पवित्र नदी यमुना के किनारे मनाया जाने वाला यमुना छठ का त्योहार प्रकृति के प्रति श्रद्धा और नदी के प्रति कृतज्ञता का भाव लिए हुए है। हर साल चैत्र माह की कृष्ण पक्ष की सातवीं तिथि, जो इस साल 14 अप्रैल 2024 को पड़ रही है, को मनाया जाने वाला यह पर्व दिल्ली समेत उत्तर भारत के कई शहरों में धूमधाम से मनाया जाता है।
आइए, इस लेख में हम यमुना छठ के बारे में विस्तार से जानें, जिसमें इसकी तिथि, मुहूर्त, इतिहास, महत्व, परंपराओं के साथ-साथ आपके लिए कुछ खास तैयारियों के बारे में भी बात करेंगे। तो चलिए, यमुना के पावन तट पर रंग-बिरंगे उत्सव में खो जाएं!
यमुना छठ की शुरुआत के बारे में कई मान्यताएं प्रचलित हैं। एक मान्यता के अनुसार, द्वापर युग में भगवान कृष्ण ने गोपियों के साथ यमुना नदी में होली खेली थी और तभी से इस दिन को यमुना पूजन का पर्व माना जाता है। दूसरी मान्यता के अनुसार, मुगल काल में यमुना नदी का जल प्रदूषित होने लगा था, जिसे देखकर लोगों ने नदी को साफ करने और उसके स्वस्थ होने के लिए पूजा-अर्चना शुरू की।
यमुना छठ का सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व काफी अधिक है:
नदी के प्रति कृतज्ञता: भारत में नदियों को जीवनदायिनी माना जाता है। यमुना छठ के माध्यम से लोग पवित्र नदी यमुना के जल के लिए कृतज्ञता व्यक्त करते हैं और उनसे आशीर्वाद लेते हैं।
पर्यावरण जागरूकता का संदेश: यह त्योहार लोगों को नदियों के संरक्षण और स्वच्छता के प्रति जागरूक करता है। यमुना छठ के दौरान नदी तटों की सफाई और पानी की शुद्धता बनाए रखने पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
समुदायिक सद्भाव का प्रतीक: यमुना छठ जाति, धर्म और वर्ग के भेदों को मिटाकर सभी लोगों को एक साथ लाता है। इस दिन सभी लोग मिलकर नदी की पूजा करते हैं, गीत गाते हैं और उत्सव का आनंद लेते हैं।
यमुना छठ का उत्सव श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है। आइए देखें इसके प्रमुख आकर्षण:
स्नान और पूजा: इस दिन लोग सुबह के समय यमुना नदी में स्नान करते हैं और उसके बाद नदी की पूजा करते हैं। भगवान सूर्य और यमुना देवी को फूल, फल, मिठाई आदि का अर्घ्य देकर उनका आशीर्वाद लिया जाता है।
पारंपरिक वस्त्र: यमुना छठ के दौरान महिलाएं हरे रंग की साड़ी और पुरुष सफेद कुर्ता-पायजामा पहनते हैं। यह हरा रंग यमुना के जल और प्रकृति के प्रति संकेत करता है।
गीत और भजन: पूजा के दौरान और नदी तट पर लोग भक्तिमय गीत और भजन गाते हैं, जो वातावरण को और भी सुहाना बना देते हैं।
प्रसाद का वितरण: पूजा के बाद प्रसाद बनाया जाता है और उसे सभी के बीच वितरित किया जाता है।
झूले का आनंद: कुछ जगहों पर यमुना छठ के दिन नदी तट पर झूले लगाए जाते हैं, जिनका आनंद लोग उठाते हैं। यह उत्सव के माहौल में खुशनुमा वातावरण का निर्माण करता है।
नदी में दीपदान: शाम के समय कई लोग नदी में दीपदान करते हैं। जल में तैरते दीपों का नजारा बेहद खूबसूरत और आकर्षक होता है।
यमुना छठ सिर्फ एक धार्मिक त्योहार नहीं, बल्कि प्रकृति के प्रति श्रद्धा और पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी देता है। यह हमें नदियों के महत्व को समझने और उनके प्रति अपनी जिम्मेदारी का एहसास दिलाता है। तो आइए, इस यमुना छठ पर यमुना देवी का आशीर्वाद लें, पर्यावरण की रक्षा का संकल्प लें और सभी के साथ मिलकर इस पावन उत्सव का आनंद लें!
यमुना छठ की शुभकामनाएं!
क्या यमुना छठ के दौरान उपवास रखना होता है?
जी हां, कुछ लोग यमुना छठ के दौरान सुबह से पूजा समाप्त होने तक उपवास रखते हैं।
क्या गर्भवती महिलाएं यमुना छठ के त्योहार में शामिल हो सकती हैं?
हां, गर्भवती महिलाएं यमुना छठ के त्योहार में शामिल हो सकती हैं, लेकिन उन्हें नदी में गहरे पानी में जाने से बचना चाहिए और अपनी सुरक्षा का ध्यान रखना चाहिए।
यमुना छठ के बाद कौन सा त्योहार आता है?
यमुना छठ के बाद आने वाला बड़ा त्योहार रंगी या महावीर जयंती है, जो चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की तृतीय तिथि को मनाया जाता है।
यमुना छठ मनाने के लिए किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
यमुना छठ मनाते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि नदी को साफ रखा जाए, नदी में गंदगी न फैलाई जाए और जलीय जीवों को नुकसान न पहुंचाया जाए।
यमुना छठ के बारे में और जानकारी कहां से मिल सकती है?
यमुना छठ के बारे में और जानकारी के लिए आप पुस्तकों, वेबसाइटों या स्थानीय लोगों से बात कर सकते हैं।
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