हिंदू धर्म के सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक, अयोध्या में भव्य राम मंदिर भारत की आस्था और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। भगवान राम के जन्मस्थान के रूप में विख्यात इस मंदिर का निर्माण सदियों से श्रद्धालुओं के दिलों में जुड़ा हुआ है। आइए, इस पवित्र स्थल के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त करें और राम मंदिर की दिव्य यात्रा की तैयारी करें।
अयोध्या में बने राम मंदिर के पुजारियों का चयन करने के लिए आवेदन आए थे. इसमें से 3000 लोगों ने आवेदन किया था. चयन प्रक्रिया में पुजारियों के लिए कुछ मापदंड थे, जिन्हें सभी को पूरा करना पड़ा. इसमें से 200 आवेदक साक्षात्कार के लिए चयन हुए, जिनमें से 50 को पुजारी बनाया गया. मोहित पांडे भी इन 50 पुजारियों में शामिल हैं, और वे अब बहुत चर्चा में हैं।
मोहित पांडे वर्तमान में तिरुपति के तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम द्वारा संचालित श्री वेंकटेश्वर वैदिक विश्वविद्यालय में एमए (आचार्य) का पाठ्यक्रम कर रहे हैं और ये उत्तर प्रदेश से हैं। उन्होंने पहले स्नातक की डिग्री पूरी की है और फिलहाल में साम वेद विभाग में पढ़ाई कर रहे हैं।
अयोध्या में राम मंदिर के मुख्य पुजारी बनने वाले आचार्य सत्येंद्र दास जो के 83 वर्षीय हैं, उनके साथ मोहित पांडे भी चर्चा में हैं। आचार्य सत्येंद्र दास ने पिछले 31 सालों से राम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी के रूप में कार्य किया है और उन्हें यहां पुजारी के रूप में चुना गया है। इन्होंने 1992 में बाबरी विध्वंस से 9 महीने पहले ही रामलला की पूजा शुरू की थी।
परंपरा के अनुसार, राम मंदिर के प्रसाद में कई शुभ मिठाइयां शामिल होती हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
पंचमेवा: घी, शहद, दूध, दही, और गुड़ का यह मिश्रण भगवान राम के पांच तत्वों (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, और आकाश) का प्रतीक है।
लड्डू: बेसन, गुड़, और मेवा से बने ये लड्डू शक्ति, समृद्धि, और मंगलकारी माने जाते हैं।
काजू कतली: काजू से बनी यह मिठाई शुभता और सौभाग्य का प्रतीक है।
बर्फी: दूध और चीनी से बनी यह स्वादिष्ट मिठाई भगवान की कृपा का प्रतीक है।
पेड़ा: खोया और चीनी से बने ये पेड़ा आनंद और उल्लास का प्रतीक हैं।
Read More - When Ayodhya Ram Mandir Will Open
राम मंदिर का घंटा 2100 किलोग्राम का विशालकाय घंटा है! इसकी ऊंचाई लगभग 6 फीट और चौड़ाई 5 फीट है। इसकी तुलना करें तो यह एक छोटी कार के बराबर वज़न और आकार का है। इस विशाल आकार के कारण इसकी आवाज़ भी उतनी ही प्रचंड होगी। अनुमान है कि इसकी आवाज़ आसपास के 1-2 किलोमीटर तक सुनाई देगी।
Read More - Arun Yogiraj Sculptor Ram Mandir
इस पवित्र घंटे को बनाने के लिए अष्टधातु का उपयोग किया गया है। अष्टधातु आठ पवित्र धातुओं का मिश्रण है, जिसमें सोना, चांदी, तांबा, जस्ता, सीसा, टिन, लोहा और पारा शामिल हैं।
यह घंटा केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि ऐतिहासिक महत्व भी रखता है। इसका निर्माण भारत के विभिन्न कोनों से मिट्टी और पानी एकत्र करके किया गया है। इन तीर्थस्थानों और प्रसिद्ध स्थानों से जुड़ी मिट्टी को शामिल करने से घंटे में एक विशेष प्रकार की पवित्रता और समावेशिता का भाव समाहित हो गया है। यह भारत की सांस्कृतिक विविधता और एकता का भी प्रतीक है।
हिंदू धर्म में प्रसाद को बहुत पवित्र माना जाता है। यह भगवान को अर्पित भोजन का एक अंश होता है, जिसे भक्तों के बीच वितरित किया जाता है। राम मंदिर का प्रसाद भगवान राम को भोग के रूप में चढ़ाया जाता है, इसलिए इसे विशेष रूप से शुद्ध और पवित्र माना जाता है। इसे ग्रहण करने से भक्तों को भगवान का आशीर्वाद मिलने और उनकी इच्छाओं की पूर्ति होने की मान्यता है।
अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का उत्सव पूरे देश में मनाया जा रहा है। इस उत्सव में एक खास जगह है राम मंदिर अगरबत्ती की। यह अगरबत्ती न केवल अपनी लंबाई और वजन के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि अपनी सुगंध और पवित्रता के लिए भी।
राम मंदिर अगरबत्ती की लंबाई 108 फीट है, जो कुतुब मीनार की लगभग आधी है। इसका वजन 3610 किलोग्राम है। अगरबत्ती को बनाने में 376 किलोग्राम गुग्गुल, 376 किलोग्राम नारियल के गोले, 190 किलोग्राम घी, 1470 किलोग्राम गाय का गोबर, और 420 किलोग्राम जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया गया है।
अगरबत्ती को बनाने में छह महीने का समय लगा। इसे बनाने का काम गुजरात के वडोदरा शहर में किया गया था। अगरबत्ती को बनाने वाले कारीगरों ने इसे बहुत ही खूबसूरती से बनाया है।
राम मंदिर अगरबत्ती को अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाली रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के कार्यक्रम में इस्तेमाल किया जाएगा। इसके अलावा, इसे देशभर के मंदिरों और अन्य धार्मिक स्थलों में भी इस्तेमाल किया जाएगा।
राम मंदिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के लिए उनकी चरण पादुकाएं भी तैयार की गई हैं। इन पादुकाओं को बनाने में 1 किलो सोना और 7 किलो चांदी का इस्तेमाल किया गया है। इसके अलावा, पादुकाओं में बहुमूल्य रत्न भी लगाए गए हैं।
पादुकाओं को अहमदाबाद के एक मंदिर में रखा गया था। 18 जनवरी को उन्हें अयोध्या ले जाया जाएगा। वहां उन्हें रामलला के मंदिर में स्थापित किया जाएगा।
पादुकाओं को हाथ में लेकर श्री चल्ला श्रीनिवास अयोध्या में निर्माणाधीन मंदिर की 41 दिन की परिक्रमा भी कर चुके हैं। इस परिक्रमा के दौरान लाखों भक्तों ने पादुकाओं के दर्शन किए।
इस तरह के और भी दिलचस्प विषय के लिए यहां क्लिक करें - Instagram
Author :
In astrology, ganesh bhagwaan is venerated for His...
Astrology consultation is the practice of seeking...
Harmony in Marriage, according to Vedic astrology,...
Copyright ©️ 2023 SVNG Strip And Wire Private Limited (Astroera) | All Rights Reserved