हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है, और वसंत के आगमन का संदेश देने वाली आमलकी एकादशी इनमें से एक अत्यंत पवित्र त्योहार है। यह दिन आध्यात्मिकता, स्वास्थ्य और परोपकार का संगम है, जहां श्रद्धालु वरदायिनी देवी लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर की कृपा प्राप्त करने के लिए व्रत रखते हैं और पवित्र आमलकी फल का सेवन करते हैं। 2024 में, यह पावन पर्व 20 मार्च को मनाया जाएगा।
2024 में, आमलकी एकादशी 20 मार्च को देर रात 12 बजकर 21 मिनट से शुरू होकर 21 मार्च को देर रात 2 बजकर 22 मिनट तक चलेगी। हालांकि, पूजा करने के लिए कई शुभ मुहूर्त बताए गए हैं, जिनमें से प्रमुख हैं:
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:00 बजे से 5:30 बजे तक
अभिषेक मुहूर्त: सुबह 10:48 बजे से दोपहर 12:34 बजे तक
पारण समय: 21 मार्च को सुबह 7:15 बजे से 9:20 बजे तक
एकादशी तिथि से एक दिन पहले दशमी तिथि को सात्विक भोजन करें और मांस, मछली और शराब का त्याग करें।
एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की मूर्ति का विधिवत पूजन करें। उन्हें धूप, दीप, फूल, फल और पंचामृत अर्पित करें।
दिनभर उपवास रखें और पवित्र आमलकी फल और अन्य सत्त्विक भोजन ग्रहण करें।
भगवान का नाम जपें और ध्यान लगाएं।
अगले दिन द्वादशी तिथि को शुभ मुहूर्त में व्रत का पारण करें। ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान-पुण्य का कार्य करें।
इस एकादशी से जुड़ी एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, प्राचीन काल में एक धर्मात्मा राजा थे, जिनका नाम चक्रवर्ती मान्धाता था। उनकी रानी का नाम भद्रा था। उनकी कोई संतान नहीं थी, जिससे वे बहुत दुखी थे। उन्होंने अनेक यज्ञ और व्रत किए, लेकिन उन्हें संतान का सुख नहीं मिला। तभी एक ऋषि ने उन्हें सलाह दी कि वे आमलकी एकादशी का व्रत रखें और भगवान विष्णु की पूजा करें। राजा ने ऋषि के कहे अनुसार व्रत रखा और पूजा की। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उन्हें पुत्र रत्न का आशीर्वाद दिया। इसी कारण, आमलकी एकादशी को संतान प्राप्ति के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है।
यहां पढ़ें: आमलकी एकादशी अंग्रेजी में
आमलकी एकादशी का महत्व:
आमलकी एकादशी को 'आंवला एकादशी' भी कहा जाता है, जैसा कि इसके नाम से ही स्पष्ट है, इस दिन आंवले के वृक्ष और उसके फल का विशेष महत्व होता है। आंवला, जिसे संस्कृत में 'आमलकी' कहते हैं, एक ऐसा फल है जो अपने औषधीय गुणों के लिए दुनियाभर में विख्यात है। इसमें विटामिन सी की प्रचुर मात्रा के अलावा कई जरूरी पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर को कई तरह के रोगों से बचाते हैं। यही कारण है कि प्राचीन काल से ही आंवले को पवित्र और स्वास्थ्यदायक फल माना जाता है।
आमलकी एकादशी से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
उत्तर: आम तौर पर गर्भवती महिलाओं को कठिन व्रत रखने की सलाह नहीं दी जाती है। हालांकि, वे हल्का नियाम कर सकती हैं, जैसे कि फलाहार ग्रहण करना या केवल एक समय भोजन करना। व्रत से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लें।
2. आमलकी एकादशी के दिन किन चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए?
उत्तर: इस दिन मांस, मछली, अंडे, शराब और नशीले पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए। तामसिक भोजन का त्याग करके सात्विक आहार ग्रहण करें।
3. क्या शाम को पारण करने के बाद फिर से व्रत का संकल्प लेना जरूरी है?
उत्तर: जी नहीं, आमलकी एकादशी का व्रत एक ही बार रखा जाता है। पारण के बाद पुनः संकल्प लेने की आवश्यकता नहीं है।
4. घर पर ही आमलकी एकादशी की पूजा कैसे करें?
उत्तर: आप स्वच्छ स्थान पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। तुलसी, आंवले के फल और फूल चढ़ाएं। विष्णु सहस्रनाम या किसी भजन का पाठ करें। धूप बत्ती जलाएं और आरती उतारें। आप ऑनलाइन पूजा में भी शामिल हो सकते हैं।
5. क्या आमलकी एकादशी मनाने का कोई वैज्ञानिक आधार है?
उत्तर: जी हां, आंवले में विटामिन सी और अन्य पोषक तत्वों की प्रचुरता होती है, जो शरीर को कई तरह के रोगों से बचाते हैं। इस दिन व्रत रखने से शरीर को डिटॉक्स करने और पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में मदद मिलती है।
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