के दिन दान का विशेष महत्व है। गरीबों, असहायों और जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र, धन आदि का दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। दान करते समय सच्चे मन से करना चाहिए और किसी भी प्रकार का दिखावा नहीं करना चाहिए।
पवित्र नदियों में स्नान: कुछ लोग इस दिन पवित्र नदियों, जैसे कि गंगा, यमुना आदि में स्नान करके पवित्रता प्राप्त करते हैं। माना जाता है कि पवित्र नदियों में स्नान करने से शरीर और मन दोनों शुद्ध होते हैं।
ज्योतिषीय महत्व: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, भाद्रपद अमावस्या के दिन चंद्रमा मेष राशि में स्थित होता है। यह स्थिति कुछ राशियों के लिए शुभ और कुछ के लिए अशुभ हो सकती है। इसलिए, ज्योतिषीय सलाह लेना उचित होता है।
भाद्रपद अमावस्या हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है। इस दिन किए गए धार्मिक कर्मकांडों से मोक्ष की प्राप्ति, पापों से मुक्ति, पितरों का आशीर्वाद, भगवान विष्णु की कृपा और आध्यात्मिक उन्नति मिलती है। इस दिन पूजा-पाठ, मंत्र जाप, ध्यान, दान, कथा श्रवण आदि धार्मिक क्रियाकलाप करके आप इस पवित्र दिन का लाभ उठा सकते हैं।
उत्तर: भाद्रपद अमावस्या 2024 2 सितंबर 2024 को पड़ रही है।
उत्तर: भाद्रपद अमावस्या का महत्व मोक्ष की प्राप्ति, पापों से मुक्ति, पितरों का आशीर्वाद, भगवान विष्णु की कृपा और आध्यात्मिक उन्नति से जुड़ा हुआ है।
उत्तर: भाद्रपद अमावस्या के दिन आप भगवान विष्णु की पूजा, मंत्र जाप, ध्यान, दान, कथा श्रवण आदि धार्मिक क्रियाकलाप कर सकते हैं।
उत्तर: भाद्रपद अमावस्या पर सभी पितरों का श्राद्ध किया जाता है।
उत्तर: नहीं, भाद्रपद अमावस्या का व्रत रखना अनिवार्य नहीं है। लेकिन, जो लोग रखना चाहते हैं, वे रख सकते हैं।
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